Sajida Akram

Drama

5.0  

Sajida Akram

Drama

छत्रछाया

छत्रछाया

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हम 11बहन -भाई को अब्बा ने बहुत अच्छी तरबीयत दी थी और हम तीन भाई और एक बहन यानि मैं अभी हमारी पढ़ाई, कई ज़िम्मेदारी बची थी उस ही बीच हमारे अब्बा का इंतक़ाल हो गया।

अम्मा हम छोटे बहन-भाई को लेकर बहुत परेशान हो गई। बाकी चार भाई और तीन बहनों की अब्बा ने शादी कर दी थी और अब्बा ने पढ़ाई में भी सब भाइयों को ग्रेजुएशन और सरकारी नौकरी में लग गए थे। अपने घर में व्यस्त थे मगर हमारे बीच वाले भाई ने अब्बा की हयात (ज़िन्दगी) में ही हम बहन -भाइयों की ज़िम्मेदारी उठाने लगे थे, उनसे छोटे भाई को एम. बी.बी.एस की पूरी पढ़ाई उन्होंने ही करवाई थी। 

आज उन्हीं प्यारे से भाई "अजी भाई "को दिल से याद करके मैं तड़प जाती हूँ । उन्हीं भाई ने हम सब बहन-भाई को इतने प्यार से पाला कभी हमें अपने अब्बा की कमी महसूस नहीं होने दी, उन्होंने अम्माँ की भी ख़िदमत में कभी कमी नहीं की अम्मा को पूरी ज़िम्मेदारी से घर के ख़र्च का पैसा देना। 

जैसे ही तीनों भाई बाहर पढ़ाई के लिए दूसरे शहर गए अजी भाई ने अम्माँ और मुझे अपने साथ ले गए जहाँ वो सर्विस में थे। भाभी भी भाई को कभी नहीं रोकती थी। भाई के भी चार बेटे है हम सब बहुत अच्छे से रहे अपने छत्रछाया में हमे रखा मेरा ग्रेजुएशन के आखिरी साल में शादी कर दी उन अजी भाई ने हम बहन-भाई का ही नहीं अपने बड़े भाइयों के बच्चों, बहन ग़रीब थी एक उसके भी बच्चों की शादी और नौकरी दिलवाने में मददगार रहे।

इस तरह हमारे वो बड़े भाई हमारे लिएबरगद की छांव बन गए।

अब वो नहीं रहे, उस दिन हम सब को लगा आज हम सच में यतीम हो गए। 

बहुत याद आते हैं बहुत मस्ती-मज़ाक करने वाले बड़े ज़िंदा-दिल अजी भाई हमें भी जीना सीखा दिया मुझसे बहुत प्यार था। आज उनके बारे में लिख रही हूँ तो आंसू रुक नहीं रहे। 


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