दहेज: एक सामाजिक रिवाज
दहेज: एक सामाजिक रिवाज
पात्र:-
शिवांस ( वर )
शिवांगी ( वधु)
जगदीप ( वर का पिताजी)
मंगलदीप ( वधु की पिताजी)
रमण,सुकेश,( वधु के पड़ोसी)
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जगदीप - "बेटा वो जो लड़की है ना शिवांगी आज उनके पिताजी मंगलदीप जी आये थे हमारे यहां !!"
शिवांग-" हड़बड़ाते हुए!!! क्या हुआ पिताजी कुछ कह रहे थे क्या ?"शिवांग को लगा कि कही उनके पिताजी को उनके और शिवांगी केप्यार के बारे में पता तो नहीं चल गया ।फिर से शिवांग ठकमकाते हुए "क्या कह रहे थे वे?"
जगदीप - "अरे बेटा तेरे और वह अपनी दूसरी बेटी शिवांगी के शादी की बाते कह रहे थे।"
शिवांग- "तो आपने क्या कहा!!"
जगदीप- "अरे कहना क्या! अब शादी नहीं करेगा तो कब करेगा।"
शिवांग -" वो सब तो ठीक है आपने कहीं दहेज के बारे में चर्चा तो नही कर लिये!!"
जगदीप- "दहेज के बारे में चर्चा तो करना ही था बिन दहेज के शादी कैसे करेंगे।"
शिवांग- "पिताजी!! बिन दहेज के शादी नहीं हो सकती है क्या!!मुझे बिना दहेज के ही शादी करनी है अन्यथा मैं शादी अभी नहीं करुंगा।"
जगदीप- "अरे बेटा तुम बोलना क्या चाहते हों।"
शिवांग थोड़ा निर्डर भाव से-" पिताजी आपको वो बेटी दे रहे हैं बहु के रूप में इससे अधिक आपको क्या चाहिए।"
जगदीप - "ठीक है अभी बोले है उनको शिवांग और शिवांगी दोनों को पसंद आने पर ही आगे की चर्चा करेंगे।"दोनों ने अपनी राजी भरी
मंगलदीप- "जगदीप जी अब आगे का आपका क्या विचार है !"
जगदीप- "मंगलदीप जी अब आगे क्या विचार रहेगा अब,पंडित जी को बुलाइए और एक अच्छी सी मुर्हरत देख कर दोनों की सगाई कराई जाए।"
मंगलदीप- "नहीं जगदीप जी , अगर देन लेन की कोई बात हो बता दिजिए हम यहीं कह रहे थे!!"
जगदीप- "अरे जी आप बेटी दे रहे हों इससे बड़ी उपहार तो हो नही सकता है।"
मंगलदीप- "ठीक है जी जैसे आपकी मर्जी!!"
रमन और सुकेश को कानों कान ये खबर लग गई की शिवांग और शिवांगी की शादी बिन दहेज के हो रहे हैं।दोनों में तरह तरह के सवाल आ रहे थे तभी उसी रास्ते से मंगलदीप गुजर रहे थे ।
सुकेश- "मंगलदीप जी इतनी अच्छी बेटी को दहेज बचाने के चक्कर में कोई दोषपूर्ण लड़के के हाथों में नहीं दे रहे हों!"
अब मंगलदीप उनके बातों को मनन कर रात भर सोचता रहा फिर सुबह होते ही वह शिवांग के घर बिन कहे पहुंच गए।
जगदीप- "आप यहां !"
मंगलदीप- "इधर से गुजर रहा था तो सोचा तो सोचा भेंट करते जाए।"
जगदीप -" अच्छा ठीक है आपके लिए अभी चाय मगवांता हूं।"
इस तरह मंगलदीप को उन लड़के में कमी नहीं दिखी ।और शिवांगी और शिवांग की शादी सम्पन्न हुआ।
( बहुत ऐसे होते हैं जो दहेज लेना या देना नहीं चाहते हैं फिर भी यह सोच कर ले लेते या देते हैं कि समाज क्या कहेगा। आप अपना फ़र्ज़ निभाएं समाज खुद बदलेगा।)
