डायरी जुलाई 2022
डायरी जुलाई 2022
देश के चिंताजनक हालात
डायरी सखि,
आज तो बहुत दिनों के बाद तुमसे मुलाकात हो रही है सखि। इतने विलंब से मिलने का कारण वही है सखि जो मैंने तुम्हें पहले बताया था। मैं अपनी दूसरी पुस्तक "यक्ष प्रश्न" के लिये रचनाओं की प्रूफ रीडिंग के कार्य में व्यस्त था। हास्य व्यंग्य की 50 श्रेष्ठ रचनाओं का चयन करना और उनकी वर्तनी संबंधी अशुद्धियों को सुधार कर उन्हें प्रकाशन हेतु भेजना एक दुष्कर कार्य था सखि। इस कार्य में मेरा हाथ मेरी सुपरफैन अनन्या जी ने बहुत खूबसूरती से बंटाया था। इस कारण में ना तो कुछ लिख पाया और ना ही कुछ पढ़ पाया। इसके लिये मुझे खेद है सखि।
पिछले सात दिनों की घटनाएं चिंतित करने वाली हैं सखि। अभी हाल ही में तुमने समाचारों में देखा , पढ़ा होगा कि पटना में दो "जेहादी" पकड़े गये हैं और उनके यहां से एक "विजन डॉक्युमेंट" बरामद हुआ है जिसके अनुसार ये लोग सन 2047 तक इस देश को "इस्लामिक राष्ट्र" बना देना चाहते हैं। कौन हैं ये लोग ? ये वही "महान धर्मनिरपेक्ष" लोग हैं जो आतंकी "अफजल गुरु" को "महानायक" मानते हैं। आश्चर्य तो तब होता है जब यह पता चलता है कि इनमें से एक शख्स तो झारखंड पुलिस का रिटायर्ड अधिकारी है। सखि, सोचो कि जब यह पुलिस की सेवा में था तब इसने कितने आतंकवादियों को न जाने कौन कौन सी सूचनाएं दी होंगी, उनकी कितनी मदद की होगी और देश के खिलाफ कितना बड़ा षड्यंत्र रचा होगा। हमें ताज्जुब होता है सखि, कि हमारी सरकारों में कैसे कैसे लोग काम करते हैं और ये खुफिया विभाग तान खूंटी सोता रहता है।
एक और खबर बहुत चौंकाने वाली है सखि। वैसे सच कहूं तो मुझे वह खबर चौंकाने वाली नहीं लगती है क्योंकि मुझे इसके बारे में बहुत पहले से ही पता था। मगर साक्ष्यों के अभाव में कुछ कह नहीं सकते थे, बस अंदेशा था। पाकिस्तान के एक पत्रकार और पाकिस्तानी आई एस आई के एजेंट नुसरत मुर्तजा ने अपने एक साक्षात्कार जो उसने पाकिस्तानी यू ट्यूबर को दिया था जो कि आजकल बहुत तेजी से वायरल हो रहा है , ने कहा है कि वह पाकिस्तान की दुष्ट संस्था आई एस आई के लिए काम करता था। भारत में पत्रकार बनकर आता था , यहां से सूचनाएं लेकर जाता था और उन्हें पाकिस्तानी आई एस आई को दे देता था।
वह व्यक्ति भारत में 5 बार आया। और कब ? जब देश के प्रधानमंत्री सबसे ईमानदार, महान पराक्रमी, महान अर्थशास्त्री हुआ करते थे। वह तब के उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के काफी नजदीकी थे और उनके साथ मंच भी साझा करते थे। उनके इस रहस्योद्घाटन ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है सखि। जब देश का एक उप राष्ट्रपति एक आई एस आई एजेंट के साथ मंच साझा करता हो तो इस देश का क्या हाल होगा , यह सोचने का विषय है सखि। हामिद अंसारी पर सन 1992 में जब ये ईरान में राजदूत थे, पर रॉ के अधिकारियों की गुप्त सूचनाएं लीक कर उनकी जान जोखिम में डालने का आरोप भी लगा था पर इसकी जांच कौन कराता ? जब सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का। पर कहते हैं न सखि कि पाप का घड़ा कभी न कभी तो फूटता ही है। लगता है कि शायद वह घड़ा अब फूट गया है।
एक और विषय पर बात करना जरूरी समझता हूं सखि कि जो लोग दूसरे को धोखा देकर "सत्ता" हासिल करते हैं , एक दिन उनके साथ भी धोखा हो जाता है। कोई उनके नीचे से सत्ता उड़ाकर ले जाता है और उन्हें कानोंकान खबर तक नहीं होती है। तब ऐसे धोखेबाज आदमी चारों खाने चित्त हो जाते हैं। मगर इनको तब तक समझ में नहीं आता है सखि, जब तक इनके सिर पर डंडे नहीं पड़ें। अब जब चारों तरफ से डंडों की बौछार हो रही है तो इनकी अकड़ अब कुछ कम हो रही है। ऐसा नहीं है कि ये एकमात्र धोखेबाज हैं। इस श्रंखला में और भी बहुत से लोग हैं जो जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करते हैं। आगे आगे देखती जाओ सखि , अभी तो बहुत से गुल और खिलेंगे यहां पर।
अच्छा तो अब चलते हैं सखि, कल फिर मिलेंगे। बाय बाय