बीडीराम
बीडीराम
एक रहेन बीडीराम,
अरे दादा जी के समौरी रहेन पर अपन आशिकाना मिजाज ना छोड पाये रहेन।
जबहि देखी नारी फटाक आँख मारी, कसी जीनस पहिन लाल कमीज पहिन केर लौडा बनत रहे। शेरो शायरी सुनावत रहेन, बटियेन सब लोग ओहका पहचानत रहेन समाने तो कौनो कछु ना कहत रहा पर पीछे सब ओहका गरियावत रहेन आय गवा नासपीटा ऐहका हैजा ले जाये मरे समय।
लौंडिया छेडत है। अब एक हअहु से टकरा गयेन। हम का लगेन शेरो शायरी सुनाये। हम बुलाये लाये उनके मेहरारू यानि दादी माई केर ऊना देख पायेन और सुनावत रहीन शायरी, अब लौ मजा आई गवा दिन के बुडओ को बेलन ए बेलन और चिलावत रहीन अरे नासपीटा माटी मिले तोहका हैजा ले जाये आपन मरे के समय मा बेटियों को छेड़त हो।
हरी भेजे की केर जगह शायरी सुनावत हो चला घर चला तोहका आज बताऊँब।
यह थी बीडी राम की कहानी।