भूखों को भोजन
भूखों को भोजन


जी हाँ , अन्न दान सबसे बड़ा महादान है । लाकडाउन के समय कोरोना जैसे संकट में हमारा राष्ट्रीय धर्म , कर्तव्य है कि हम भूखों को भोजन कराएँ । हमारे आसपास के गरीब , वंचित, मजदूर वर्ग , असहाय , दिव्यांग आदि लोग जो मजबूरी में अपने लिए आर्थिक रूप से तंगी होने के कारण , अन्य कारण , कहीं फंसे होने की वजह से वे अपने लिए खाने की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं । ऐसे में होटल , ढावे , टपरी , चाय की दुकानें बंद पड़ी हैं ।
तब हम मानवता के लिए हम उन्हें भोजन , चाय , नाश्ता आदि देना चाहिए ।
बुजुर्ग लोगों , निराश्रित व्यक्तियों , अनाथों की हेल्प लाइन से नमंबर ले के भी हम उनकी जरूरतों में सहायता कर सकते हैं ।
वसुधैव कुटुम्बकम की संस्कृति को मानने वाले भारत में
पूरे भारत में सामाजिक , धार्मिक संस्थाएं , संगठन , व्यक्तिगत लोग , भोजन खिलाने की सेवा में लगे हुए हैं । भोजनालय में हर तबक़ा अपने , अपने हिसाब से जैसे सब्जी काटने , आटा गूंदने , पूरी बनाने आदि में मदद करने में लगा है ।
हमारी सोसाइटी में वाचमैन को लाकडाउन की वजह से
भोजन , चाय आदि की असुविधा हो रही थी । हम सब लोगो
ं ने उसकी खाने व्यवस्था कर समस्या का समाधान किया ।
हमारे नगर सेवक ने हेल्प लाइन नमंबर भी दिया है ।जो व्यक्ति या संस्था जो तैयार भोजन , राशन , फल , सब्जी आदि देना चाहता है तो इन नम्बरों पर मदद कर सकता है ।
मुंबई , नवी मुंबई में शेल्टर होम , रेन - बसेरे बने हैं ।
उनमें लोग जी खोल के खाने - पीने की सेवाएँ दे रहे हैं ।
ये लोग आपदा के समय इंसानियत को जिंदा रखे हुए हैं ।
कोई भी मजबूर व्यक्ति भूखा नहीं सो सके ।
वाशी में व्यापारी संघ ने 2 हजार खाने के पैकेट की व्यवस्था जारी है । जिन्हें जरूरतमंदों तक भेजा जा रहा है । हॉस्टलों में रह रहे छात्र - छात्रों , कर्मचारियों को भी
भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं ।
आज पूरा संसार भारत की विविधता एकता को देख रहा है । जहाँ अमीर -गरीब , छोटे - बड़े , जाति आदि भेदभाव नजर नहीं आता है । भारत की शक्ति सामूहिकता में है , संगठन में है ।
युद्ध स्तर पर आयी कोरोना महामारी में हर नागरिक , मंत्री से लेकर संत्री तक हर कोई अपना भोजन , अन्न दान से कर्तव्य निभा के राष्ट्रीय धर्म निभा रहा है ।