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Dr Sangeeta Tomar

Romance

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Dr Sangeeta Tomar

Romance

छोटी सी ख्वाहिश

छोटी सी ख्वाहिश

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सुबह चाय का पानी चढ़ा कर जवनिका उबलते पानी को देख रही थी ।पानी में चाय पत्ती का रंग घुलते देखना और उसकी खुशबू को अपने चेहरे पर महसूस करना बेहद सुकून देता था उसे। रोजमर्रा की भागती- दौड़ती जिंदगी से ऐसे ही छोटे-छोटे पल चुराना उसे तरोताजा कर देता था।

 तभी फोन पर की फेसबुक की मैसेज टोन सुनाई दी। किसी ने कुछ पोस्ट किया था शायद । उसकी सहेली विशाखा ने अपनी ट्रिप के फोटो पोस्ट किए थे ।फोटोस बहुत ही सुंदर थी। विशाखा और उसके पति सुहास के साथ में काफी सारे फोटो थे, जिन्हें देखकर जवनिका के मन में फांस सी चुभ गई।

ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि वह वह उन लोगों को पसंद नहीं करती थी और ना ही उसके मन में कोई जलन थी। बस फोटो देखकर उसकी एक ख्वाहिश फिर सिर उठाने लगी थी।

उसने फोटोस लाइक की और एक कमेंट भी लिखा "वंडरफुल जोड़ी"

जतिन और जवनिका की शादी को 17 साल बीत चुके थे। सब कुछ ठीक ही था उनके बीच अच्छी अंडरस्टैंडिंग थी,जतिन ने कभी किसी काम के लिए रोका नहीं । उसने शादी के बाद अपनी पढ़ाई जारी रखी।

एम एस सी और फिर पीएचडी किया, अब कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी कर रही थी। कई बार वह सोचती थी क्या वह पूरी तरह से आज़ाद थी? क्यूंकि हर काम के लिए जतिन की परमिशन तो लेनी पड़ती थी ।जैसे कि घर पर किसी को बुलाने के पहले पूछना पड़ता था। कोई गेस्ट आ रहे हैं तो क्या खाना बनाना है उसका अप्रूवल लेना पड़ता था ।किसी को गिफ्ट देने के पहले जतिन से पूछना ही ठीक रहता था कभी अगर वह अपने मन से गिफ्ट ले आए और जतिन को पता चला कि उसके मन मुताबिक नहीं है अगले पांच-छह दिन जतिन कि नाराजगी झेलना पक्का था। हर काम टाइम - टेबल से चलता था। सुबह की चाय से लेकर रात के खाने तक का फिक्स टाइम था। 5 मिनट ऊपर नीचे हो जाते अगले दो-तीन दिन भुगतना पड़ता था। और यही बातें उनके बच्चे अवनी और अंबर के रुटीन का भी हिस्सा बन गई थी। जब कभी बच्चे जतिन के बर्ताव से चिढ़ जाते तो जवनिका उन्हें समझाती और जब वह खुद अपसेट होती तो बच्चे उसे संभाल लेते।बस इसी तरह जीवन चल रहा था। जवनिका ने मान लिया था कि शायद शादी के बाद इस तरह का बदलाव नार्मल है ।

बहुत सारी पॉजिटिव बातें भी तो हैं उसके शादीशुदा जिंदगी में ।क्या हुआ अगर कोई निर्णय नहीं ले सकती। बहुत सारी छोटी-छोटी ख्वाहिश थी उसकी, जिन्हे वो अनदेखा कर देती थी। ऐसी ही एक ख्वाहिश थी जतिन के साथ एक फोटोग्राफ खींचवाने की। 

यह ख्वाहिशें भी कितनी अजीब होती हैं ना,कई छोटी बातें हैं जो किसी के लिए रोजमर्रा की आम बात होती है और वही किसी के लिए ख्वाहिश बन जाती है ।जैसे पिंजरे के पंछी आसमान में उड़ते परिंदों को देखकर यह सोचते हैं काश हम भी उड़ पाते। 

पर उन परिंदों के लिए तो हर रोज उड़ना ही उनकी जिंदगी है । जहां दुनियाभर के लोग अपनी हर छोटी-बड़ी खुशी फोटोस के रूप में दुनिया के साथ बांटते है । वहीं जवनिका एक फोटो के लिए तरस रही थी। और ऐसा नहीं था कि उसे सोशल मीडिया पर दिखावा करने के लिए यह फोटोस चाहिए थे।

