Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

5.0  

Preeti Sharma "ASEEM"

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चमत्कारी बाबा।

चमत्कारी बाबा।

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बाबा जी मंच पर बैठे प्रवचन कर रहे थे। मोह माया त्यागने के लिए अपने भक्तों से कह रहे थे। और उनके आगे लोग पैसे चढ़ा रहे थे। सब मोह माया है। कुछ साथ नहीं जाना है नेहा की सहेली ने बताया । देखो बाबाजी के कितने उच्च विचार हैं ,जबकि बाबाजी खुद फाइव स्टार होटल में समागम से पहले ठहरे थे और एक बड़ी गाड़ी में प्रवचन करने के लिए आए थे। जबकि सुबह से उमड़ी भीड़ अपने बच्चों को लेकर वहां बैठी थी।

नेहा को यह बात अच्छी नहीं लग रही थी। कि कैसे बच्चे रो रहे हैं और लोग दरिया बिछा बिछाकर अपने पूरे परिवार के साथ गुरुजी का इंतजार कर रहे हैं। नेहा को अच्छा नहीं लग रहा था ।

वह अपनी सहेली के साथ आई थी उसकी सहेली ने उनको गुरुजी बनाया हुआ था ।आज से पहले वह कभी ऐसे किसी भी समागम में नहीं गई थी। उसे बहुत अटपटा महसूस हो रहा था।

उसका ध्यान आसपास की औरतों की बातों पर गया ।उन की बातें सुनकर कोई यह रही थी मेरी बेटी की कितने सालों से शादी नहीं हुई बाबाजी ही कृपा से हो गई ।कोई कह रही थी मेरे बेटे की नौकरी नहीं लग रहा थी। इतने सालों से वह गुमराह था। उसकी नौकरी लग गई ।

सारे बाबा जी के दुख निवारण चरित्र का भरपूर प्रचार कर रहे थे ।सारा दिन लोगों की भीड़ बच्चों की चहचहाहट और फ़िल्मी कलाकारों ने बाबा जी के आने तक स्टेज को संभाले रखा। बाबा के आते ही सारे माहौल में परिवर्तन आ गया। लोग धरती पे लेट-लेट की बाबा जी को प्रणाम कर रहे थे नेहा को यह सारा तमाशा लग रहा था । उसे लग रहा था आज उसकी बचपन की सहेली से बाबाजी की वजह से साथ छूट जाएगा।

लोग बिना सोचे समझे ऐसी सोच कैसे रखते हैं ।बाबा आपके दुख निवारण कर देगा और कितने लोगों के दुख निवारण हो गए । लेकिन पता नहीं इस भीड़ को कौन से चमत्कार का इंतजार है कुछ लोगों ने बाबा को आते ही सिर घुमाने शुरु कर दियें । कुछ औरतें कह रही थी बाबाजी के हाथ रखते ही इनके भूत प्रेत निकल जाएंगे ।

नेहा के लिए अब पता करना बहुत मुश्किल हो रहा है तभी बाबा जी ने प्रवचन की

 धन, वैभव, ऐश्वर्य का कोई मूल्य नहीं है। सभी कुछ यही छूट जाना है हमारे साथ कुछ नहीं जाना है तो बाबाजी प्रवचन करने का लाखों रुपयें क्यों वसूल रहे थे।

भी है नेहा की मन में उधेड़- बुन लगी हुई थी लेकिन यह आधा सत्य ही है। एक ना एक दिन मरना है फिर हम किस लिए जोड़े जिसने इतना जोड़ा वह भी छोड़ के गया है नेहा बाबा जी की बातों पर सोच रही थी ।  

जो लोग इतिहास हो चुके हैं। उन्हें आज भी याद किया जाता है। अच्छे या बुरे कामों से वह लोगों के लिए एक उदाहरण सेट करते हैं। हम बैठकर सिर्फ मौत का इंतजार नहीं कर सकते कि कल आज मौत आएगी या कल मौत आएगी और इसके बीच हम। जीवन को बेहतर करने का। मार्ग खोजते हैं। कुछ करना होता है अपने जीवन को एक उदाहरण बनाने के लिए। ताकि लोग हमें एक उदाहरण समझे ना कि हम बैठ के वेट करें कि मौत कब आएगी। 

भूल जाते हैं लोग हर नए दिन की खबर। दूसरे दिन रद्दी हो जाती है। लेकिन जिंदगी में बहुत से ऐसे लोग हैं जो आज भी मर के जिंदा है लोग उनको फॉलो करते हैं उनके अनुसार करते हैं और अपने जीवन को एक नए ढंग से जीने के लिए। ताकि वह एक अच्छी मौत मर सके। नेहा अपनी सोच में मगन सब कुछ देख रही थी वो सोच रही थी तभी प्रवचन खत्म हुआ एक चेले ने एक कपड़ा बिछाया और कहा जो भी धन चढ़ाना चाहता है वह बाबा जी के चरणों में चढ़ा दे। लोगों की भीड़ ने दस,बीस,सौ जितने भी बन पड़े निकाल के वहां पर ढेर लगाना शुरु कर दिया। उन्होंने सारी पोटली इकट्ठी की और कहां जो भी बाबाजी से अलग से बात करना चाहता है।वह होटल में आ के बात कर सकता है उसकी फीस बता दी जाएगी ।

नेहा घर आ गई उसके मन में यही बात चल रही थी कितने लोगों के दुख दूर हुए थे बाबा जी की जेब जरूर भर गई थी । नेहा सोच रही थी लोगों के कितने दुख दूर होते हैं। दुख निवारण करने के लिए लोग एक बाबा छोड़ दूसरे बाबा के पास चले जाते हैं।


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