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Sri Sri Mishra

Inspirational

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Sri Sri Mishra

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बंद दरवाजे

बंद दरवाजे

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माना कि कत्ल हो जाते हैं नज़रों की अदाओं से

पर नज़रें मिलाने की तालीम ली तो होती

तसव्वुर में तेरे वक्त की हिज्र पे सरकता रहा

ज़रा दो पल ठहर के मेरी आहट सुनी तो होती


आईना -ए-दिल पर खींच दिया तेरा ही नक्शा

झरोखों से झांँक कर उभरती तस्वीर जरा देखी तो होती

इन घने दरख़्तों में बारिश बहुत है वफाओं की

लम्हा -ए- फुर्सत में टिक कर जरा छाँव ली तो होती


रूबरू हैं बखूबी हम इन राहों के कायदे उसूलों से

महफूज आप कितने हैं एहसासों के सांँसो को ली तो होती

गिला नहीं कोई मुझे कि मुझ पर एतबार कितना

गौर बारीकियों की अपनी मेरी मुस्तकीमी पर की तो होती


कैद कितने हैं हसीन लम्हे दिल के उन बंँद दरवाजों में

एक मुलाकात की किताब जरा खोली तो होती।


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