उसे तो बस अपनी यादों को संजोने के लिए चाहिए थे। जतिन हमेशा फोटो लेने से कतराते थे । बच्चों के साथ तो फिर भी कभी कभार खड़े हो जाते थे फोटो खींचने के लिए पर जवनिका के साथ तो बिल्कुल नहीं ।कारण क्या था ? उस कभी समझ नहीं आया था। वह जानती थी कि यह सवाल पूछने पर जतिन उसे झिड़क देंगे इसलिए उसने कभी पूछने की हिम्मत भी नहीं की थी।

 बच्चे डिनर करके अपने रूम में पढ़ाई कर रहे थे ।हल्की सी फुहार पड़ने लगी थी ।रात में जब फुहार आती है ऐसा लगता है जैसे काले बादलों के बीच से चांदी बरस रही हो। अक्सर वो फुहार को चेहरे पर महसूस करने बालकनी में खड़ी हो जाती थी।इन्हीं बारिश के दिनों में उसकी शादी हुई थी।

कल उसकी एनिवर्सरी है यह सोच कर मन भीग गया था उसका । वो अपने मन में, पुराने एहसास टटोल रही थी, वो सुकून और पहले प्यार की कशिश।

पहली बारिश होते ही वह उसी समय में पहुंच जाया करती थी।  

उन दिनों के जतिन को याद करती और आंखों की कोर अक्सर भीग जाया करती थी। वह समय अलग था। वो जतिन भी अलग था। उसे प्यार करने वाला, उसके नखरे उठाने वाला, उसकी हर छोटी बड़ी ख्वाहिश पूरी करने वाला ।उसे आज भी याद है जतिन को ऑफिशियल टूर पर जाना था और उसके अगले ही दिन उन्हें इंगेजमेंट रिंग खरीदने जाना था। जतिन का पहुंचना लगभग नामुमकिन था ।पर रात भर ड्राइव करके जतिन समय पर लौट आया था, सिर्फ जवनिका को खुश करने के लिए।पर शादी के बाद धीरे-धीरे सब बदलने लगा था। और अब इतना कुछ बदल गया था कि लगता ही नहीं था कि यह वही जतिन है।और वह दोनों कभी लव बर्ड्स थे।

 डोर बेल की आवाज़ से जवनिका ख्यालों कि दुनिया से बाहर निकली। जतिन ऑफिस से लौट आया था। जवनिका ने अपनी उदास आंखों से मुस्कुराते हुए पूछा। "कैसा रहा आज का दिन?"

"ठीक था ।"जतिन ने थकी आवाज़ में कहा। चाय लोगे या खाना लगाऊ।जतिन ने कहा- "खाना ही खाऊंगा"

यह कह कर वह नहाने चला गया ।खाना खाने के बाद जतिन स्टडी में बैठकर कुछ पढ़ रहा था। जवनिका किचन समेट कर बालकनी में आकर खड़ी हो गई थी,बादलों से ढके चांद को देख रही थी। जतिन कब आकर उसके पास खड़ा हो गया उसे पता ही नहीं चला । " कल तुम्हें क्या गिफ्ट चाहिए?" जतिन ने पूछा तो चौक कर जवनिका ने उसे देखा।" तुम्हारी कार बदल लेते हैं।नई कार एक परफेक्ट गिफ्ट है।

क्या कहती हो? "

जवनिका ने एकदम खाली नजरों से उसकी तरफ देखते हुए कहा -"मुझे कुछ नहीं चाहिए। कितने साल हो गए हैं शादी को, सब कुछ तो है मेरे पास।" "मुझे लगा यह सुनकर तुम खुश हो जाओगी।"- जतिन ने कहा । जवनिका ने आंखों में आंखें डाल कर पूछा- "तुम मुझे एनिवर्सरी पर गिफ्ट क्यों देते हो ?"

" क्योंकि मैं तुम्हें खुश करना चाहता हूं?"

 क्या तुम्हें लगता है कि मैं गिफ्ट्स से खुश होती हूं?"

"तुम खुश तो होती ही होगी मैं तुम्हें हमेशा अच्छे और एक्सपेंसिव गिफ्ट देता हूं ।" जतिन ने थोड़ा मजाकिया अंदाजी में कहा।

"क्या तुम मुझे वाकई खुश देखना चाहते हो जतिन ?"  जतिन को कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसके चेहरे पर मिक्सड रिएक्शनस थे पहले शॉक के भाव उभरे, और फिर चिंता ली लकीरें। क्यूंकि जवनिका ने आज तक उसके हर फैसले को बिना सवाल किए माना था। 

"तुम्हें क्या हुआ है ,ये कैसी बातें कर रही हो? आज तक तुमने ऐसी बात नहीं कही है।"

" आपने कभी पूछा ही नहीं इसलिए मैंने कहा नहीं ?

