हरि शंकर गोयल

Abstract Inspirational Others

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हरि शंकर गोयल

Abstract Inspirational Others

डायरी जून 22

डायरी जून 22

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आज तो इनको छुड़वा रहे हो कल, पद्म विभूषण भी दिलवा दोगे 


सखि, 

आज गाजियाबाद की एक अदालत ने वर्ष 2006 में वाराणसी में रेल्वे स्टेशन, संकट मोचन मंदिर और दशाश्वमेध घाट पर सिलसिलेवार हुए बम विस्फोट में शामिल आतंकी वलीउल्लाह खान को फांसी की सजा सुनाई है। इस बम विस्फोट में 18 मासूम और निर्दोष लोगों की जान चली गई थी ।


सखि, क्या तुम्हें पता है कि यह विस्फोट जब हुआ था तब कौन मुख्यमंत्री था ? सोलह साल हो गये हैं ना उस घटना को। और भारतीयों को भूलने की एक बहुत बड़ी बीमारी है ना। इसलिए पूछ रहा था। नहीं याद है न ? कोई नहीं , लोग तो आपात काल को ही भूल गए, ये तो एक छोटा सा बम विस्फोट ही था। ऐसी छोटी मोटी घटनाओं को कौन याद रखता है इस देश में ? जब तक हजार दो हजार लोग नहीं मरें तब तक लोग उसे कोई घटना मानते ही नहीं हैं। क्यों है ना यही बात सखि ? 


सन 2006 में तथाकथित समाजवादी और महान धर्मनिरपेक्ष मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। जब 2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने वलीउल्लाह खान जैसे 16 खूंखार आतंकवादियों के केस खत्म कर दिये थे और इन्हें छोड़ने का आग्रह न्यायालय से किया था। कारण तो तुम जानती ही हो सखि, कि ये तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार "तुष्टीकरण" के वोटों पर ही तो जिंदा थे ,हैं और आगे भी रहेंगे। इनके लिए बाकी समुदाय, देश कुछ भी मायने नहीं रखता है। मायने रखता है तो बस वोट बैंक। तब कुछ सजग नागरिक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका लेकर गये थे। तब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए अखिलेश यादव की सरकार को कहा था 


"आज तो तुम इन्हें छुड़वा रहे हो। कल इनको पद्म विभूषण पुरस्कार भी दिलवा देना।" 


और माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अखिलेश यादव के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें 16 आतंकियों को छोड़ने की सिफारिश की थी। इसमें से एक को अभी थोड़े दिन पहले ही आजीवन कारावास की सजा भी हुई है और एक ये है जिसे आज फांसी हुई है। बाकी पर मुकदमे चल रहे हैं अभी। 


सखि, देखा। हमारे देश के कर्णधार कैसे कैसे हैं ? और वो जनता भी कैसी है जो ऐसे नेताओं को वोट करती है जो आतंकवादियों को छोड़ने की वकालत करते हों। यह सोचने का विषय है सखि। जयचंद भरे पड़े हैं इस देश में सखि। 


ये वलीउल्लाह खान कौन है , पता है क्या ? प्रयागराज का रहने वाला है और एक मस्जिद में मौलवी था। तो सोचो सखि, कि मौलवी लोग कितने खतरनाक होते हैं। ज्यादातर आतंकी इन्हीं में से निकलते हैं। 


16 साल में तो यह फैसला आया है। अभी तो उच्च न्यायालय में अपील होगी। यदि वहां से भी इसकी फांसी की सजा बरकरार रही तो सुप्रीम कोर्ट में भी अपील चलेगी। वहां पर इसके बचाव में प्रशांत भूषण, कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिंह जैसे नामी गिरामी वकील खड़े हो जायेंगे और इसे छुड़ा ले जायेंगे। यदि सुप्रीम कोर्ट से भी यह सजा बरकरार रही तो फिर राष्ट्रपति महोदय के सम्मुख दया याचिका भी पेश हो जायेगी। अगर उस समय यू पी ए जैसी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकार आ गई तो यह फिर से छूट जायेगा। फांसी देना इतना आसान नहीं है सखि इस देश में। फिर तथाकथित मानवाधिकारवादी इसकी मां, बीवी और बच्चों का हवाला देंगे और मानवाधिकारों की दुहाई देंगे। 


खैराती चैनल इसकी रोती हुई मां , बीवी को टी वी पर दिखायेंगे और उनसे कहलएंगे कि यह तो बहुत मासूम है। इसने तो अपने जीवन में इतने कुत्तों को रोटी खिलाई थी , इतने सूअरों की जान बचाई थी इसलिए ये आतंकी हो ही नहीं सकता है  ये तो एक राजनीतिक दल की साजिश का शिकार हुआ है  हाय बेचारा। कुत्ते और सूअर तो जानती हो न सखि ? 


और गिरगिट लाल तो इसे "सॉफ्ट आतंकवादी" बता देगा जैसा कि उसने खुद के लिए कहा था। सखि, अब वक्त आ गया है कि भेड़ की खाल में छिपे इन भेड़ियों को पहचानने का और उन्हें उनकी सही जगह (जेल ) में पहुंचाने का। क्या मेरी बात सही है सखि ? क्या इस मुहिम में तुम मेरे साथ हो सखि ? 



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