डिअर डायरी डे 18
डिअर डायरी डे 18


11.04.2020
भारत के हालात देखते हुए लॉक डाउन बढ़ाया जा रहा है कर्फ्यू लगाया जा रहा है। 8000 के लगभग पॉजिटिव कोरोना केसेस और 250 मौतों पर रोता हुआ मेरा देश। थम नहीं रहा है मौतों का सिलसिला राशन और दूध की कतारें लग रही हैं पूंजीपतियों ने धर्मार्थ के लिए द्वार खोल दिए हैं। देश में मलेरिया की दवाई संजीवनी बन कर आयी है। सोशल डिस्टन्सिंग का महत्त्व समझाते सितारे और देशभक्ति के गाने गाकर लोगो को समझाती पुलिस सेवा करते डॉक्टर्स और सफाई कर्मी, और इसी आग में जलते उनके हाथ, उनका स्वयं का कोरोना संक्रमित हो जाना।
अर्थव्यवस्था का गिरना, यू .एस . ऐ. द्वारा भारतियों को घर रवाना करने का ऐलान वैश्विकता के बॉर्डर्स का बंद हो जाना। तो इस महामारी के समय हमारा स्वयं का सक्षम होना ही ज़रूरी है। हम अगर किसी मदद के लिए चीन का मुंह देख रहे हैं तो फिर वो मनमाने पैसे वसूलेगा।
ये तो हमारी बात हुई कि हम ये सब समझ पा रहे हैं, लेकिन हमारे घर के छोटे बच्चे वो मासूम ये नहीं समझ पा रहा कि मैं घर में बंद क्यों हूँ।
उसे स्कूल जाना है,उसे उसके फ्रेंड्स चाहिए अब हम ये तो नहीं कह सकते कि 'घर के बहार बाबा खड़ा है और वो आपको झोले में भर कर ले जायेगा ' तब फिर हमको क्या कहना है ? इसको हलके पक्ष में कहूं तो बाजार में कोरोना की शकल के खिलौने मिलेंगे जल्दी ही कोरोना की शकल के चिपकने वाले की-रिंग .....और भी बहुत कुछ। शायद आगे सीरियल भी बनेंगे।
भारत 'सक्षम ' है इसलिए सुरक्षित है, नहीं तो आप विकसित देशों में मरने वालों की संख्या देख लो। उस पर भी जो लोग हमारे प्रधानमंत्री पर ऊँगली उठा रहे हैं, उन्हें एक बार ये गिनती ज़रूर देखनी चाहिए।
लॉन्ग लिव इंडिया, टेक केयर।