 शायद आज भी नहीं कहती पर तुम्हारा ये भ्रम दूर करना ज़रूरी लगा, की महेंगे गिफ्ट्स देने से में खुश होती हूं। अगर आप मुझे कोई गिफ्ट देना ही चाहते हैं तो मुझे आपके साथ एक फोटो चाहिए।"

 "एक यादों का गुलदस्ता सजाना चाहती हूं मैं। कितने साल हो गए हमारा साथ में एक भी फोटो नहीं है।अगर तुम वाकई में मेरी ख़ुशी चाहते हो तो क्या तुम मुझे प्रॉमिस कर सकते हो , की हम हर एनिवर्सरी पर साथ में एक फोटो क्लिक करवाएंगे ?" जतिन जवनिका को देख रहा था ऐसे जैसे भटके हुए राही को कोई हाथ पकड़ कर घर के रास्ते वापस ले आया हो।  "क्या ये तुम्हारे लिए इतना जरूरी है जवनिका?" जवनिका ने कहा -"हां बस यही चाहती हूं मैं । मुझे कार नहीं चाहिए बस एक फोटो चाहिए तुम्हारे साथ।" 

जतिन तड़प कर बोला -"तुम जानना चाहती हो ना कि क्यों नहीं पसंद करता मैं फोटोस ? क्योंकि आजकल हर फोटोग्राफ सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जाता है ।जिन्हे हर कोई देखता है ।अब तुम मुझे दकियानूसी कहो या पुराने ख्यालात वाला मुझे लगता है कि हमारी फैमिली फोटोग्राफ्स कई तरह के लोग देखेंगे और हर कोई तो हमारा वेल विशर नहीं होता ना । जलने वाले लोगों की नजर लगने का डर होता है बस यही कारण है । फोटोस पर कितने लाइक कॉमेंट्स मिले है, उसी पर ख़ुशी डिपेंड करने लगती है। और फोटोस का मिसयूज भी हो सकता है। मैं बच्चों को और तुम्हे इससे दूर रखना चाहता था। पर मैंने तुमसे ये कभी  डिसकस नहीं किया।" 

 जवनिका की खाली आंखों में प्यार का समुन्दर झिलमिला रहा था। वो बोली मैं समझती हूं ,आपकी चिंता ।मुझे भी बिल्कुल शौक नहीं है अपनी पर्सनल लाइफ को पब्लिक करने का। बस यादों का एक कोलाज बनाना चाहती हूं। बीते पलों का प्यारा सा गुलदस्ता बन जाए, इसमें हर रंग और हर खुशबू के फूल हो ।जब हम बूढ़े हो जाएंगे शायद उन्हें देखकर हमें सुकून और सहारा मिले। 

जतिन को अपने ऊपर शर्म आने लगी थी उसने कहा - "तुम बिल्कुल भी नहीं बदली हो जवनिका। तुम वैसी ही हो ,जैसे पहले थी पर मैं बहुत बदल गया हूं ना? बहुत हार्श और डॉमिनेटिंग हो गया हूं।अब मुझे एहसास हो रहा है इस बात का। मैं मानता हूं, तुम्हें और बच्चों को टेकन फॉर ग्रांटेड लेता हूं। 

 मुझे लगता है मैं जो बोल रहा हूं वही सही है। मैंने कभी यह जानने की कोशिश नहीं की कि तुम लोग क्या सोचते हो? तुमने कभी भी कोई डिमांड नहीं रखी हर बार बिना किसी विवाद के मेरी हर बात मानती रही।हमेशा मेरा साथ दिया। "

"ऐसा क्यों करती हो तुम?इतना क्यों चाहती हो ?" तुम्हीं ने बिगाड़ा है मुझे। अब सुधारना भी तुम्हें ही पड़ेगा। डांटा करो मुझे, जब कुछ गलत करूं ।बहस किया करो मेरे साथ अपनी बात मनवाया करो प्लीज। क्या मदद करोगी तुम मेरी फिर से पहले वाला जतिन बनने में ?"

तभी बादलों के बीच चांद निकल आया था जवनिका को पास में खींचते हुए जतिन ने कहा-" चलो चांद के साथ सेल्फी लेते हैं।" चांद और जतिन दोनों ही मुस्कुरा रहे थे।





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