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Shailaja Bhattad

Drama Inspirational

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Shailaja Bhattad

Drama Inspirational

बसंत पंचमी

बसंत पंचमी

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मां आज सब बसंत पंचमी क्यों मना रहे हैं?


क्योंकि आज बसंत पंचमी है रीना। वसंत ऋतु के स्वागत में उत्सव मनाने का दिन ।


लेकिन इस बार बसंत ऋतु का आगमन न महसूस हुआ, न दिखा। न हल्की-हल्की गर्मी का एहसास हुआ अब तलक। न रंग बिरंगे फूल खिले। फिर उत्सव किसलिए।


इतना निराशावादी भी न बनो रीना। वैसे भी दुख की बात करने से सिर्फ दुख बढ़ता है और सुख और खुशी की बात करने से सुख और खुशी में अभिवृद्धि होती है। क्यों न तुम प्रण लो इस बसंत पंचमी पर भले ही तुम्हारा बसंत ऋतु से साक्षात्कार न हुआ हो लेकिन अगले साल तुम जरूर महसूस भी कर पाओ और इसे देख भी पाओ।


लेकिन कैसे मां? मैं अकेले कैसे? शुरुआत एक से ही होती है रीना। धीरे-धीरे लोग जुड़ते जाते हैं। शुरुआत अपने आस-पास से करो धीरे-धीरे तुम्हें खुद-ब-खुद रास्ता मिलता जाएगा और मंजिल भी साफ़ नज़र आने लगेगी। बिगड़ी बात की बात कर वक्त जाया करने से अच्छा है उसे सुधारे कैसे? पर चिंतन कर कदम उठाया जाए।


रीना के चेहरे पर आशा की लहर दौड़ पड़ी। खुशी से "अवश्य मां " कहकर वह बाहर की ओर दौड़ पड़ी।


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