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Ashish Dalal

Drama Others

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Ashish Dalal

Drama Others

चरित्र प्रमाण पत्र

चरित्र प्रमाण पत्र

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‘‘सर, आपके कहे अनुसार सारे डाक्यूमेंट्स लेकर आया हूं मैं अबकी बार। देख लीजिये।’’ उसने अपनी फाइल टेबल पर रखते हुए कहा।


‘‘हाँ... हाँ... ठीक है। कल सुबह दस बजे आ जाना। बड़े साहब नहीं है अभी।’’ बड़े साहब के असिस्टेन्ट ने उसे ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहा।


‘‘कल दस बजे? पर पहले तो आपने कहा था कि आज ही सारा काम हो जाएगा।’’


‘‘कहा था, तो ? अब कह रहा हूँ न कि नहीं होगा आज।’’ असिस्टेंट ने सहज ऊंचे स्वर में कहा।


‘‘ठीक है सर, जैसी आपकी मर्जी। अगर आज काम हो जाता तो कल मेरा नौकरी का दिन नहीं बिगड़ता। इसी से आपसे विनती कर रहा था।’’ असिस्टेंट का मूड भांपकर वह केबिन से बाहर जाने लगा।


‘‘अरे सुन।’’ असिस्टेंट ने उसे पुकारा। आंखों में काम हो जाने की आशा के साथ वापसी को उठे उसके कदम रुक गए।


‘‘तेरे जैसे भले इंसान को देखकर एक सलाह दे रहा हूं मुफ्त में।’’


‘‘क्या सर ?’’ असिस्टेंट की बातें सुनकर उसकी आंखों में चमक आ गई।


‘‘यहां कोई भी काम चाय पानी के बिना नहीं होता। थोड़ा बहुत तो देना ही होता है तो ही काम फटाफट होता है।’’ असिस्टेंट ने धीमे स्वर में कहा।


‘‘मतलब ?’’ उसकी आंखों में अब प्रश्न तैर रहा था।


‘‘मतलब साफ है। कुछ ले देकर अपना काम करवा ले, नहीं तो महीनों तक धक्के ही खाता रहेगा।’’


असिस्टेंट की बात का मर्म जानकार उसने सौ रुपये की नोट उसके आगे रख दी।


‘‘चरित्र प्रमाण पत्र लेने के लिए ये कुछ कम है।’’ उसकी फाइल हाथ में लेते हुए असिस्टेंट ने कहा।


दूसरी सौ रुपये की एक और नोट उसने टेबल पर रख दी।


एक भ्रष्ट कर्मचारी के हाथों से अपना चरित्र प्रमाण पत्र लेकर वह क्राइम ब्रांच की शाखा से बाहर निकल गया।


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