दादी की कहानी

दादी की कहानी

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हमारी दादी तो अशिक्षित थी। नानी नहीं थी। उस समय शिक्षा का इतना महत्व नहीं था और नारी शिक्षा का तो, बिलकुल भी नहीं।

दादीजी ने मेरे बचपन में, जीवन की दिनचर्या के प्रति जो सूक्ति वाक्य बताये थे। उन्हें मैं याद कर, कहानी के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ।

दादी "बेटा सुबह बिस्तर से उठने से पहले, अपनी हथेलियों को जोड़कर, माथे से लगाओ और भूमि को स्पर्श कर प्रणाम करो।"

मैं पूछता था "ऐसा करने से क्या होता है। " दादी "सुबह उठते समय, देवता हर दिन भाग्य की रेखा लिखते हैं। प्रणाम करने से दिन अच्छा जाता है। "

फिर क्या दादी "मुंह साफ करो, दो गिलास पानी पीयो और सुबह टहलना चाहिए, कसरत करना चाहिए। " मैं पूछता था " इससे क्या होता है। "

दादी "शरीर और दिमाग, स्वस्थ और मजबूत रहता है। जो भी पढ़ोगे, वह एक बार में याद हो जाता है। "

दादी "फिर स्नान ध्यान करके, स्कूल जाने की तैयारी करो, नाश्ता करो, बस्ता जमाओ।" मैं पूछता था " दादी सुबह मुझे भूख नहीं लगती है। "

दादी " बेटा जब भी घर से निकलो ,पानी पीकर और कुछ खाकर ही निकलना चाहिए। हमारी माँ कहती थी, सुबह का टुकड़ा रात का बकरा।" फिर दादी "स्कूल में ईमानदारी और मेहनत से पढ़ाई करो, खेलकूद में भाग लो, गुरूओं का सम्मान करो। सभी से दोस्ती करो, एक दूसरे की सहायता करो। लड़ाई और झगड़े से दूर रहो।"

मैं पूछता था "दादी कोई मुझे मारता है या पहले लगता है तो?" दादी"गुरूओं से यह बात करो, ना कि उससे झगड़ा करने लगो।" फिर दादी "स्कूल से घर आने पर, कपड़े, बस्ता वगैरह उचित जगह पर रखो। जरूरत के हिसाब से भोजन करो। परिवार में कोई भी काम बताता है तो वह करो।"

मैं पूछता था " दादी मुझे नींद नहीं आ रही हो तो क्या करना चाहिए। " दादी " ज़रूर 1-2 घण्टे दोपहर में सोना चाहिए। शरीर की थकावट दूर हो जाती है फिर शाम को खेलने जाना चाहिए, रात में 2 घण्टे पढ़ना चाहिए और खाना खाकर रात्रि विश्राम करना चाहिए। किन्तु सोने से पहले 15-20 मिनट टहलना जरूर चाहिए। "

मैं दादी की सभी बातों का, आज भी अनुपालन करता हूँ। समय के अनुसार, संशोधित रूप से अपने बच्चों और उनके भी बच्चों को बताता हूँ। गुण-दोष सहित।

दादी की एक विशेष बात हमेशा याद रखता हूँ "बेटा चाहे जितने भी बड़े और विशेष बन जाओ। याद रखना कि तुम्हारे पाँव ज़मीन पर ही रहे।"



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