भयावह रात से सामना ... !
भयावह रात से सामना ... !
प्रकृति ने कुछ नियम बनाये हैं। सूरज और चाँद सितारों की दिनचर्या बनाई है और अपनी सबसे खूबसूरत रचना इंसान को इन प्राकृतिक उपहारों से तालमेल बिठाकर कर चलते रहने और आदर्श मनुष्यता का निर्वाह करने का नियम बनाया है। प्राय: प्रकृति अपने नियमों में ढील नहीं देती है और न वह किसी से ढिलाई चाहती है। अगर मनुष्य प्रकृति के विरुद्ध जाता है तो उसे उसके कोप का भाजन बनता है। ........अवश्य बनना पड़ता है। रात और दिन भी उसी प्रकृति के अधीन हैं। लेकिन मनुष्य की मन: स्थितियां इस दिन और रात को कभी प्रिय और कभी अप्रिय बना दिया करती हैं। दिन वही प्रैदीन की तरह होता है , रात वही हर रात जैसी होती है कभी अंधेरी कभी उजाली लेकिन मनुष्य के लिए उसकी मन: स्थिति के अनुसार वह दिन या वह रात भयावह भी हो जाया करती हैं। आजकल प्रोफ़ेसर दवे उनकी पत्नी कुमकुम और उनकी सो काल्ड पुत्र वधू कनिका ऐसी ही अपनी अपनी भयावह रात से सामना कर रहे हैं। इन तीनों के सामने तीन अलग अलग प्रकृति के प्रश्न हैं , यक्ष प्रश्न हैं और जिनके उत्तर की तलाश में इनका जीवन भटक रहा है।
पुद्दुचेरी में प्रोफेसर दवे और मिसेज कुमकुम और मुम्बई में कनिका अपनी अपनी ज़िंदगी में आये यकायक मोड़ से हतप्रभ हैं। कनिका को प्रशांत की कमी, पुलिस और नारकोटिक्स विभाग की जांच और अपने कैरियर की चिंता हलकान किये जा रही है तो मिसेज कुमकुम अपने डिप्रेशन से उबरना चाह रही है। प्रोफेसर दवे को अब बेपनाह दिल्ली याद आ रही है।
...............मुबई। कनिका के भव्य ड्राइंग रूम की दीवाल पर बड़ी स्क्रीन वाली टी.वी.में इस समय " तारक मेहता के उलटे चश्में " का एपिसोड चल रहा है ......
"जेठा: हे भगवान ! लाक डाउन के माध्यम से आपने बहुत लम्बे टाइम तक सबको घर पर फंसा दिया। अभी आज से सबका कामकाज शुरू हो रहा है तो ऐसी कृपा करना कि सबका काम धंधा एकदम अच्छे से चल पड़े ..चलो भगवान जी का आशीर्वाद मिल गया अब बापू जी का आशीर्वाद लेते हैं। "
"बापू जी :हे ...हे , अरे , दुकान जाने के लिए तैयार ? "
"जेठा: हाँ ,बाबू जी !"
"बापू जी : अब सॉरी मत बोलना तेरे हाथ जोड़ता हूँ .. अरे कब तक सारी सारी बोलता रहेगा ..अब सब भूल जा ..तेरे हाथ जोड़ता हूँ ..सब भूल जा ...ये सारी रिटर्न तो मैंने बर्दाश्त कर लिया लेकिन ये सरी वाला मानसिक दर्द मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगा ..!"
यकायक डोर बेल बज उठी। कनिका ने द्वार खोला ही था कि एक महिला सहित चार पांच लोग ड्राइंग रूम में घुस आये।
"आप ..आप लोग कौन ? "कनिका ने घबराते हुए उन लोगों से पूछा।
"मैं इन्स्पेक्टर शहाने। क्राइम ब्रांच से और ये हैं हमारे स्टाफ के लोग। आपके लिए हमारे पास गिरफ्तारी का वारंट है। "
"व्हाट ?"..ऐसा मैंने क्या किया है जो आप मुझे कस्टडी में ले रहे हैं ?" कनिका ने विरोध किया।
"आपके विरुद्ध प्रशांत के सुसाइड मामले में कुछ सुबूत मिले हैं जिनसे आप पर भी संदेह जा रहा है। आपको हमारे साथ चलना होगा। "इन्स्पेक्टर शहाने ने कहा।
"ओ.के. ! कैन आई कंसल्ट विद माई लीगल एडवाइजर प्लीज़ ? "
अब कनिका अपने काननी सलाहकार से बातें करने लगी थीं। लगभग पांच मिनट की बातचीत के बाद कनिका ने अपने लिए कुछ आवश्यक सामान रखे और उस पुलिस टीम के साथ चल दी। साथ में एक पुस्तक लिए हुए।
गाड़ी के स्टार्ट होने के बाद कनिका बाल कवि बैरागी की उस पुस्तक की दुनिया में खोती चली जा रही थीं ...
" सामना जब भी कभी हो ज़िंदगी में रात से ,
तो कर लेना दोस्ती बदशक्ल से बदजात से।
रोशनी से दुश्मनी जिसका सनातन धर्म हो ,
और ऐसे धर्म पर जिसको न कोई शर्म हो।
उसके लिए संकल्प की बस एक तीली चाहिए ,
ध्यान रखना आंसुओं से वह न गीली चाहिए। "
इधर प्रोफ़ेसर दवे तैयारी में जुटे हुए थे कि आज मिसेज कुमकुम को अस्पताल से डिस्चार्ज करा कर घर लाना है। कोशिश कर रहे थे कि जब मैडम घर पर आयें तो उनको उनका घर सुव्यवस्थित मिले। बेडरूम में बेड की चद्दरें बदलवा दिन , कर्टेन बदलवा दिए। साइड टेबुल पर ताजा फूलों का गुलदस्ता रख दिया गया। किचन में हर आवश्यक खाद्य सामग्री रख दी गई।
ड्राइवर ने पोर्च में अब गाड़ी लगा दी थी।
