भ्रष्टाचार को राजनीतिक आंड़
भ्रष्टाचार को राजनीतिक आंड़
"स्वार्थ-मय, भ्रष्ट-युक्त, चरित्र-हीन, दरिद्र-पूर्ण, व्यापारिक पार्टियों की राजनीति", जिनमें स्वःघोषित नेता गण व स्वःघोषित समाज सेवी। समाज में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए राजनीति में आते हैं और जिस पार्टी की दुकान ज्यादा अच्छी चल रही होती है, या "वो" जिस क्षेत्र में राजनीति करना चाहते हैं। उस क्षेत्र में जिस पार्टी की पकड़ मजबूत होती है। वे उस "पार्टी के कंधे पर बंदूक रखकर अपनी सुनियोजित स्वार्थ प्रणाली की पहली गोली दागते हैं"और धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत करते हैं। बड़े-बड़े लोगों से परिचय बन जाता है व छोटे मोटे लोगों को धमका-कर या खरीद-कर अपना समर्थन प्राप्त किया जाता है। इन स्वःघोषित नेताओं का परम् उद्देशय सामाजिक और व्यापारिक प्रतिष्ठा को प्राप्त करना होता है। जिसे ये धीरे-धीरे प्राप्त कर लेते हैं।
ये राजनीति की अाड़ में कई तरह के व्यापार करते हैं, जैसे-दारू का ठेका, पेट्रोल पंप का संचालन, प्लाटिंग, पार्किंग का ठेका, रोड़-नहर का ठेका, टेम्पो-बस-टैक्सी का ठेका या आसान शब्दों में यूँ कहें की इनका क्षेत्र काफी विस्तृत है। कुल मिला कर ये स्वःघोषित नेता अपनी आने वाली एक दो पीढ़ियों को, आर्थिक सम्पन्नता का वरदान अवशय ही दे जाते हैं। इनके द्वारा "कमाई गई संपत्ति का ब्योरा अगर मांगा जाए तो इन स्वःघोषित नेताओं के परम् उद्देशय का पता चल जाएगा"।
सरकार को चाहिए की वे सभी छोटे- बड़े स्वःघोषित व घोषित नेताओं की चल व अचल संपत्ति कि जाँच करवाए और "भ्रष्टाचार मुक्ति अभियान" को सींढ़ी पर चढ़ने की "लोकता़त्रिक ताकत" मिले।