द फियर ऑफ़ लोस्ट लव
द फियर ऑफ़ लोस्ट लव
"हमें ना हुक्म का इक्का बनना है ना बादशाह, हम जोकर ही अच्छे है जिसके नसीब में आयेंगे बाजी पलट देंगे।"
लो मैं तैयार हूँ - पत्नी चित्रा की आवाज कान मे पडते ही पुष्पक का ध्यान कलाई पर बंधी घड़ी पर गया।
हमे चलना चाहिए पुष्पक ने कहा और बिना पत्नी की ओर देखे ही कार मे बैठ गया और हर बार की तरह चित्रा अपनी तारिफ सुने बिना ही पुष्पक के पीछे चल दी।
"मैं तो उसे जाते ही अपनी बाँहो मे भर लुंगी, तुमने देखा - कितना क्युट लग रहा था वो उस फोटो मे।"
"नहीं मैंने ठीक से नही देखा" पुष्पक ने कहा। असल में जब से वो इन्वेटेशन कार्ड आया था तब से लेकर अब तक पुष्पक उस बच्चे की फोटो को 50 से जादा बार देख चुका था। बच्चा बिल्कुल उसकी माँ पर गया था। पुनिता भला पुष्पक उसे केसे भुल सकता था, ना ही वो दिन जब वो पहली बार उससे मिला, ना ही वो दिन जब वो उसकी दोस्त बनी, ना ही वो दिन जब उसे उससे प्यार हो गया।
कोलेज को 6 साल गुजर गए, उसकी भी शादी हो गई थी, आज उसके बेटे का पहला जन्मदिन था। पुष्पक ने 6 सालो मे उसे कभी नही देखा और ना ही उसकी आज हिम्मत थी। अगर सारे दोस्तो ने जिद्द नही की होती तो वो कभी नही जाता।
कार का ब्रेक ठिक वही जाकर लगा जहाँ कभी उसकी बाइक का लगा करता था। दरवाजे पर पटेल परिवार का बेनर देख पुष्पक को याद आ गया,
जब एक दिन पुनिता ने कहा था की जल्द ही मेरे नाम के साथ तुम्हारा सर नेम होगा, "धत् प्यार के वादे" पुष्पक एक मुस्कान के साथ बोल पडा।
अन्दर कदम रखने से पहले पुष्पक के पैर लडखडाने लगे, तेज धडकने उसे बैचेन कर रही थी। आखिर 6 साल से जो वो टालता आया उसे करना होगा, पुनिता को किसी और के साथ देखना होगा। अब पुनिता कैसी दिखती होगी - क्या उतनी ही खूबसूरत या उससे भी ज्यादा। एक पल के लिए तो उसके मन मे आया कि पुनिता अब भी उसकी होती तो जिन्दगी के रास्ते आसान होते।
तब ही चित्रा ने उसका हाथ थाम लिया - "क्या हुआ कहाँ खो गए..??" जब चित्रा ने घूर कर उसकी आँखों मे देखा तो उसे अचानक याद आया कि वो एक गर्भवती महिला का पती है।
एक तरफ पुष्पक उम्मीद कर रहा था की काश पुनिता की नजर उस पर ना पडे और दुसरी ओर उसका दिल उसे देखने के लिए बेताब हुए जा रहा था।
कितने टाईम बाद मिल रहे हो - एक आवाज पुष्पक के कान मे पड़ी, एक सुंदर चेहरा जिसने अक्सर उसे डराया था वो उसके सामने खडा था, चौड़ी मुस्कान के साथ उसकी ओर बढ रहा था, उस चेहरे पर ना डर था ना ही प्यार।
पुनिता अपने पुराने लहेजे मे तेजी से बड बड करने लग गई, पुष्पक कुछ सुन ना सका, वो उसके होठ और आँखों को देखे जा रहा था। अपनी बात खत्म कर वो पलट गई तब पुष्पक को एहसास हुआ कि वो कई मेहमानो के सामने मुह खोल खडा था।
"क्या वो सब भुल गई ?" पुष्पक ने खुद से पुछा। आखिर उनका रिश्ता टिका ही कितने दिन था, एक हफ्ता। 10 दिन । 2 हफ्ते। उसे तो याद भी नहीं रहा कि कब और कैसे उसका झगडा हुआ और कब और कैसे सुलझ गया। 6 साल एक तरफा प्यार के बाद कुछ हफ्तो का रिश्ता पुष्पक के लिए बड़ी बात थी, पुनिता के लिए नहीं।
उसके सामने ही पुनिता उसके एक साल के बेटे को लेकर आई, हू ब हू पुनिता। अगर पुनिता से उस दिन झगडा ना होता तो ये क्युट सा बच्चा हमारा होता। चित्रा ने उस बच्चे को गोद मे उठा लिया और खूब प्यार किया जैसे उसी का बेटा हो।
पुष्पक अपने अतीत की सोच से बाहर आया तो उसने देखा की पुनिता और उसका पति डांस कर रहे थे। सब तालिया बजा रहे थे और उनके सारे दोस्तो ने एक एक कर उन्हे जोईन कर लिया, सभी कपल्स डांस कर रहे थे और चित्रा हाथ बढा कर पुष्पक को डांस के लिए बुला रही थी।
पुष्पक ने उसे अपना हाथ नहीं दिया वो झट से वाशरुम की ओर दौड पडा, आयने के सामने खड़ा हो गया और अपने प्रतिबिंब मे 6 साल पुराना बेवकुफ लडका ढूँढने लगा।
आखिर वो कौन सा दिन था जब पुष्पक ने पुनिता को किसी चीज़ के लिए मना किया हो, कभी दोस्त बनकर कभी प्यार। मे आज भी बेवकूफ हूँ। मेरी पत्नी मेरे लिए क्या कुछ नहीं करती और मैं ..
उसने अपना वॅालेट निकाला, उसमे एक कोने मे कही छिपा एक कागज का टुकड़ा था "Good Bye Pushpak" ये वो आखिरी शब्द थे जो उसके सीने पर कुरेद कर पुनिता ने लिखे थे। एक पल गवाए बिना उसने वो कागज फाड दिया और फ्सश के साथ अपनी यादो को भी बहा दिया। जब पुष्पक वाशरुम से बाहर निकला, तो वो 6 साल पुराना बेवकूफ नहीं था।
उसने बिना किसी को देखे चित्रा का हाथ थाम लिया और जबरदस्त डाँस किया, किसी को दिखाने, जलाने के लिए नहीं बल्कि ये तो वो प्यार था जो उसे अभी अभी हुआ था।
चित्रा इतनी प्यारी और शालिन थी पुष्पक उसे अपना दिल कब का ही दे देता अगर दिल उसके पास होता। उसका दिल तो 6 साल पेहले ही पुनिता का हो चुका था। आज जब उसे फिर अपना दिल मिल गया तो वो दिल उसका नहीं रहा, अब वो हमेशा के लिए चित्रा का हो चुका था।
पुष्पक ये दिन कभी नहीं भूल पाएगा..!!
