Dishika Tiwari

Children Stories Inspirational Children

3.5  

Dishika Tiwari

Children Stories Inspirational Children

सारा दिन कैसे बीता ?

सारा दिन कैसे बीता ?

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दिन शनिवार। 13 फरवरी 2021। सुबह की शुरुआत अच्छी होगी ऐसा सोचा था मैंने। रामू ऐसा कहते हुए बड़बड़ आया। सुबह उठा तो देखा उसने अरे भगवान मैंने तो अपना होमवर्क कि नहीं किया अब तो समय भी ज्यादा हो गया मेरे टीचर मुझे पढ़ाने आते ही होंगे। चलो एक ही बात है कि होमवर्क नहीं किया चलो थोड़ा समय बैठकर फटाफट कर लेता हूं। जैसे ही किताब हाथ में उठाई पीछे से मां का ऑर्डर आया बेटा दुकान जाकर जरा चीनी ले आओ चलो अब तो वह समय भी गया जो बचा था। रामू मना नहीं कर सकता था क्योंकि अगर मना करता तो मां से तो डांट पड़ती ही पड़ती साथ में टीचर से तो पढ़नी ही थी। बेचारा चुपचाप मां का कहना मानते हुए बाजार को निकल पड़ा। हर वक्त जब भी सोचता तो डांट के बारे में ही सोचता गलती रामू की भी थी कि उसने कल का सारा वक्त खेलने में निकाल दिया। चीनी लेकर घर को ही जा रहा था। तभी पीछे से लोगों की बहुत भीड़ आई जिसमें सब लोग भाग ही रहे थे अब रामू सोच में पड़ गया अगर मैं ना भागा आगे को तो शायद ही कुचल जाऊंगा रामू ने आगे नहीं देखा ना ही पीछे देखा 420 की रेस में इतनी तेज भागा लोगों की भीड़ उसके पीछे लेकिन रामू के पास एक वक्त पे खड़े होने का समय नहीं था कि वह रुक कर पूछ ले किसी से की है क्यों भाग रहे हैं। रामू आगे बढ़ता चला गया तेज रफ्तार में। लोगों की भीड़ कुछ हद तक कम हो चुकी थी। जब पीछे रामू को लगा कि कोई भी नहीं भाग रहा उसने थोड़े वक्त के लिए रुक कर देखा कि सब लोग कहां चले गए। फिर उसने सामने बैठे बूढ़े काका से पूछा काका काका" क्या आप मुझे बता सकते हैं अभी थोड़ी देर पहले जो लोगों की भीड़ इतनी तेजी से भाग रही थी वह क्यों भाग रही थी। काका खाते हुए बोले" बेटा!! तुम ठीक हो।

रामू ने जवाब दिया हां जी काका मैं ठीक हूं पर आप मुझसे यह सवाल क्यों कर रहे हैं। काका है हैरानी से बोले" बेटा मैंने अभी-अभी टीवी में देखा है कि कुछ कैदी जेल से छूट कर भागे हैं। रामू एकदम हक्का-बक्का होकर रह गया उसकी आंखें खड़ी की खड़ी ही रह गई और मुंह खुला का खुला ही रह गया। रामू की आवाज आई क्या काका खुद कैदी जेल से छूट कर भागे हैं। काका बोले हां बेटा! रामू धन्यवाद करता हुआ आगे बढ़ा। हालांकि उसके बाद समय नहीं था कि अभी जाकर होमवर्क करें।

रामू ने अपने हाथ में पकड़ी चीनी को देखा और क्या देखा कि चीनी तो लिफाफे में से सारी गिर चुकी है। रामू सोच में पड़ गए उसे कुछ समझ नहीं आया आज का दिन मेरा कैसा बीत रहा है एक और जहां मैंने होमवर्क नहीं किया दूसरी ओर इतना समय निकालकर मैं चीनी लेने आया चीनी मैंने ले भी ली थी परंतु वह सारी गिर गई रामू के पास केवल ₹10 थे। जिससे वह अपनी पॉकेट मनी इकट्ठा करता था। अब उसके दिमाग में आया पीछे मुड़ते हुए बोला अब सब कुछ भगवान के हाथ में है जो मेरे से माने लाने के लिए कहा है मैं वह लेकर ही घर लौटूंगा भगवान मेरे साथ रहेगा मेरी रक्षा करिएगा मेरी काम में कोई बाधा ना आए ऐसा आशीर्वाद दीजिएगा रामू चीनी लेने के लिए वापस दुकान गया चीनी ले कर घर लौटा लौटने के बाद मां ने पुछा बेटा इतनी देर कहां लगा दी तुमने रामू मुस्कुराते हुए बोला यह लो मां तुम्हारी चीनी अब तो सब भगवान के हाथ में मां कुछ समझ नहीं पाई हाथ में चीनी लेकर किचन की और बढ़ गई रामू हाथ धोकर किताब उठाई और होमवर्क फिनिश करने लग गया और भगवान का करिश्मा यह हुआ कि उस दिन उसके टीचर ही नहीं है समय आगे निकल गया रामू ने मां से पूछा मां मेरी टीचर कब आएंगे मां ने जवाब दिया बेटा उनका फोन आया था उनकी आज छुट्टी है। रामू ने हाथ जोड़े और मुस्कुराया बोला और बोला जाको राखे साइयां मार सके ना कोय।


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