डियर डायरी 27/04/2020
डियर डायरी 27/04/2020
लॉकडाउन के चलते उद्योगों की हालत पस्त हो गई है। सरकार हजारों करोड़ रुपए फूंक चुकी है। डेयरी उद्योग से संबंधित किसानों की हालत बहुत बुरी है। उनके दूध की कीमत लागत से भी कम हो गई है। हरे चारे की कमी के कारण पशुओं को चारा भी नहीं मिल पा रहा है। पुलिस की मनमानी के कारण अक्सर उन वाहनों का भी चालान कर दिया जाता है, जिन्हें लॉकडाउन के दौरान आने जाने की छूट है।
कुछ उद्योग धंधे को खोलने की परमिशन सरकार की तरफ से मिली है, उनको खोलने की शर्तें इतनी कठिन है, जिनका पालन करना बहुत मुश्किल है। अधिकारी लोग नियम कानून अपने ऑफिस में बैठकर बनाते हैं। लेकिन अगर उनको खुद धंधा करना पड़े, उद्योग चलाना पड़े, तब उनको मालूम होगा कि किस किस तरह की कठिनाइयां उद्योगपतियों को झेलनी पड़ती है। किंतु उद्योगों के प्रति नियम बनाने वाले अधिकारियों में में दूरदर्शिता की कमी है, जिसका खामियाना उद्योगपतियों को भुगतना पड़ता है। इस तरह के फरमान भी आ चुके हैं कि अगर उद्योगों में कोई भी कोरोना का मरीज पाया गया, तो सीईओ को गिरफ्तार किया जाएगा..!
एक शर्त यह भी है, कि फैक्ट्री में काम करने वाले सभी मजदूर कर्मचारियों को फैक्ट्री तक लाने ले जाने की व्यवस्था फैक्ट्री मालिकों को करनी होगी..! इसी प्रकार अगर फैक्ट्री में उत्पादन होता है, तो माल कहां जाएगा? कैसे बिकेगा..? जबकि सारी दुकानें बंद है, इसकी भी कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है..?
और भी बहुत सारी ऐसी समस्याएं हैं जिनका पालन करना फैक्टरी मालिकों के लिए बहुत मुश्किल है! और कोई भी मानक अगर पूरा नहीं होता है, तो इन फैक्ट्री मालिकों पर अनाप-शनाप लाखों रुपये का जुर्माना ठोक दिया जाता है। ऐसी स्थिति में उद्योग बंदी के कगार पर हैं। फिर कहां जाएंगे मजदूर..? और कहां जाएंगे इन कारखानों में काम करने वाले कर्मचारी..? किस तरह उनके घर की रोजी रोटी चलेगी..? इन सब बातों पर सरकार का ध्यान नहीं है..!
दूसरी तरफ सरकार ने इतने खर्चे कर दिए हैं, जिसकी भरपाई के लिए बहुत से ऐसे फैसले लिए जाने हैं, जिससे आम जनजीवन की हालत और खस्ता हो जानी है। महंगाई आकाश में पहुंच जाएगी..! और क्या होगा गरीबों का, कुछ पता नहीं..! नौकरियाँ जा रही है लोगों की..! और उम्मीद की कोई किरण नहीं दिख रही है। देश की अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है। गरीब बेमौत मारा जा रहा है,लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं है। और तो और, लॉकडाउन की आड़ में उस पर डंडे बरसाए जा रहे हैं..! कोई भूखा मर रहा है और कोई हर सामान को दुगने चौगुने दाम पर बेच रहा है और अपनी तिजोरियाँ भर रहा है।
इन सारी मुसीबतों से निकलने के लिए सरकार को ईमानदारी से प्रयास करना होगा और अपनी मानवीयता का परिचय देना होगा, तभी देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकेगी अन्यथा आने वाले दिन और भी ज़्यादा ज्यादा कष्टप्रद होंगे।
अब सोचो न सिर्फ अपना, कुछ देश का तुम सोचो !
अंत समय तिजोरियां भी ये साथ न देंगी तुम्हारा..!