Dishika Tiwari

Children

4.5  

Dishika Tiwari

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दिल की बात दिल ही जाने....

दिल की बात दिल ही जाने....

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बात कुछ ऐसी है। नया साल निकल गया कब 15 तारीख आ गई कुछ पता ही नहीं लगा। ऐसा लग रहा है आज ही तो 1 जनवरी है। अगर सोचा जाए तो वक्त कैसे बीत रहा है जैसे हाथ में से रेत छुट्टी जा रही हो। मार्च में 1 साल हो जाएगा। हम लोग स्कूल नहीं गए। दिल भी सोचता है मन भी सोचता है लेकिन कहां है ना कि जब किसी को दुख होता है तो जिस व्यक्ति को हो रहा है वही व्यक्ति जानता है कि दुख क्या है। ऐसे ही दिल ही जानता है कि दिल की बात क्या है । दिल में बहुत सारे विचार उत्पन्न हो रहे हैं। यह तो सिर्फ कहने की बात है कि घर में हम बोर होते हैं। शायद अब यह भी कोई ही जान पाए कि घर में बोर होने का सवाल ही नहीं उत्पन्न होता। परिवार के साथ इतने घुल मिल जाते हैं फिर कभी लगता ही नहीं कि एक पल के लिए भी हम दूर रह पाएंगे। पहले कहां दूसरे शनिवार का इंतजार रहता था। अब छुट्टी मिलेगी तो आज आराम से घर में ऐश करेंगे। अब इस मार्च में 1 साल बीत जाएगा अब शायद यह बात भी कहने की होगी कि घर में हम क्या मस्ती ही करते हैं। सबके मन की घंटी बजी घर में मस्ती करने के अलावा काम ही क्या होता है। घर में ऐसे बहुत से काम होते हैं जो शायद मस्ती से थोड़ा सा अलग है। 2 मिनट के लिए बैठो तो मन में फिर एक नया विचार उठता है। लेकिन हम भी कहा उस विचार को जाने देते हैं। किताब उठाई पेंसिल लिया हाथ में और लिखना शुरु कर दिया। शायद हम तब भी पूरा नहीं लिख पाते। क्योंकि दिल में जो चलता है वह बहुत लंबा होता है। मन तो बहुत सी चीजें करने का करता है कविता लिख लो कहानी लिख लो सिर्फ जैसी ही थोड़ी सी देर हो जाए तुम मन बदल जाता है। मेरे दिल का तो यही हाल है। मन करता है कि बस बोलती ही जाऊं बोलती ही जाऊं। आज के लिए बस इतना ही। बाकी के लिए कल भी आएगा ।




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