चरित्र वान वर चाहिए चरित्रहीन
चरित्र वान वर चाहिए चरित्रहीन
अभिजीत जी के दो बेटों के बाद बहुत ही मन्नत से एक लड़की हुई। उसकी बहुत ज्यादा मान जान होता था। अपने भाइयों की लाड़ली थी। माँ, बाप का कहना ही क्या क्योंकि बहुत मन्नत के बाद हुई थी।
बेटी बड़ी हो रही है अभिजीत जी और हेमा जी बेटी के शादी के बारे में मन ही मन विचार कर रहे हैं। अब 11 साल की हो गयी। जल्दी से पढ़ाई पूरी हो अच्छा घर वर देख कर शादी कर देंगे। जो मेरी बेटी (इति )का बख़ूबी ध्यान दे जैसे हमारी लाड़ली है वैसे अपने ससुराल की लाड़ली बने।
समय की रफ़्तार आगे बढ़ती जा रही है। बड़े बेटे शान के लिए लड़की देख लिया। लड़की पसन्द चट मंगनी पट व्याह करके फुर्सत ले लिए,अब दूसरे बेटे का नम्बर लगा दिए। गाँव नगर रिश्तेदारों में हर जगह बात फैला दिए कि अबकी साल छोटे बेटे मधुर की शादी करके फुर्सत ले लेंगे।
बस हमे लड़की पढ़ी लिखी और संस्कार वाली चाहिए। जो हम सबकी इज्ज़त कर सके। और हम सबके साथ घुल मिल रहे। हमेशा मेरे घर मे खुशहाली का माहौल बना रहे। हमे ज्यादा सुंदर लगी नहीं चाहिए । हम लोग जैसे हैं उसी अनुसार लड़की चाहिए।
मधुर के लिए रिश्ता आया और रिश्ता मंजूर हो गया। शादी की तैयारी जोर शोर से हो रही है। सब अपने अपने मे मस्त हैं। शान के पत्नी के लिए बहुत ही अच्छा मौका और अच्छा माहौल था। उसके आने के बाद पहली शादी ओ भी देवर की ओ सबसे ज्यादा खुश थी।
शादी हो गई नई नवेली दुल्हन घर आ गयी। दोनो बहुओं में अच्छा ताल मेल बना। दोनो एक दूसरे का सम्मान करती थी। अब बेटी इति का नम्बर आ गया। लड़का ढूढ़ते ढूढ़ते सब परेशान हो गए। कोई लड़का ही न अच्छा मिल पा रहा था।
एक दिन अभिजीत जी ने अपने पास बुलाकर पूछतुम्हें कैसा लड़का चाहिए। तो इति का जवाब मिला पापा "चरित्र वान हो चरित्रहीन नहींं बेटी का जवाब मिला फिर सोचने लगे।
मेरी बेटी बहुत बड़ी बात कह दी। बेटा एक चीज और बताना यदि किसी लड़के को तुम जानती हो तो बेहिचक बता सकती हो मेरी तरफ से कोई बंदिश नहीं होगी।
नहीं पापा ऐसा कुछ भी नहीं है। अगर होता तो आपके बिना पूछे बता चुकी होती। फिर लड़के के तलाश में दूसरे दिन निकल गए। एक लड़का कोई बताया कि थोड़ा सा विकलांग है। लेकिन पढ़ा लिखा बहुत है। सरकारी नौकरी है। एक कमी के लिए कोई शादी के लिए नहीं आ रहा है। अरे तुम्हारा दिमाग खराब है। तुम क्या बक रहे हो। मेरी एकलौती बेटी जानबूझकर कैसे विकलांग से शादी करूँगा। इस बात को घर आकर अपनी बेटी से पूछे कि बेटी किसी ने गलतफहमी में एक लड़का बता दिया। मैंने उसको खूब डाँटा ।
बेटी ने इस रिश्ते को हाँ कर दिया। अपने पापा को इस रिश्ते को देखने के लिए दूसरे दिन भेज दिया। अभिजीत जी लड़का देख कर खुश हो गए। अथाह खूब सूरत बस एक कमी विकलांग ओ भी ज्यादा नहीं था। फोटो लेकर आये और घर पर सबको दिखाए। माँ हेमा जी बहुत दुखी हुई। कि मेरी बेटी का विकलांग के साथ शादी करेंगे।
बेटी ने उस लड़के के बारे में पता लगाना शुरू किया। वह विकलांग पैदायसी था। पढ़ने में बहुत तेज था। इस वजह से नौकरी भी मिल गयी। परिवार बहुत छोटा था। एक लड़का दो बहन थी। सारी जानकारी इकट्ठा हो जाने के बाद सबसे पहले उसके चारित्रिक दोष को पता किया। फिर शादी का शगुन भेजवा दिया।
शादी तय हुई। सारे रश्मों रिवाज के बाद जब लड़का और लड़की मिले तो लड़के ने पूछा आप ने मेरे अंदर क्या खूबी देखी की आप मुझसे शादी कर रही हैं। मैं तो एक विकलांग व्यक्ति हूँ। मेरे नौकरी के अलावा मेरे पास कुछ भी नहीं है। बस है तो दो बहन एक माँ बस इति ने बोला तुम्हारे अंदर एक चीज मुझे जो अच्छी लगी ओ है चारित्रिक दोष नहीं है। वही हमें चाहिए।
कम से कम आप मेरी इज्जत तो करेंगे। अगर मैं किसी और जगह की होती शादी शायद मेरी किस्मत में सब अच्छा नहीं लिखा होता। और जोड़ी ऊपर वाला बनाकर भेजता है। यहाँ केवल लोग माध्यम बनते हैं कि हमने बताया उनके लड़के की शादी या उनकी लड़की की शादी। मुझे ऐसा लड़का चाहिए था। जो चरित्र वान हो। सो तुममें हमने देखा।
दोनो हँसी खुसी अपने घर गए। अपने नए जीवन के सफर को आसान बनाने के लिए प्रेम, विश्वास को आगे रखेंगे तो आपके हमारे रिश्तों में कभी भी दरार नहीं आने पायेगी।
