चुड़ैल का खाना
चुड़ैल का खाना
सुमित और कामिनी छुट्टियां बिताने के लिए उत्तराखंड जाते हैं, वहां उन्हें जिम कार्बेट नेशनल पार्क भी घूमना था, और आज पास के धार्मिक और मनोरम स्थलो को भी देखना था, ।"
दोनों ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे, हमेशा प्रभु का नाम भी स्मरण करते रहते थे, उन लोगों ने जिम कार्बेट के पास हो एक रिसॉर्ट में कमरा बुक करवा चुके थे, वह दोनों रिजॉर्ट में पहुंच जाते है, रिजॉर्ट बहुत ही सुंदर स्थान पर बना था, उसके पीछे की ओर एक पहाड़ी नदी बह रही थी, तो चारों ओर पहाड़ियों का झुंड था, और एक ओर जंगल, बहुत ही मनोरम स्थल था।"
दोनों चेक इन करने के बाद थोड़ी देर के लिए घूमने निकल गए थे, उन्होंने बोर्ड पर लगे सूचना पर ध्यान नहीं एफएमडीआईया था, जिस पर लिखा था की रात का खाना सिर्फ नौ बजे तक मिलेगा, और जिसे देर खाना हो वह ऑर्डर कर दे तो उसका खाना उसके रूम में रखवा दिया जाएगा, वैसे भी वहां पर रात आठ बजे ही सब बंद हो जाता था।
वह दोनों बाहर थोड़ी दूर निकल जाते हैं, और आते आते उन्हें साढ़े नौ बज जाते हैं, कूक जा चुका था रेस्टोरेंट बंद ही गया था, उनके पास शराब तो अपनी थी पर खाने की व्यवस्था तो थी नहीं, उन्होंने तो सोचा था की हर हाल में रात दस बजे तक, खाना तो मिल ही जायेगा।"
पर बोर्ड पर ध्यान जाते ही उनके होश उड़ जाते हैं, कामिनी कहती है, यार पेट में चूहे कूद रहे हैं, और यहां तो खाने के लिए कुछ नहीं मिलेगा, एक वेटर जो सोने जा रहा था कहता है, तुम्हारे पास गाड़ी है तो पास ही एक ढाबा है, वहां चले जाओ अभी खाना मिल जायेगा।"
वह दोनों तुरंत निकलते हैं और बाहर उस ढाबा को खोजने लगते हैं पर वह ढाबा उन्हें नहीं मिलता है, दोनों परेशान एक झोपड़े के पास खड़े थे, तभी एक बारह तेरह साल की लड़की दिखाई देती है, जो उनके पास आकर पूछती है, " आप लोग भूखे हो खाना खोज रहे हो।"
दोनों चौक कर उसकी ओर देखते हैं तो वह बहुत ही मासूम लग रही थी।"
कामिनी पूछती है " तुम्हें कैसे पता चला की हम भूखे हैं।"
मुझे पता है की इतनी रात में लोग यहां खाना ही खोजते है करीब करीब रोज रात में लोग ढाबा खोजते यहां आते है, इस समय वह ढाबा भी बंद हो गया होगा, और नहीं भी हुआ होगा तो तुम्हारे पहुंचने तक हो जायेगा, पर तुम दोनों टेंशन मत लो आओ मेरे घर चलो सामने ही है, मेरी मां ने खाना बना रखा है, चलो जल्दी मेरे पिता के आने से पहले खा कर चले जाओ, हैं फ्री में नही खिलाएंगे खाने का दाम लगेगा, मुर्गा खाना है, या फिर सब्जी रोटी दोनों का ही अलग अलग कीमत है, हम रोज रात में खाना बनाते है, और रोज रात में कोई न कोई ग्राहक आ ही जाता है, ।"
दोनों को भूख अधिक ही लगी थी, उनके पास शराब की बॉटल बैग में थी, वह उसके साथ सामने के एक कच्चे घर में जाते हैं, घर कच्चा जरूर था, पर मजबूत था, और उसमें तीन कमरे थे, बाहर एक छोटा सा आंगन था जिस में एक सुंदर सी महिला भोजन बना रही थी, वह दो तीन लोग पहले से खा रहे थे, वह उन्हें देख कहती है " आओ आ जाओ बैठो खाना तैयार है क्या खाओगे।"
वह एक तरफ देखती हुई बड़ी सधी हुई आवाज में कहती है, " पर जल्दी खा कर निकलो मेरा पति आता होगा और वह बहुत ही गुस्सैल है, पूछो इन लोगों से।"
जो तीन लोग खा रहे थे, तीनों साथ ही कहते हैं, " हां बहुत गुस्से वाले हैं, और उन्हें अधिक गुस्सा आ गया तो जान से ही मार देते हैं।"
सुमित कहता है " एक काम करिए, हमें एक प्लेट चावल, पांच रोटी, एक चिकन मसाला, या जो भी बनाया हो, और एक प्लेट सब्जी पार्सल कर दीजिए जल्दी करिए हैं होटल जाकर खा लेंगे।
एक खाना खा रहा आदमी कहता है, " अरे ये तो बड़े होशियार है, बढ़िया है, खाना लो और भाग लो।"
लड़की की मां उन्हें खाना एक बर्तन में बांध कर देते हुए कहती है" बर्तन सुबह रख जाना।"
दोनों खाना लेते हैं, तभी तेज आवाज आने लगती है, वह सुन वह महिला कहती है, तुम दोनों जल्दी से छुप जाओ मेरा पति आ गया है, उसके सोने तक छुपे रहना और कुछ भी हो बाहर मत निकालना वह सो जाए तभी बाहर निकलना और अपने स्थान पर चले जाना।"
वह इन दोनों को एक और छुपने का इशारा करती है, दोनों पता नहीं क्यों घबराकर उस ओर जाकर छुपते हैं, तभी एक आठ फुट का लंबा चौड़ा आदमी आता है, और वह आते ही पहले अपनी बेटी को उठाकर फेंकता है वह उनके पास आकर चीखती हुई गिरती है, दोनों एकदम से घबरा जाते हैं।
वह आदमी पहले से खा रहे आदमी से पूछता हैं, " कौन आया था यहां, कहां गए।"
तीनों घबरा कर कहते हैं, " हम तो खाने में व्यस्त थे हमने कुछ भी नहीं देखा।"
यह सुन वह आदमी गुस्से में उसकी गर्दन ही खींच कर निकाल कर फेंक देता है, उसका धड़ वहीं तड़पने लगता है, कामिनी के मुख से चीख निकलने वाली थी कि सुमित उसका मुंह अपने हाथ से दबा देता है।"
वह आदमी अपनी पत्नी को देखता है और पूछता है, " कहां भेज दिया मेरे शिकार को ?"
