Chitra Ka Pushpak

Romance Tragedy

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Chitra Ka Pushpak

Romance Tragedy

बॉय फ्रेंड फॉर वन डे

बॉय फ्रेंड फॉर वन डे

12 mins
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लॉटरी सिर्फ पैसो की नहीं होती सही इंसान का मिलना भी एक लॉटरी से कम नहीं।

क्या तुम मेरे एक दिन के बौयफ्रैंड बनोगे ? 

उस लड़की के कहे ये शब्द मेरे कानों में गूंज रहे थे। मैं हक्काबक्का सा उसकी तरफ देखने लगा। काली, लंबी जुल्फों और मुसकराते चेहरे के बीच चमकती उस की 2 आंखें मेरे दिल को धड़का गईं।

एक अजनबी लड़की के मुंह से इस तरह का प्रस्ताव सुन कर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मुझ पर क्या बीत रही होगी। मैं अच्छे घर का होनहार लड़का हूं। प्यार और शादी को ले कर मेरे विचार बिलकुल स्पष्ट हैं।

बहुत पहले एक बार प्यार में पड़ा था पर हमारी लव स्टोरी अधिक दिनों तक नहीं चल सकी। लड़की बेवफा निकली। वह न सिर्फ मुझे, बल्कि दुनिया छोड़कर गई और मैं अकेला रह गया। 

लाख चाह कर भी मैं उसे भुला नहीं सका। सोच लिया था कि अब अरेंज्ड मैरिज करूंगा। घर वाले जिसे पसंद करेंगे, उसे ही अपना जीवनसाथी मान लूंगा। अगले महीने मेरी सगाई है। लड़की को मैंने देखा नहीं है पर घर वालों को वह बहुत पसंद आई है। फिलहाल मैं अपने मामा के घर छुट्टियां बिताने आया हूं। मेरे घर पहुंचते ही सगाई की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।

बोलो न, क्या तुम मेरे साथ, उस ने फिर अपना सवाल दोहराया।

मैं तो आप को जानता भी नहीं, फिर कैसे… मैं उलझन में था।

जानते नहीं तभी तो एक दिन के लिए बना रही हूं, हमेशा के लिए नहीं, लड़की ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों को नचाया। दरअसल, 2 – 4 महीनों में मेरी शादी हो जाएगी। मेरे घर वाले बहुत रूढि़वादी हैं। बौयफ्रैंड तो दूर कभी मुझे किसी लड़के से दोस्ती भी नहीं करने दी। मैं ने अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया है। घर वाले मेरे लिए जिसे ढूंढ़ेंगे उससे आंखें बंद कर शादी कर लूंगी।

मगर मेरी सहेलियां कहती हैं कि शादी का मजा तो लव मैरिज में है, किसी को बौयफ्रैंड बना कर जिंदगी ऐंजौय करने में है। मेरी सभी सहेलियों के बौयफ्रैंड हैं। केवल मेरा ही कोई नहीं है।

यह भी सच है कि मैं बहुत संवेदनशील लड़की हूं। किसी से प्यार करूंगी तो बहुत गहराई से करूंगी। इसी वजह से इन मामलों में फंसने से डर लगता है।

मैं जानती हूं कि मैं तुम्हें आजकल की लड़कियों जैसी बिलकुल नहीं लग रही होऊंगी !!

बट बिलीव मी, ऐसी ही हूं मैं !! फिलहाल मुझे यह महसूस करना है कि बौयफ्रैंड के होने से जिंदगी कैसा रुख बदलती है, कैसा लगता है सब कुछ, बस यही देखना है मुझे। क्या तुम इसमें मेरी मदद नहीं कर सकते?

ओके, पर कहीं मेरे मन में तुम्हारे लिए फीलिंग्स आ गईं तो ?

तो क्या है, वन नाइट स्टैंड की तरह हमें एक दिन के इस अफेयर को भूल जाना है। यह सोच कर ही मेरे साथ आना। बस एक दिन खूब मस्ती करेंगे, घूमेंगे फिरेंगे, और क्या ? 

