Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Thriller

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Thriller

“छोटा उस्ताद ” ( सैनिक संस्मरण )

“छोटा उस्ताद ” ( सैनिक संस्मरण )

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1984 में मेरी पोस्टिंग 321 फील्ड अस्पताल में हुयी थी , जो उन दिनों चांगसारी, गुवाहाटी, असम में हुआ करता था ! रंगिया स्टेशन से गुवाहाटी जाने के बीच में चांगसारी छोटा सा रेलवे स्टेशन है ! स्टेशन के पूरब मे छोटी – छोटी पहाड़ियाँ हैं ! एक पहली पहाड़ी में हमारी यूनिट थी ! और उसके सटे दूसरी पहाड़ी पर 421 फील्ड अस्पताल स्थित था ! दो महीने पहले ही सूबेदार मेजर नर्सिंग S.K.Singh मिलिटरी हॉस्पिटल किर्की पुणे से 321 में आए थे ! उनके सामने ही मेरी पोस्टिंग ऑर्डर आ गयी थी ! जुलाई 1984 में वे चांगसारी आ गए थे और सितम्बर 1984 मैं भी वहाँ पहुँच गया था !

आने के बाद माहौल मुझे अच्छा लगा ! सब जाने पहचाने लोग मिलते चले गए ! क्वार्टर मास्टर /कंपनी कमांडर Capt S॰ Ghoshal, 2I/C Maj S॰K॰Bhand और CO Lt Col S॰K॰ Samanta के पास मेरा इंटरव्यू हुआ ! 2I/C ने मुझे टेक्निकल प्लाटून का प्लाटून कमांडर बना दिया ! पहाड़ी के ऊपरी हिस्से पर मेरी प्लाटून थी ! एक बारीक में 15 जवान थे ! कुछ फॅमिली के साथ रहते थे ! कुछ टेम्पोरेरी ड्यूटि और कुछ छुट्टिओं पर रहते थे ! हमलोग की ट्रेनिंग बीच -बीच में चलती रहती थी ! हमलोगों का एक रेक्रीऐशन रूम होता था ! वहाँ एक ब्लैक एंड व्हाइट टी 0 वी हुआ करता था ! रविवार को सब के सब ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ देखने के लिए 9 बजे सुबह पहुँच जाते थे !

अगस्त और सितम्बर महीने में हमलोगों की गतिविधियाँ बढ़ जाती थी ! हमलोग दो महीने के लिए सेंगे जिला पश्चिम कामेंग अरुणांचल प्रदेश का एक तहसील है वहाँ युध्य अभ्यास के लिए जाना पड़ता था ! सेंगें 2,545 मिटर या 8,349.14 फिट समुद्री सतह से ऊपर है ! फिर दो महीने के बाद वापस चांगसारी लौट जाना पड़ता था ! यह एक अनोखा अनुभव था ! दरअसल चांगसारी एक गाँव है ! उसके एक पूर्वी छोर पर 421 फील्ड हॉस्पिटल था और पश्चिम गुवाहाटी हाइवे पर हमारा 321 फील्ड हॉस्पिटल था ! दोनों के बीच एक छोटा 10 बिस्तर वाला अस्पताल खोला गया था ! दोनों फील्ड अस्पतालों के सहयोग से यह हॉस्पिटल चलता था !

1987 को मेरी पोस्टिंग मिलिटरी हॉस्पिटल बरेली हो गई ! मुझे बिदाई पार्टी प्लाटून में दी गई !

हैड्क्वार्टर ने भी मुझे पार्टी दी ! बरेली में पहुँचकर बड़ा आनंद आया पर चांगसारी की यादें कहाँ मिटने वाली ? 1990 में मेरी पोस्टिंग मिलिटरी हॉस्पिटल जम्मू सतवारी हो गई ! देखते- देखते 1992 में सीनियर cadre में नाम आ गया ! दो महीने के लिए लखनऊ Army Medical Corps Centre And College में ट्रेनिंग लेनी थी ! इस ट्रेनिंग के बाद ही हमलोग Junior Commissioned Officer बनेंगे !

यह सिनीऑर काडर दिनांक 12 सितंबर 1992 से 21 नवंबर 1992 तक चलेगा ! हमलोग 11 सितंबर 1992 को Officer Training College पहुँच गए !

