चॉकलेट दिवस
चॉकलेट दिवस
सुनने में आया है ,आज चॉकलेट डे है। " अरे वाह चलो दुकान से चॉकलेट मंगवाए"। तभी विचार मन में आया। हम चॉकलेट खाएंगे। सब लोगों की आंखें मेरी तरफ चॉकलेट डे पर चॉकलेट नहीं खाएंगे तो क्या खाएंगे। सब लोग गंभीर सोच में पड़ गए। क्या यह ठीक तो है चॉकलेट डे पर चॉकलेट मंगवानी ही चाहिए। सबकी सोच मेरे से और मेरी सोच सब से बहुत अलग थी। जहां एक और मेरे मन में चल रहा था चलो चॉकलेट डे है मिठास उस चॉकलेट में कहां है जो मीठी बातों में वह मिठास उस चॉकलेट में कहां है जो हम सब के दिल में छुपी उस खुशी और गम में है। पर सबने चॉकलेट भी मंगवाई! चलो 'आई है तो तुम भी खा लो' पीछे से आवाज आई। चॉकलेट खाने में कोई दिक्कत नहीं थी। बस मन था कि कुछ मीठी-मीठी बातें हो जाए। चॉकलेट खा ली अब हम सब आराम से चुपचाप बैठ गए।
वहीं से एक प्यारा सा डॉगी भागते हुए आया। डॉगी को देखकर विचार थोड़ा सा मन में आया नहीं मैंने बुलाया ना ही आवाज लगाई तो यह मेरी तरफ क्यों दौड़ा आया। हाथ में चॉकलेट थी वह मेरे हाथ को देखें मैं उसे देखूं हालांकि बेजुबान था पर यह किसने कहा था कि वह बोल ही नहीं सकता। उसने अपना हाथ मेरी और बढ़ाया मैंने भी बढ़ाया तभी उसे छोटा सा टुकड़ा चॉकलेट का देकर सामने रखा। उसने झटपट खा लिया जैसे लगे उसे और चाहिए मैंने सारी चॉकलेट उसे दे दी। चॉकलेट खाने के बाद जो खुशी उसके चेहरे पर थी वह ऐसा लगता जैसे मेरे दिल में जो चल रहा था मेरी मनोकामनाएं वह सारी पूरी हो चुकी है। जब हम सब ने मिलकर चॉकलेट खाई इतना मजा कहां आया था जैसे ही बाहर निकली थी जो डॉगी ने खाई ऐसा लगा बातें भी हो गई दुख सुख भी बांट लिए अब थोड़ी मिठास बांट लेते हैं इतनी खुशी इतना उत्साह हम ने मनाया। वह मजा उन लोगों के साथ नहीं जो बेजुबानओं के साथ है चॉकलेट डे चॉकलेट खाकर नहीं मिठास बांटकर मनाया जाता है और मेरे जीवन में मेरी जिंदगी में चॉकलेट डे का यही महत्व है।