बोलो क्या कहते हो ? वैसे भी मैं तुम से 5 साल बड़ी हूं। मैंने तुम्हारे ड्राइविंग लाइसैंस में तुम्हारी उम्र देख ली है। यह लो। रास्ते में तुम से गिर गया था। यही लौटाने आई थी।

तुम्हें देखा तो लगा कि तुम एक शरीफ लड़के हो। मेरा गलत फायदा नहीं उठाओगे, इसीलिए यह प्रस्ताव रखा है।

मैं मुसकराया !! एक अजीब सा उत्साह था मेरे मन में। चेहरे पर मुसकराहट की रेखा गहरी होती गई। मैं इनकार नहीं कर सका। तुरंत हामी भरता हुआ बोला, ठीक है, परसों सुबह 8 बजे इसी जगह आ जाना। उस दिन मैं पूरी तरह तुम्हारा बौयफ्रैंड हूं। 

ओके थैंक्यू, कहकर मुसकराती हुई वह चली गई। घर आ कर भी मैं सारा समय उस के बारे में सोचता रहा। 2 दिन बाद तय समय पर उसी जगह पहुंचा तो देखा वह बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही थी।

हाय डियर, कहते हुए वह करीब आ गई। हाय, मैं थोड़ा सकुचाया। मगर उस लड़की ने झट से मेरा हाथ थाम लिया और बोली, चलो, अब से तुम मेरे बौयफ्रैंड हुए। कोई हिचकिचाहट नहीं, खुल कर मिलो यार !!

मैंने खुद को समझाया, बस एक दिन। फिर कहां मैं, कहां ये। फिर हम 2 अजनबियों ने हमसफर बन कर उस एक दिन के खूबसूरत सफर की शुरुआत की।

चित्रा नाम था उसका। मैं गाड़ी ड्राइव कर रहा था और वह मेरी बगल में बैठी थी। उसकी जुल्फें हौले हौले उस के कंधों पर लहरा रही थीं। भीनी भीनी सी उस की खुशबू मुझे आगोश में लेने लगी थी। एक अजीब सा एहसास था, जो मेरे जिस्म को महका रहा था। मैं एक गीत गुनगुनाने लगा।

वह एक टक मुझे निहारती हुई बोली, तुम तो बहुत अच्छा गाते हो। हां थोड़ा बहुत गा लेता हूं… जब दिल को कोई अच्छा लगता है तो गीत खुद ब खुद होंठों पर आ जाता है !!

मैंने डायलौग मारा तो वह खिलखिला कर हंस पड़ी। दूधिया चांदनी सी छिटक कर उस की हंसी मेरी सांसों को छूने लगी। यह क्या हो रहा है मुझे। मैं मन ही मन सोचने लगा। तभी उस ने मेरे कंधे पर अपना सिर रख दिया, माई प्रिंस चार्मिंग, हम जा कहां रहे हैं ? जहां तुम कहो।

वैसे मैं यहां की सब से रोमांटिक जगह जानता हूं, शायद तुम भी जाना चाहोगी, मेरी आवाज में भी शोखी उतर आई थी।

श्योर, जहां तुम चाहो ले चलो। मैंने तुम पर शतप्रतिशत विश्वास किया है।

पर इतने विश्वास की वजह ? किसी किसी की आंखों में लिखा होता है कि वह शतप्रतिशत विश्वास के योग्य है। तभी तो पूरी दुनिया में एक तुम्हें ही चुना मैंने अपना बौयफ्रैंड बनाने को।

देखो तुम मुझ से इमोशनली जुड़ने की कोशिश मत करो। बाद में दर्द होगा। किसे ? तुम्हें या मुझे ? शायद दोनों को। नहीं, मैं प्रैक्टिकल हूं। मैं बस 1 दिन के लिए ही तुम से जुड़ रही हूं, क्योंकि मैं जानती हूं हमारे रिश्ते को सिर्फ इतने समय की ही मंजूरी मिली है। हां, वह तो है। मैं अपने घर वालों के खिलाफ नहीं जा सकता।

