Dishika Tiwari

Children Stories Inspirational Children

3.5  

Dishika Tiwari

Children Stories Inspirational Children

किताबें

किताबें

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बचपन से ही हर माता-पिता की आस यही होती है कि उनका बच्चा उनसे भी आगे निकले पढ़ाई में उच्च शिक्षा मिले उसे अपनी मंजिल को छुए माता-पिता का नाम रोशन करें। बड़ों का आदर करें। अच्छे संस्कार हो। माता पिता की हर सीख को साथ लेकर चले। किताबें बाकी हाथ किताबों की आती है। विद्या हमें किताबों से ही तो मिलती हैं अगर किताबें नहीं होंगी तो कहां से पता लगेगा की हम विद्या को कैसे हासिल करें किताबें सच्ची मित्रता निभाती हैं। जो इनके साथ सच्चे मन से सच्चे दिल से दोस्ती कर लेता है। यह किताबें उनका साथ जिंदगी तो क्या जन्मो तक भी नहीं छोड़ते मान लीजिए कि अगर आप दूसरे देश जाते हो आपके पास क्या है कि आपने विद्या हासिल कर रखी यह तो हम सबको पता है कि हम समझदार हैं होशियार हैं हमने इस क्लास को पास कर हम आगे बढ़ गए। विद्या को हासिल कैसे किया ?

ॉकिताबों की मदद से समझे अगर वहां पर आपका कोई भी नहीं है लेकिन एक है अगर आप किताबों को पढ़ने आपको वहां की भाषा वहां का रहन सहन सब समझ आ जाएगा चलिए अब एक और रोशनी डालते हैं एक छोटी सी कहानी की जो मेरे से जुड़ी है । बचपन में थी तुम मुझे किताबों का इतना शौक नहीं मैं तो यह भी नहीं जानती थी कि किताबों से हम कितना आगे बढ़ सकते हैं जो कॉपी में लिखा याद कर लिख दिया। लेकिन जब एक दिन एक ऐसा वक्त आया जहां मेरे पास कुछ भी नहीं था ऐसा सवाल जिसका उत्तर मानो किताबों में ही हो हालांकि हर प्रश्न का उत्तर किताबों में ही होता है पर कुछ प्रश्नों का उत्तर हमारे दिमाग में होता हैं। जब मुझसे एक कठिन प्रश्न पूछा गया मैं तो हक्का-बक्का रह गई मुझे उस प्रश्न का उत्तर कहीं से भी नहीं मिल पाया। लेकिन एक किताब जो मेरे सामने उसके अंदर ही उस प्रश्न का उत्तर था यह मुझे नहीं पता था। बस एक वही किताब रह गई थी जिसे मैंने देखा नहीं पढ़ा नहीं। पीछे से आवाज आई सभी बच्चे जल्दी उत्तर दे जो बच्चा सबसे पहले उत्तर देगा वही इस खेल का विजेता होगा।

विजेता तो छोड़िए मैंने कुछ नहीं सोचा था सामने पड़े किताब को उठाया पकड़ा सामने वाले पन्ने पर क्या लिखा उसे पढ़ा किताब को खोला और फिर क्या उसके पहले पन्ने पर ही उस प्रश्न का उत्तर था हैरानी की बात तो यह थी सामने पड़ी किताब को ना उठाकर मैंने देखा नहीं मेरा ध्यान गया। बाकी सभी किताबों को देख लिया वही किताब रह गई फिर क्या किस बात की देरी उत्तर पड़ा और अध्यापक को जवाब दे दिया। अभी भी हैरानी की बात है क्या मुझे उत्तर सही है या गलत और चमत्कार दिखलाया वे उत्तर सही हुआ और विजेता मुझे घोषित किया गया। तब से किताबों को अपना दोस्त अपने परिवार का हिस्सा अपना एक प्यारा सा मित्र बनाकर जहां जाती वहां ले जाती हूं।


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