Anita Sharma

Inspirational

4.5  

Anita Sharma

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चालीस के बाद की पसंद

चालीस के बाद की पसंद

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"क्या मम्मी ये इतनी चटक रंग की साड़ी क्यों पहनती हैं आप? अब थोड़े हल्के रंग पसन्द किया कीजिये न"! सुमन के चौबीस साल के बेटे कुनाल ने बाजार जाती सुमन को टोका।

कुनाल की बात सुन सुमन का मन खराब हो गया। उसने फिरसे एक बार खुद को आईने में देखा "क्या खराबी है इस रंग में? मुझे कितना पसन्द है ये मखमली लाल रंग। साड़ी में कोई चमक वाली डिजाइन भी नहीं है। जिससे ये मेरे हिसाब से ठीक न लगे। सिंपल सिल्क की साड़ी ही तो है। तो क्या अब इस रंग को पहनने के लिये मेरी उम्र नहीं रही?"

सुमन ने बुझे मन से साड़ी उतार कर वहीं बेड पर फेक दी और हल्के आसमानी कलर का लखनउआ कढ़ाई का सूट पहन निढाल होकर वही लेट गई । आँखों से आंसू झर- झर बहे जा रहे थे। उसे पता नहीं चल रहा था कि ये आंसू बेटे के बार - बार टोकने की वजह से बह रहे है। या शादी के बाद अपने मन से कभी कपड़े न पहन पाने की वजह से।

शादी से पहले उसे जो पसन्द आता वो तुरंत खरीद लेती । उसके चाँद सी शीतल रंगत पर हर रंग खिल जाता । माँ तो बात - बात में उसकी नजर उतारती रहती। हर लड़की की तरह सुमन ने भी कई सपने सजाये थे।उसके पापा ने भी एक अच्छे पढ़े-लिखे नौकरी वाले सुनील नाम के लड़के से उसकी शादी करवाई थी।


पर किस्मत में अगर दुख हो तो उन्हें आने से कोई नहीं रोक सकता। सो पति के अच्छे होने के बाद भी ससुराल में सास, ससुर का सर पर साया न होने की वजह से जेठानी का रुआब और तानाशाही सहनी पड़ी।

जेठानी के सामने सुनील भी उनकी गलती होने के वावजूद उनसे कुछ नहीं बोल पाते। आखिर उनके मम्मी ,पापा के जाने के बाद कुछ सालों तक उन्होंने ही तो उन्हें संभाला था।

सुमन में जितनी सहन शक्ति थी उतना उसने खूब सहा। पर एक दिन जब जेठानी उस पर हाथ उठाने लगीं ।तो उसी उठे हाथ को उन्ही की तरफ मोड़ वो घर से निकल आई। और एक पार्क में बैठ कर सुनील के आने का इंतजार किया।

सुनील के आने के बाद एक किराये का घर देख जब वो अपना सामान लेने वापिस उस घर में गई तो जेठानी ने ये बोल दरवाजा नहीं खोला कि..... " अब यहाँ तुम्हारा कुछ भी नहीं है। मैने तुम्हे खिलाने और तुम्हारी शादी में जो खर्च किया ये उसकी कीमत है। अब जाओ यहाँ से! "


सुमन तो पुलिस में जाना चाहती थी। पर सुनील ने अपने प्यार और अपने ऊपर भरोसा करने को बोल उसे रोक लिया।

सुनील की अच्छी खासी सैलरी होने के बावजूद उसे अपनी गृहस्थी शुरू से शुरू करने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा।आखिर जब गृहस्थी की गाड़ी चली तो उसमें दो बच्चे कुनाल और रिया भी जुड़ गये। उनकी देखभाल और घर के कामों में कभी मौका ही नहीं मिलता कि वो खुद को थोड़ा टाइम दे। बस सारा दिन उनके पीछे दौड़ते भागते निकल जाता।


आज जब बच्चे बड़े हो गये तो खुद को थोड़ा टाइम देती हूँ। और अपने पसन्द के कलर पहन जब मै तैयार होती हूँ तो ये कुनाल टोक देता है।

अभी उसदिन जब करवाचौथ पर उसने अपनी फोटो स्टेटस पर लगाई तो कुनाल ने ये बोल कर उन्हें डिलीट कर दी कि....... "मम्मी आपने इन फोटो में लाल लिपिस्टिक लगाई है। तो अच्छी नहीं लग रही। मेरे दोस्त देखेगे तो क्या कहेगे । "

उस दिन भी मुझे इतना ही बुरा लगा था। पर कुछ बोल नहीं पाई थी। पर अब नहीं ऐसे तो ये इसकी आदत हो जायेगी। आज मुझे टोक रहा है, कभी - कभी बहन को भी टोक देता है। अगर यही हाल रहा तो अपनी बीबी को तो शायद कोई शौक ही पूरे नहीं करने देगा। इसे मुझे अभी समझाना ही पड़ेगा।

आंसू पोंछ कर सुमन बाहर आ गई जहाँ कुनाल अपने दोस्तों के पास जाने की तैयारी कर रहा था। सुमन ने आते ही पूंछा.... कहां जा रहे हो?

