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Gautam Kothari

Horror

4  

Gautam Kothari

Horror

बरसात की वो अंधेरी रात

बरसात की वो अंधेरी रात

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रात के ८ बजे थे। रात ऑफिस में काम कर रहा था। बाहर तूफ़ान के साथ भारी बारिश हो रही थी। भरत एक जमीन के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था। काम में व्यस्त होने के कारण, उसे वक्त का पता ही नहीं था। जब उसका काम खत्म हुआ, तब घड़ी में ९ बज चुके थे। बैटरी कम होने के कारण, उसका मोबाइल भी थोड़ी देर में बंद हो गया। जब वो बाहर निकला था, तो वह होश उड़ गया। काली अन्धरी रात थी। सुनसान रास्ता था और आस-पास कोई नहीं था। तूफ़ान के साथ, तेज़ बारिश गिर रही थी। भारी बारिश की वजह से, बिजली के खंभे से सारी बत्तियाँ भी बुझ गई थी।

भरत ने जैसे-तैसे करके अपना स्कूटर निकाला और अपने घर की ओर जाने लगा। कुछ देर बाद अचानक, रास्ते में एक बिल्ली दिखाई दी, इसलिए सुरेश ने स्कूटर को ब्रेक लगाया; लेकिन ब्रेक लगाने के बाद, भरत का स्कूटर उसी पर ही रुक गया। भरत को ऐसी अनुभूति हुई,जैसे मानो उसके स्कूटर किसी ने पकड़ लिया हो! सुरेश स्कूटर से उतरा और काफी बार प्रयास किया; लेकिन स्कूटर चालू ही नहीं हो रहा था। तेज़ बारिश की वजह से, पूरी तरह से भीग चुका था। ठंड के मारे वह कांप रहा था। अचानक कंप्यूटर बंद होने से उसकी घबराहट और अधिक बढ़ गई। वह अपने स्कूटर को साइड में ले गया और डर की वजह से कुछ देर से अपनी आंखें बंद कर ली। थोड़ी देर बाद एहसास हुआ कि उसकी पीठ पर किसी ने हाथ रखा है। भरत जोर से चिल्लाया, “कौन है?” कौन है? मुझे छोड़ दो।” उसने पीछे मुड़कर तो देखा ही नहीं था। उसने सोचा कि शायद उसका वहम होगा। वह बहुत डर गया था। अचानक उसने बत्ती बुझाने और धमाके की आवाज सुनी और पास में देखा, तो उसके स्कूटर की बत्ती जल रही थी और बुझ रही थी। ऐसा कुछ पलों तक चला, फिर बत्ती बुझ गई।

भरत को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की अब वह क्या करे? वह कुछ करता है उससे पहले ही उसके सामने एक लटकता हुआ सफेद छाताहे दिखाई देता है। भरत ने डर के मारे अपनी आंखें बंद कर ली; लेकिन वह अपनी आँखों को ज्यादा देर तक बंद नहीं कर पाया। जब उसने अपनी आंखें खोली, तो उसके पैरो से जैसे जमीन खिसक गई! उसके सामने एक चुड़ैल थी। वह सफेद साड़ी पहनती थी। वह डरावनी नजरों से भरत को देख रही थी। फिर उस चुड़ैल ने छाता ज़मीन पर फँक दिया। भरत ने देखा कि बारिश की बूंद चुड़ैल की साड़ी पर गिरते ही बूंद लाल रंग की हो गई। धीरे-धीरे पूरी तरह लाल रंग में संशोधित हो गई। यह दृश्य देखकर भरत प्रभावित हो उठो और अपना स्कूटर चालू करने लगा। सौभाग्य से उसका स्कूटर चालू हो गया और वह अचानक से अपने घर की ओर बढ़ने लगा। कुछ देर बाद, वही चुड़ैल भरत के स्कूटर के सामने आ गई। सुरेश, स्कूटर को नियंत्रित नहीं कर पाया और स्कूटर एक पेड़ पर जाकर क्रैश हो गया। पेड़ से टकराते ही भरत की तुरंत मौत हो गई। अगले दिन सुबह जब कुछ लोगों ने यह देखा, तो पुलिस को बुलाया और भरत के घरवालों को लाश दे दी और पुलिस ने जांच पड़ताल करके बताया कि भरत की मौत, आपातस्थिति से हुई। वह तेज़ गति से स्कूटर चला रहा होगा और नियंत्रण न रहने पर, पेड़ों से टकराकर उसकी मौत हो गई।

