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बर्फिली कब्र

बर्फिली कब्र

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आज के हर अखबार में बस कैप्टन अमर की की खबर थी। घाटी में आये भंयकर हिमस्खलन में बचने वाले वो इकलौते फौजी थे।

रिपोर्टर:- "हाँ तो, कैप्टन अमर इस भंयकर हिमस्खलन से आखिर आप कैसे बच गये।"

"मौत मेरे सामने खड़ी थी पर एक फौजी हूँ हार कैसे मानता, मेरे हाथ एक ताला लग गया था जिसकी मदद से मैं अपनी उंगलियाँ बर्फ से बाहर निकाल पाया,और फिर पूरे छत्तीस घन्टे बाद राहत दस्ते ने मुझे ढूँढ़ निकाला।"

रिपोर्टर:- "वो कौन सा जज्बा था जिसने आपको बर्फ में इतने घन्टे दबे रहने के बाद भी हिम्मत नहीं हारने दी।"

"प्यार प्यार और सिर्फ प्यार।"

रिपोर्टर:- "अच्छा जी यह प्यार का चमत्कार है। कौन है वो भाग्यशाली ? आपकी माँ या फिर बीवी, जिसके प्यार ने आपको इतनी ताकत दी।"

"मेरी माँ और बीवी का प्यार तो मेरे साथ है ही, पर आज मैं जिन्दा हूँ तो सिर्फ और सिर्फ अपनी भारत माँ के लिए। उस दिन अगर मैं भी पूरी टुकड़ी के साथ मर जाता तो भारत माँ का बहुत बड़ा नुकसान हो जाता।"

रिपोर्टर:- "नुकसान कैसा नुकसान ? मैं कुछ समझी नहीं।"

कैप्टन के कुछ बोलने से पहले ही एक और ब्रेकिंग न्यूज फ्लैश होने लगी थी।

"कैप्टन अमर ने किया बहुत बड़ी साजिश को नाकाम, बचाई लाखों जान।"

कैप्टन मुस्कुराते हुये बोले:-

"जब हमें इस साजिश की खबर मिली तो हम सब इसे नाकाम करने की कोशिश में लग गये पर हम सब कुछ कर पाते इससे पहले ही हम सब बर्फिली कब्र में थे इसलिए मुझे हर हाल में जिन्दा रहना ही था क्योंकि मेरे साँसों की डोर से बहुत सी साँसों की डोर जुड़ी हुयी थी।"


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