अरे यार, खिलाफ जाने को किसने कहा ? मैं तो खुद पापा के वचन में बंधी हूं। उन के दोस्त के बेटे से शादी करने वाली हूं। 6-7 महीनों में वह इंडिया आ जाएगा और फिर चट मंगनी पट विवाह। हो सकता है मैं हमेशा के लिए पैरिस चली जाऊं, उस ने सहजता से कहा।

तो क्या तुम भी DDLJ मूवी की सिमरन की तरह किसी अजनबी से शादी करने वाली हो, जिसे तुम ने कभी देखा भी नहीं है ? कहते हुए मैंने उस की आंखों में झांका।

वह हंसती हुई बोली, हां, ऐसा ही कुछ है। पर चिंता न करो। मैं तुम्हें शाहरुख यानी राज की तरह अपनी जिंदगी में नहीं आने दूंगी। शादी तो मैं उसी से करूंगी जिस से पापा चाहते हैं।

तो फिर यह सब क्यों ? मेरे इमोशंस के साथ क्यों खेल रही हो ?

अरे यार, मैं कहां खेल रही हूं ? फर्स्ट मीटिंग में ही मैंने साफ कह दिया था कि हम केवल 1 दिन के रिश्ते में हैं। हां वह तो है।

ओके बाबा, आई ऐम सौरी। चलो आ गई हमारी मंजिल। वैरी नाइस !! बहुत सुंदर व्यू है, कहते हुए उस के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई।

थोड़ा घूमने के बाद वह मेरे पास आती हुई बोली, लो अब मुझे अपनी बांहों में भरो जैसे फिल्मों में करते हैं !! वह मेरे और करीब आ गई। उसकी जुल्फें मेरे कंधों पर लहराने लगीं। लग रहा था जैसे मेरी पुरानी गर्लफ्रैंड पुनिता ही मेरे पास खड़ी है। अजीब सा आकर्षण महसूस होने लगा।

मैं अलग हो गया, नहीं, यह नहीं होगा मुझसे।

किसी गैर लड़की को मैं करीब क्यों आने दूं ?

क्यों, तुम्हें डर लग रहा है कि मैं यह वीडियो बना कर वायरल न कर दूंगी ? वह शरारत से खिलखिलाई। मैंने मुंह बनाया, बना लो। मुझे क्या करना है ? वैसे भी मैं लड़का हूं। मेरी इज्जत थोड़े ही जा रही है।

वही तो मैं तुम्हें समझा रही हूं। तुम्हें क्या फर्क पड़ता है, तुम तो लड़के हो, वह फिर से मुसकराई !!

वैसे तुम आजकल के लड़कों जैसे बिलकुल नहीं हो।

आजकल के लड़कों से क्या मतलब है ?

सब एक जैसे नहीं होते। वही तो बात है। इसीलिए तो तुम्हें चुना है मैंने, क्योंकि मुझे पता था तुम मेरा गलत फायदा नहीं उठाओगे वरना किसी और लड़के को ऐसा मौका मिलता तो उसे लगता जैसे लौटरी लग गई हो।

तुम मेरे बारे में इतनी श्योर कैसे हो कि वाकई मैं शरीफ ही हूं ? तुम कैसे जानती हो कि मैं कैसा हूं और कैसा नहीं हूं ?

तुम्हारी आंखों ने सब बता दिया मेरी जान, शराफत आंखों पर लिखी होती है। तुम नहीं जानते ?