भरत की मौत के कुछ दिन बाद, ऐसी ही तेज़ बारिश हुई, जितनी उस रात को हुई थी। भरत के दो खास दोस्त थे, महेश और शशिकांत। वो दोनों भरत के साथ ही काम करते थे। रात के ३ बजे थे। महेश अपने कमरे में सो रहा था। उसको आसमान से बिजली कड़कड़ाने की आवाज सुनाई दी। महेश ने अपना ध्यान सोने पे केंद्रित किया। अचानक उसको ऐसी अनुभूति हुई जैसे किसीने उसको एक थप्पड़ मारा हो! वह नींद से जाग उठा और आसपास देखने लगा; लेकिन आसपास कोई नहीं था। फिर थोड़ी देर बाद, कमरे की बत्ती जलने और बुझने लगी। यह देख, महेश बहुत घबरा गया और कंबल ओढ़कर सोने का प्रयास कर रहा था। उसने महसूस किया कि उसका कंबल कोई पीछे से खींच रहा है, वह जोर-जोर से से चिल्लाने लगा, “ मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो।” उसके कुछ देर बाद, सब कुछ शांत रहा। फिर अचानक खिड़की अपने आप खुल गई और उसमे से एक हाथ, बाहर से अंदर आया, जिसकी हथेली पर खून ही खून था। उस हाथ ने कसकर महेश का गला पकड़ा और उसको मौत के घाट उतारकर, रस्सी की मदद से पंखे के नीचे लटका दिया। अगले दिन सुबह, महेश का दोस्त शशिकांत जब उसको बुलाने आया तब उसने यह दृश्य देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने जांच पड़ताल करके इसको खुदकुशी का नाम दिया और कहा की, “ महेश ने तनाव और किसी बात के दबाव में आके आत्महत्या की होगी। हम आगे इसकी ओर भी जांच करने की कोशिश करेंगे।”

अपने दोनों दोस्तो की मौत के बाद, शशिकांत बहुत ज्यादा तनाव में आ गया। उसको मन ही मन यह लगने लगा कि अब तीसरा नंबर उसका है। उसने ऑफिस जाना भी बंद कर दिया। कुछ दिनों उसने आपको अकेले में रखा। यहां तक की वह अपने परिवार के लोगों से भी ज्यादा बात नहीं करता था। कुछ दिनों बाद उसको लगा कि अब खतरा टल चुका होगा, तब वह अपनी पत्नी के साथ दूसरे शहर घूमने चला गया। कुछ दिनों तक उसने अपनी पत्नी के साथ दूसरे शहर में सैर की। कुछ दिनों घूमकर दोनों वापस अपने घर आ गए। अब शशिकांत के मन में डर का नामोनिशान नहीं था। वह आराम से जीवन व्यतीत करने लगा। दूसरे शहर घूमकर आने के बाद वह रोजाना ऑफिस जाने लगा।

