चहक Nath

Tragedy

5.0  

चहक Nath

Tragedy

बूढ़ी काकी

बूढ़ी काकी

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सुबह बस नींद खुली ही थी की, दरवाज़े के सामने फिर से काकी को रोते देखा, "ओह ! आज फिर से काकी की बहु ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया " ये सोचते हुए मैं उनके पास गई।

" क्या हुआ काकी ", मैंने पूछा ।

" कुछ नहीं बिटिया , बस अपने करम का रोवत अही", काकी बोली ।

काकी की ये बात मुझे सोचने पर मजबूर कर दी, काकी इतना क्यों सह रही है, आखिर घर तो उनका ही है जहाँ ये सब रह रहे है और काकी को बेदखल कर देते है, बात बात पर।

काकी की ये दशा देखी नही जा रही थी मुझसे, अतः मैंने ही कुछ दिमाग चलाया और काकी के घर के अंदर और बाहर एक कैमरा लगा दिया, जिससे जो भी हो सब पता चले..

मेरे मन का हुआ भी मुझे सबूत मिला और रंजन भैया, जो काकी के बेटे थे, उनको दिखा दिया।

अब बूढ़ी काकी हर रोज़ रंजन भैया के जाने के बाद घर के दरवाज़े पर नही, घर के अंदर नजर आती।


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