देश के कोने -कोने से Senior NCO आ रहे थे ! आज शाम रोल कॉल में सब पहुँच जाएंगे ! यहाँ Medical Officers और Non-Technical Regular/Short Commissioned Officers की ट्रेनिंग होती है ! वे लोग AMC Centre के Officers MESS रहते थे ! सीनियर काडर वालों का वहीं बर्रेक्क बना हुआ था ! हमलोगों ने अपनी -अपनी चारपाई और अपना -अपना लॉकर पकड़ लिया ! वर्षों बाद हमलोग पुराने दोस्तों से मिलने लगे !

चार बजे शाम को बर्रेक्क से निकलकर सटे हुये PT ग्राउंड में हमलोग आए कि सामने से एक जाना पहचाना चेहरा आकार साइकल से उतरकर हमलोगों से मिला ! मैंने उसे पहचान लिया ! मैं उसे देखकर काफी खुश हुआ और अचंभित भी !

“ अरे सतपाल ! तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”

सतपाल ने कहा,-

“मेरी पोस्टिंग ही यहीं हो गई है !”

सतपाल 8 साल पहले 321 फील्ड हॉस्पिटल चांगसारी में पहली पोस्टिंग में आया था और वह मेरे ही प्लाटून का जवान था ! हरियाणा का जाट,पतला दुबला शरीर और अंडर वेट सतपाल उन दिनों मायूस ही रहा करता था ! उसे सांत्वना और ढाढ़स मैं दिया करता था ! आज भी सतपाल कुछ भी नहीं बदला था पर सतपाल इस OTC का “छोटा उस्ताद” था ! इंस्टक्टर को लखनऊ में “ उस्ताद “ कहा जाता था ! सतपाल को हमें “छोटा उस्ताद” ही कहना उपयुक्त था !

मोहर सिंह मेरे साथ ही काडर करने आया था ! उसने कहा ,-

“ देख झा ,आज तो बातें इनसे करले ! कल से तुम्हें इनको “उस्ताद”या Sir कहकर बात करनी होगी ! काडर कंपनी के हरेक ईट ,दर्ख ,झाड़ियाँ और यह इमारत के सामने सावधान होकर ही बातें करना है !”

और मोहर सिंह ने यह बात “ छोटा उस्ताद” के सामने कह डाली !

“ छोटा उस्ताद” सतपाल को अपने में फक्र होने लगा और जाते -जाते सतपाल ने कह दिया ,--

“अच्छा झा साहिब ! मिलते हैं कल PT ग्राउंड में !”

मेरा चेस्ट नंबर 53 था ! मेरी ट्रेनिंग 12 सितम्बर से शुरू हो गयी ! 3 बजे सुबह हमलोग जग जाते थे ! सारे OTC की साफ -सफाई करना पड़ता था ! निपाई अंधेरे में करनी पड़ती थी ! 5 बजे सुबह कोत से राइफल निकाल कर ट्रेनिंग ग्राउंड में रखना पड़ता था ! फिर 6 बजे PT शुरू हो जाती थी !

“ छोटा उस्ताद” सतपाल जान बूझकर अपनी टोली में मुझे लेता था ! और उस टोली को PT में वह खूब तंग किया करता था ! मुझे यह एहसास दिलाता था कि उस्ताद को हल्के में मत लो ! वह मुझे ही तंग करने के लिए सारी टोली को punishment देता था ! वह हमेशा मुझे PT का टीम लीडर बनाता था ताकि उसकी आखों से ओझल ना हो सकूँ ! उसकी इच्छा रहती थी कि मैं उसे बार -बार “Sir” कहूँ और उसके सामने सावधान रहूँ !

जो कुछ भी हो “छोटे उस्ताद” की ट्रेनिंग ने मुझे नेतृत्व करना सीखा दिया ! 21 नवम्बर को ट्रेनिंग समाप्त हो गयी ! OTC के समस्त उस्तादों के साथ बैठकर हमलोगों ने बड़ा खाना साथ साथ खाया ! आखिरी दिन में हम सब लोग बराबर थे ! उस दिन ही हमलोग अपनी – अपनी यूनिट की ओर चल दिये ! अच्छा समय बिता इस काडर कंपनी में और “ छोटा उस्ताद” को आजतक न भुला पाया !




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