वह अपनी पत्नी की गर्दन पकड़ता है तो कामिनी की चीख निकल पड़ती है, तभी वह लड़की उठ खड़ी होती है और अजीब सा मुंह बना कर बोलती है, " तुम दोनों को माना किया था ना बोलने को अब भागो यहां से नहीं तो मेरा प्रेत बाप तुम लोगों को नहीं छोड़ेगा ।"
सुमित घबरा कर कहता है, " तुम्हारा बाप प्रेत है, क्या बकवास कर रही हो।"
वह लड़की अचानक भयानक रूप में आकर कहती है, " क्यों तुम्हें मेरी बात पर भरोसा नहीं है।"
यह देख दोनों की ही चीखे निकल पड़ती है, उनकी चीख सुन कर वह प्रेत उनकी ओर देखता है, और उनकी ओर बढ़ने लगता है, तो उसकी पत्नी कहती है, " खबरदार जो उन्हें कोई नुकसान पहुंचाया वो हमारे मेहमान हैं, भूखे थे तो बेटी उसे ले आई।"
वह आगे बढ़ने लगता है तो, उसकी पत्नी अचानक भयानक चुड़ैल का रूप धारण करती है और कहती है, " तुम अब भी सुधरना नहीं चाहते हो, अरे अब तो हमें इस योनि में अच्छे से रहने दो, कुछ अच्छे कार्य करने दो ताकि हम मुक्त हो सके।"
उसका प्रेत पति उसे धकेलना चाहता है तो वह चीख कर कहती है, तुम दोनों भागो नहीं तो ये शैतान तुम्हें मारकर खा जायेगा।"
उसकी लड़की भी कहती है, भागो यहां से दूर भागो।"
दोनों हड़बड़ा कर भागने लगते है, तो प्रेत अपनी पत्नी की गर्दन तोड़ता है, तो वह इस से चिपक कर उसे रोकने का प्रयास करती है, यह देख उसकी बेटी और वह तीनों भूत भी उसको पकड़ते हैं, और उन दोनों को भागने को कहते हैं।"
दोनों भागते हैं, वह प्रेत भी चीखता हुआ पहले अपनी पत्नी को उठाकर पटक देता है, तभी उसकी बेटी उस पर सवार हो, उसके सर को दांतो से नोचने लगती है।"
सुमित और कामिनी दौड़ कर बाहर आते हैं और दूर खड़ी अपनी गाड़ी की ओर भागते हैं, वह गाड़ी में बैठते हैं, गाड़ी स्टार्ट करने लगते है, पर गाड़ी स्टार्ट नहीं होती है, कामिनी देखती है की वह प्रेत उनके पास आ रहा है और वह बच्ची और तीनों भूत उसको पीछे खींच रहें थे, , !!
कामिनी चीखती हुई कहती है, जल्दी करो वह आ रहा है।"
वह प्रेत उस तक पहुंचे उसके पहले ही गाड़ी स्टार्ट हो जाती है, वह दोनों तेज़ी से वहां से जाते है, और घबराए हुए अपने होटल पहुंचते हैं, अच्छी बात ये थी की खाने का बर्तन उनके साथ ही था, कमरे ने पहुंच कर मारे डर के वह दोनों पहले शराब पीते हैं।"
फिर कामिनी कहती है, " हम लोग सच में बच गए, चलो जिसके लिए इतनी तकलीफ उठाई खाना तो खा लें।"
सुमित जैसे ही बर्तन खोलता हैं दोनों की मुंह से चीख निकलती है और दोनों ही बेहोश हो जाते हैं, खाने के बर्तन में कीड़े बिलबिला रहे थे, रोटी की जगह बदबूदार गंदगी था, और भी इसी प्रकार की घृणित समान उस बर्तन में था यह देख दोनों ही डर के मारे में बेहोश हो जाते हैं।"
सुबह ही दोनों होटल चेक आउट कर वहां से तुरंत वापस निकलते हैं।"