कुनाल अपने वालों में जैल लगाते हुये बोला..... "बताया तो था मम्मी आज मेरे दोस्त का बर्थडे है। वहीं तो जा रहा हूँ। "

"वो तो ठीक है। मगर ये क्या पहन रखा है तुमने ? ये शर्ट के बटन क्यों खोल रखे हैं ? और ये बालों को कैसे मुर्गे की कलगी की तरह खड़ा कर लिया।

तुम्हे ऐसे मोहल्ले वाले देखेंगे तो क्या कहेंगे ? पड़ोसिनों के सामने मेरी तो नाक ही कट जायेगी जब वो देखेंगी की मेरा बेटा फटी जींस पहने है।नहीं - नहीं तुम ये कपड़े बदलो और ये बाल भी ठीक करो। आखिर मेरी इज्जत का सवाल है " सुमन ने कुनाल के बालों को ठीक करते हुये कहा।

अपनी मम्मी के हाथ से अपनी हेयर स्टाइल बिगड़ती देख कुनाल थोड़ा पीछे होते हुये बोला.....

" क्या कर रहीं हैं मम्मी? मेरे बाल बिगड़ जायेंगे। और ये जींस फटी नहीं स्टाइलिस है मम्मी। "

"ये स्टाइलिस है, ये हर कोई थोड़े ही जानता है। सब तो यही सोचेंगे कि हम तुम्हे अच्छे कपड़े नहीं दिलाते इसलिये बेचारे बेटे को फटे कपड़े पहनने पड़ते है। एक काम कर तू ये वाले पेन्ट शर्ट पहन लो। "

सुमन ने एक जोड़ी कपड़े कुनाल की तरफ बढ़ाते हुये कहा।

इसबार कुनाल झल्ला कर बोला...... " क्या मम्मी आप क्यों मेरे पीछे पड़ गई ? मुझे जो पहनना है पहनने दो न । मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता की कौन क्या सोचता है।"

इस बार सुमन भी थोड़ा गुस्से में बोली.... "जब तुम्हे अपने लिये कोई फर्क नहीं पड़ता, तो मेरी साड़ी मेरी फोटो देख कर कोई क्या कहेगा? इस बात से क्यों फर्क पड़ता है? "

फिर थोड़ा नर्माई से कुनाल को समझाते हुये सुमन आगे बोली.... "बेटा जैसे तुम्हे जो पसन्द है वही पेहनना वही करना अच्छा लगता है। वैसे ही मेरी और तुम्हारी बहन की अपनी पसन्द है।तुम किसी पर भी अपनी पसन्द थोप नहीं सकते।

और ये तुमसे किसने कहा की चालीस के बाद कोई चटक कलर नहीं पहन सकता। या लाल लिपिस्टिक नहीं लगा सकता । जिसे जो पसन्द है, उसे वो पहनने का पूरा अधिकार है। "

आज कुनाल को अपनी गलती का एहसास हो गया था इसलिये उसने तुरन्त अपनी माँ से माफी मांगते हुये बोला......


" सॉरी मम्मी मैने कभी ये सोचा ही नहीं कि आप लोगों को मेरे टोकने से कितना बुरा लगता होगा। बस मुझे तो ये लगता था कि अब आपको इस उमर में हल्के रंग पहनने चाहिये। पर अब मुझे समझ आ गया की कोई भी कलर पहनने के लिये किसी उम्र की नहीं बल्कि अपनी पसन्द की जरूरत होती है।अबसे मै हमेशा इस बात का ख्याल रखूंगा की हरकिसी की अपनी पसन्द होती है। किसी पर भी अपनी पसन्द थोपी नहीं जा सकती। "

बेटे के समझ जाने पर सुमन ने खुश होकर एक बार फिर उसके बाल बिगाड़ते हुये प्यार से कहा.... " मेरा समझदार बच्चा। "

बदले में कुनाल भी अपनी माँ से लिपटते हुये बोला.....

"मम्मी अब आप फिर से वही साड़ी पहनकर तैयार हो जाइये न। मै आपको बाजार छोड़ता हुआ चला जाऊंगा। " सुमन ने फिर से अपनी पसन्द की साड़ी पहन ली और खुश होकर बेटे के साथ चल दी बाजार की तरफ। अब वो बहुत खुश थी क्योंकि उसने अपने बेटे को उम्र भर के लिये ये समझा दिया था कि 'सभी को अपनी पसन्द से जीने का अधिकार है। फिर चाहे उसकी उम्र कोई भी हो। '



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