एक प्यारी मुलाकात....
एक प्यारी मुलाकात....
बचपन की बात है। मैं नन्ही सी बहुत छोटी थी। दूसरी कक्षा की छात्रा थी। सही क्या था गलत क्या था इसकी ज्यादा पहचान नहीं थी। फिर मेरी मुलाकात हुई एक प्यारे से पक्षी से। सुनकर हैरानी तो होती होगी। उस प्यारे से पक्षी का नाम है। वैसे तो पूरा संसार उसे कौवा कहकर बुलाता है। परंतु मैं उसको मिट्ठू नाम से बुलाया करती थी। वह कौवा रोज आया करता था। यह तो हम सभी जानते हैं कि घर की बालकनी में हम लोग पक्षियों के लिए पानी रोटी रख दिया करते हैं। लेकिन शायद यह कभी हम नहीं जान पाते कि वह पक्षी इसी रोटी और पानी का बहुत इंतजार करते हैं। ऐसी ही मेरी मुलाकात हुई थी मेरे प्यारे से मिट्ठू से। हम भी अपनी बालकनी में पानी और रोटी रखा करते थे। लेकिन कभी मैंने यह नहीं सोचा था कि अगर कोई भी आएगा तो वह मेरे दिल के इतना करीब बन जाएगा। कौवे तो बहुत आया करते थे उसमें से मिट्ठू सबसे अलग था। मैं तो बहुत छोटी थी। और मिट्ठू बहुत प्यारा था। अपने पंख फैला कर बैठ जाया करता था। हमारे हाथ से वह सब कुछ खाया करता था। लेकिन यह किसने सोचा था कि हमारी मुलाकात बस थोड़े दिनों की थी। मिट्ठू एक अलग सा लगाव हो गया था। मुझे आज भी याद है मैं अपने हाथों से उसे बिस्कुट खिलाया करती थी। पर अफसोस की बात तो यह है कि हमें अपना घर शिफ्ट करना पड़ गया था किसी कारण की वजह से इसलिए मिट्ठू और हमारी मुलाकात बस थोड़े दिनों की ही रही। पर आज भी मुझे मिट्ठू के रूप में एक प्यारा सा डॉगी मिला है जिसका नाम मैंने टॉमी रखा है। उसके बाद से मेरी और मिट्ठू की मुलाकात नहीं हुई। मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि मिट्ठू जहां पर भी हो सुरक्षित हो और हमारी मुलाकात फिर से हो।