देर
देर
नेताजी झन्डा फहरा चुके थे.अब उन्हें जाना था.उनका स्मृतिचिन्ह रखने गए अर्दली को वापस आने में देर गई थी.
जब वो वापस आया तो हमेशा की तरह पहले तो उसे डांट मिली...कारण बाद में पूछा गया.
“सर...रेडियो पर राष्ट्रगान आ रहा था...बस वहीं खड़ा हो गया था...” – वह बोला.
नेताजी को भी अब रेडियो में सुनी वह धीमी-धीमी धुन याद आ रही थी.खिसियाते हुए वह वापस निकल गए.