इस लड़की की बातें पलपल मेरे दिल को धड़काने लगी थीं। बहुत अलग सी थी वह। काफी देर तक हम इधर उधर घूमते रहे। बातें करते रहे।

एक बार फिर वह मेरे करीब आती हुई बोली, अपनी गर्लफ्रैंड को हग भी नहीं करोगे ? वह मेरे सीने से लग गई। लगा जैसे वह पल वहीं ठहर गया हो। कुछ देर तक हम ऐसे ही खड़े रहे। मेरी बढ़ी हुई धड़कनें शायद वह भी महसूस कर रही थी। मैंने भी उसे आगोश में ले लिया।

उस पल को ऐसा लगा जैसे आकाश और धरती एक दूसरे से मिल गए हों। कुछ पल बाद उस ने खुद को अलग किया और दूर जा कर खड़ी हो गई। बस, कुछ और हुआ तो हमारे कदम बहक जाएंगे। चलो वापस चलते हैं, वह बोली।

मैं अपने आप को संभालता हुआ बिना कुछ कहे उस के पीछे पीछे चलने लगा। मेरी सांसें रुक रही थीं। गला सूख रहा था। गाड़ी में बैठ कर मैं ने पानी की पूरी बोतल खाली कर दी।

सहसा वह हंस पड़ी, जनाब, ऐसा लग रहा था जैसे शराब की बोतल एक बार में ही हलक के नीचे उतार रहे हो।

उसके बोलने का अंदाज कुछ ऐसा था कि मुझे हंसी आ गई। सच, बहुत अच्छी हो तुम। मुझे डर है कहीं तुम से प्यार न हो जाए, मैंने कहा।

छोड़ो भी यार !! मैं बड़ी हूं तुम से, इस तरह की बातें सोचना भी मत।

मगर मैं क्या करूं ? मेरा दिल कुछ और कह रहा है और दिमाग कुछ और। चलता है, तुम बस आज की सोचो और यह बताओ कि हम लंच कहां करने वाले हैं ?

एक बेहतरीन जगह है मेरे दिमाग में। पुनिता के साथ आया था एक बार। चलो वहीं चलते हैं !!

मैंने वृंदावन रैस्टोरैंट की तरफ गाड़ी मोड़ते हुए कहा, घर के खाने जैसा बढि़या स्वाद होता है यहां के खाने का और अरेंजमैंट देखो तो लगेगा ही नहीं कि रैस्टोरैंट आए हैं। गार्डन में बेंत की टेबलकुरसियां रखी हुई हैं।

रैस्टोरैंट पहुंच कर उत्साहित होती हुई चित्रा बोली, सच कह रहे थे तुम। वाकई लग रहा है जैसे पार्क में बैठ कर खाना खाने वाले हैं हम… हर तरफ ग्रीनरी। सो नाइस !! सजावटी पौधों के बीच बेंत की बनी डिजाइनर टेबलकुरसियों पर स्वादिष्ठ खाना, मन को बहुत सुकून देता होगा। है न ?

मैं खामोशी से उस का चेहरा निहारता रहा। लंच के बाद हम 2-1 जगह और गए। जी भर कर मस्ती की। अब तक हम दोनों एक दूसरे से खुल गए थे। बातें करने में भी मजा आ रहा था। दोनों ने ही एक दूसरे की कंपनी बहुत ऐंजौय की थी, एक दूसरे की पसंद नापसंद, घर परिवार, स्कूल कालेज की कितनी ही बातें हुईं। थोड़ी बहुत प्यार भरी बातें भी हुईं। धीरे धीरे शाम हो गई और उस के जाने का समय आ गया।

मुझे लगा जैसे मेरी रूह मुझ से जुदा हो रही है, हमेशा के लिए। कैसे रह पाऊंगा मैं तुम से मिले बिना ? नहीं चित्रा, तुम्हें अपना नंबर देना होगा मुझे, मैंने व्यथित स्वर में कहा।

आर यू सीरियस ? यस आई ऐम सीरियस, मैं ने उस का हाथ पकड़ लिया, मुझे नहीं लगता कि अब मैं तुम्हें भूल सकूंगा। नो प्रिया, आई थिंक आई लाइक यू वैरी मच।