एक दिन ऑफिस में ज्यादा काम की वजह से उसको देर तक रुकना पड़ा। उस रात को भी तूफान के साथ भारी बारिश हो रही थी। शशिकांत अपनी कार में बैठकर, घर के लिए रवाना हुआ। रास्ते में एक बड़े से खड्डे के साथ उसकी गाड़ी टकराई और कार का एक पहिया खड्डे में गिर गया। शशिकांत कार से नीचे उतरा और बहुत प्रयास किया लेकिन पहिया खड्डे से नहीं निकला। परेश कोशिश कर रहा था की एक औरत वहा से गुजरी। उस औरत ने बड़े प्यार से शशिकांत को कहा, “ सुनिए, क्या में आपकी मदद करू?” रमेश ने कहा, “ नहीं, मुझसे ही नहीं हो रहा है, तो आप से थोड़ी होगा? फिर भी आपको लगता है, तो आप एक बार प्रयास कीजिए।” उस औरत ने, कार को पीछे से सिर्फ थोड़ा सा धक्का मारा और कार का पहिया, खड्डे से निकल गया। शशिकांत ने उस औरत का धन्यवाद किया और उनको पूछा,“ आपको कहा जाना है? इतनी रात को आप अकेले कहा जाओगे? आप मुझे बताइए, मैं आपको जहां जाना है, छोड़ देता हूं।” “जी धन्यवाद आपका। यहां से थोड़ा आगे, एक तालाब वाली गली आती है, वहा मुझे छोड़ दीजिएगा। तालाब के पास में ही मेरा घर है।” औरत ने जवाब दिया।

शशिकांत ने उस औरत को अपनी कार में बिठाया और आगे बढ़ा। परेश को थोड़ा डर जरूर लग रहा था; लेकिन उसने गाड़ी चलाने पे ध्यान केंद्रित किया। थोड़ी देर बाद, पीछे से आवाज आई। “ बस, यहां पे रोक दीजिए। मेरा घर पास में ही है।” शशिकांत ने कार रोक दी और उनको उतरने को कहा। अचानक उसने पीछे से डरावनी आवाज़ सुनी, “ शशिकांत, अब तू गया। तेरा अंत अब नजदीक है। मैं तुझे नहीं छोडूंगी।” परेश ने पीछे मुड़कर देखा, तो उसके होश उड़ गए। वो औरत, एक खौफनाक चुड़ैल में परिवर्तित हो गई थी। उस चुड़ैल ने जोर से शशिकांत को धक्का दिया और उसको कार से नीचे गिरा दिया। फिर शशिकांत को घसीटकर तालाब की ओर ले जाने लगी। शशिकांत बहुत चीखा और चिल्लाया; लेकिन चुड़ैल ने उसकी एक नहीं सुनी। शशिकांत ने चुड़ैल से कहा,“ कृपया, मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो। मैंने आपका क्या बिगाड़ा है?”

“ शशिकांत तू आज मेरे हाथो से ही मरेगा। तुम्हारे दोनो दोस्तों को तो में मौत के घाट उतार चुकी हूं, अब तुम्हारी बारी है। याद करो, बरसात की वो अंधेरी रात, जिस रात को तुम लोगों ने मेरी हत्या करके,मुझे तालाब में फैंक दिया था। जिस जमीन ने मुझे और मेरे मां-बाप को रोजी - रोटी दिलाई थी; वह जमीन तुम तीनों हड़पना चाहते थे और उस जमीन पे शराब की फैक्ट्री लगाना चाहते थे। जब मैंने और मेरे पिताजी ने, हस्ताक्षर करने से मना कर दिया, तो तुम पापी दरिंदो ने मेरी और मेरे पिता की हत्या कर दी और दोनों को तालाब में फैंक दिया। हमारी मौत का कारण लोगों को यह बताया की हम पानी में डूबकर मर गए है। मैं उस जमीन पे कभी भी शराब की फैक्ट्री नहीं चलने दूंगी तथा मैं वापस मेरे और मेरे पिताजी का बदला लेने के लिए आई हूं। आज तुझे भगवान भी मुझसे बचा नहीं पाएगा।” कहकर चुड़ैल ने जोर से धक्का दिया और परेश को तालाब में गिरा दिया और पानी में डूबकर उसकी तुरंत मौत हो गई। फिर चुड़ैल अदृश्य हो गई। दूसरे दिन किसीने शशिकांत की लाश को पानी में बहते हुए देखा, तो तुरंत पुलिस को संपर्क किया। पुलिस ने जांच करके, उसकी लाश उसके परिवार को दे दी तथा मौत का कारण यह बताया की उसकी मौत पानी में डूबकर हुई।

( सूचना - यह कहानी काल्पनिक है। इस कहानी में दिए गए सारे पात्र भी काल्पनिक है। किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुंचाना मेरा उद्देश्य नहीं है। )



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