छत्रपति शिवाजी और गांधीजी
छत्रपति शिवाजी और गांधीजी
महात्मा गांधी को अंग्रेजों ने ट्रेन के डिब्बे से इसलिए बाहर फेंक दिया था क्योंकि वह भारतीय थे। तभी उन्होंने ठान लिया था कि अब वह अंग्रेजों को हमारे देश से बाहर फेकेंगे।
यदि गांधी जी की जगह पर कोई दूसरा होता तो अंग्रेजों से झगड़ा करता । लेकिन गांधी जी ने ऐसा नहीं किया।उन्होंने अंग्रेजो से उलझने की बजाय उन्हें मजबूर कर दिया देश छोड़कर जाने के लिए। लेकिन कभी आपने सोचा है शिवाजी महाराज उस समय होते तो क्या होता तो चलिए कहानी शुरू करते हैं।
गांधीजी को जब ट्रेन से बाहर निकाल दिया था तो वह सोच में पड़ गए कि अब क्या किया जाए । वे वहाँ से चले जाते है और उन्हें शिवाजी महाराज मिलते हैं। वे गांधीजी से कहते हैं हमें अंग्रेजों से बदला लेना है और उन्हें यहां से बाहर खदेड़ देना है।
शिवाजी गांधीजी को तलवार चलाना सिखाना चाहते थे । लेकिन गांधीजी कहते हैं मैं तो अहिंसा वादी हूं तलवार नहीं चलाता चरखा चलाता हूं । शिवाजी महाराज को चरखा पसंद आता है ।
उन्हे एक तरकीब सूझती है वह चरखे में चारों तरफ तीर लगवा देते हैं। जैसे-जैसे चरखा घुमाया जाता है उसमें से तीर छूटकर निकलती जाती है । वे गांधीजी से कहते हैं आप कोई हिंसा नहीं कर रहे हैं। लेकिन यह आपके बचाव के लिए है । यदि कोई आप पर हमला करें तो आपको सिर्फ चरखा घुमाना है और उसमें से तीर छूट कर अपने आप निकल जाएगी।
लेकिन गांधीजी को यह सलाह पसंद नहीं आती है । वे कहते हैं मुझे सूत काटना है, किसी को मारना नहीं है। तो इस तरह शिवाजी महाराज के होते हुए भी गांधीजी अहिंसा वादी ही रहते हैं !
लेकिन भगत सिंह को वो चरखा पसंद आ जाता है। वे भी अपने लिए ऐसा चरखा बनाते हैं ताकि उसमें से तीर छोड़कर अंग्रेजों का सफाया कर सके । और इस तरह भगत सिंह और शिवाजी महाराज दोनों मिलकर अंग्रेजों पर हमला बोल देते हैं और उन्हें भागने पर मजबूर कर देते हैं।