वह डील न भूलो पुष्पक -  चित्रा ने याद दिलाया। मगर दोस्त बन कर तो रह सकते हैं न ? नो, मैं कमजोर पड़ गई तो ? यह रिस्क मैं नहीं उठा सकती। तो ठीक है। आई विल मैरी यू, मैंने जल्दी से कहा।

उससे जुदा होने के खयाल से ही मेरी आंखें भर आई थीं। एक दिन में ही जाने कैसा बंधन जोड़ लिया था उस ने कि दिल कर रहा था हमेशा के लिए वह मेरी जिंदगी में आ जाए। वह मुझ से दूर जाती हुई बोली, गुडबाय पुष्पक, मैं शादी वहीं करूंगी जहां पापा चाहते हैं। तुम्हारा कोई चांस नहीं। भूल जाना मुझे।

वह चली गई और मैं पत्थर की मूर्त बना उसे जाते देखता रहा। दिल भर आया था मेरा। ड्राइविंग सीट पर अकेला बैठा अचानक फफकफफक कर रो पड़ा। लगा जैसे एक बार फिर से पुनिता मुझे अकेला छोड़ कर चली गई है। जाना ही था तो फिर जरूरत क्या थी मेरी जिंदगी में आने की। किसी तरह खुद को संभालता हुआ घर लौटा। दिन का चैन, रात की नींद सब लुट चुकी थी। जाने कहां से आई थी वह और कहां चली गई थी ? पर एक दिन में मेरी दुनिया पूरी तरह बदल गई थी। देवदास बन गया था मैं !!

 इधर घर वाले मेरी सगाई की तैयारियों में लगे थे। वे मुझे उस लड़की से मिलवाने ले जाना चाहते थे, जिसे उन्होंने पसंद किया था। पर मैंने साफ इनकार कर दिया। मैं शादी नहीं करूंगा, मेरा इतना कहना था कि घर में कुहराम मच गया।

क्यों, कोई और पसंद आ गई ? मां ने अलग ले जा कर पूछा। हां !! मैंने सीधा जवाब दिया। तो ठीक है, उसी से बात करते हैं।

पता और फोन नंबर दो। मेरे पास कुछ नहीं है। कुछ नहीं, यह कैसा प्यार है ? मां ने कहा !!

क्या पता मां, वह क्या चाहती थी ? अपना दीवाना बना लिया और अपना कोई अतापता भी नहीं दिया। फिर मैंने उन्हें सारी कहानी सुनाई तो वे खामोश रह गईं।

6 माह बीत गए। आखिर घर वालों की जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा। लड़की वाले हमारे घर आए। मुझे जबरन लड़की के पास भेजा गया। उस कमरे में कोई और नहीं था। लड़की दूसरी तरफ चेहरा किए बैठी थी। मैं बहुत अजीब महसूस कर रहा था।

लड़की की तरफ देखे बगैर मैंने कहना शुरू किया, मैं आपको किसी भ्रम में नहीं रखना चाहता। दरअसल मैं किसी और से प्यार करने लगा हूं और अब उस के अलावा किसी से शादी का खयाल भी मुझे रास नहीं आ रहा। आई एम सौरी। आप इस रिश्ते के लिए न कह दीजिए।

सच में न कह दूं ? लड़की के स्वर मेरे कानों से टकराए तो मैं हैरान रह गया।

यह तो चित्रा के स्वर थे। मैंने लड़की की तरफ देखा तो दिल खुशी से झूम उठा। यह वाकई चित्रा ही थी। तुम ? हां मैं, कोई शक ? वह मुसकराई। पर वह सब क्या था चित्रा ?

दरअसल, मैं अरेंज्ड नहीं, लव मैरिज करना चाहती थी। अत: पहले तुम से प्यार का इजहार कराया, फिर इस शादी के लिए रजामंदी दी। बताओ कैसा लगा मेरा सरप्राइज।

बहुत खूबसूरत, मैंने पल भर भी देर नहीं की कहने में और फिर उसे बांहों में भर लिया।


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