चाँद के उस पार...
चाँद के उस पार...
आँखों मे अनगिनत ख़्वाब लेकर बोलने वाली उस लड़की से बात करते हुए मुझे लगने लगा था कि अब इस लड़की के ख्वाबों को कोई रोक नही सकता है।
मेरी उससे एक्सीडेंटली ही मुलाकात हुयी थी। मैं अपने ऑफिशियल टूर पर गयी थी। इसरो के गेस्ट हाउस में चेक इन करने पर मुझे पता चला कि मेरे रूम में और कोई भी है। मुझे लगा अरे, कैसे होगा अब? अनजान व्यक्ति से कमरा शेयर करना होगा? पता नही कौन है? अनगिनत सवाल और अनगिनत अंदेशे!!
अपना लगेज लेकर सारी फॉरमैलिटीज पूरी करने के बाद चाबी लेकर रूम में गयी तो देखा कि कोई नही है।आसपास नज़रे दौड़ाने पर किसी के वहाँ रहने का अंदाज़ा भी हुआ। थोड़ी ही देर में वह आ गयी।हाय हेलो के बाद हमारी बातें शुरू हो गयी। पता चला कि वह मैकेनिकल इंजीनियर है और यहाँ उसने इसरो में ऐज ए साइंटिस्ट जॉइन किया है।
मुझे लगा कि वह न जाने कितने ट्रेंड सेट कर रही है।एक फीमेल मैकेनिकल इंजीनियर!! और वह भी इसरो में !!!
हम दोनों ही इंजीनियर थी तो हमारी बातें आगे बढ़ने लगी। मेरी उम्र और मेरा एक्सपेरिएंस देखकर उसने मुझे पूछा, की सिविल सर्विस बेटर होगा या फिर इसरो?
हमेशा चाँद तारों की दुनिया मे खो जाने की चाहत रखनेवाली मैं कहने लगी, "सिविल सर्विस तो आजकल कॉमन हो चला है। इन माय व्यू इसरो विल बी दी बेटर ऑप्शन..." आगे वह कहने लगी, "आय ए एस ऑफिसर्स हैज़ पॉवर अँड यु नो पॉवर की बात कुछ और ही होती है।" वह सिविल सर्विस के लिए इनक्लाइण्ड लग रही थी।
हमारे पास जो चीज होती है उसकी हमें कदर कहाँ होती है? मैंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "हो सकता है कि कल तुम्हे नासा में जाने का मौका मिले।यु नेवर नो। यु विल बी दी टॉर्च बेयरर फ़ॉर मेनी गर्ल्स..."
गेस्ट हाउस छोड़ने के बाद फ्लाइट में बैठे बैठे सारी बातें मुझे न जाने क्यों याद आ रही है....