Ravindra Shrivastava Deepak

Drama

5.0  

Ravindra Shrivastava Deepak

Drama

भरोसा...एक बंधन (भाग-2)

भरोसा...एक बंधन (भाग-2)

3 mins
572


दोनों परिवारों के आपसी सहमति के बाद शादी की तारीख़ 5 महीने बाद कि रखी जाती है। अब लगभग कुसुम को तुषार के घरवाले अपनी बहु मान चुके थे। कुसुम भी तुषार के घर को अपना मानने लगी थी। दोनों के बीच नजदीकियां काफ़ी बढ़ गई थी। एक दिन तुषार ने कुसुम से कहा कि उसे अपनें ऑफिस के काम से अमेरिका जाना है। कुछ दिनों में वापस आ जाऊंगा। ठीक है, लेकिन मेरा मन नही लगेगा। (कुसुम) जाना तो पड़ेगा न। (तुषार) ठीक है, जल्दी आना और अपना ख़्याल रखना। 

कुछ दिनों बाद कुसुम और उसके दोस्त हॉलिडे मनाने बस से निकल पड़ते है। रास्ते में चलते हुए रात हो गई। बस अपनी स्पीड से चलती जा रही थी। तभी अचानक ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाई। सब घबरा गए कि आखिर क्या हुआ। अभी सब कुछ समझ ही पाते कि कुछ लुटेरे हथियारों से लैस बस में घुस गए और लूट-खसोट मचाने लगे। 

अपनें सारे पैसे, रिंग, और जो भी सोने के समान है दे दो वर्ना अच्छा नही होगा। हम छीन लेंगे। (लुटेरा) सभी डर के मारे जो भी था उनके पास सब दे दिए मगर अपनी सोने की सेरेमनी रिंग और लॉकेट कुसुम नें नही दिया। ये मेरे प्यार की निशानी है। इसे मैं तुम्हें हरगिज़ नही दूँगी। इसपर लुटेरे को गुस्सा आया और उसने छीना-झपटी किया। उसने कुसुम को धक्का देकर दोनों छीन लिया। कुसुम शीशे से जा टकराई। दुर्भाग्य से उसका चेहरा शीशे से टकराने के बाद शीशा टूट गया और उसका चेहरा खून से लतपथ हो गया।

फिर उसके दोस्तों ने जल्दी से उसे हॉस्पिटल में भर्ती किया कराया। रिपोर्ट में डॉक्टर नें बताया कि चेहरे का स्किन कभी नष्ट हो चुका है। अंदर के पार्टिकल्स भी नष्ट हो गए है। कुछ कहना मुश्किल है। 

उधर तुषार को पता चलता है तो वो सारे काम छोड़कर भारत आता है और सीधे कुसुम से मिलता है। जैसे ही उसने कुसुम को देखा उसकी तो पैरों तले जमीन ही खिसक गई। चेहरा पूरा पट्टी से ढका हुआ था। फिर उसनें अपनें आप को संभालते हुए कुसुम के पास गया। कुसुम....मैं तुषार। ये सब कैसे हो गया ?

इतना सुनते ही कुसुम दूसरे तरफ मुड़ गई। अब....मैं वो कुसुम नही रही जिसे तुम प्यार करते हो तुषार। अब मैं वो कुसुम नही जिससे तुम्हारी मंगनी हुई थी। मुझे भूल जाओ तुषार। इतना सुन तुषार बोलामैंने तुम्हारे सूरत से नही सीरत से प्यार किया है कुसुम। सूरत खराब हो सकता है पर सीरत कभी नही। मैं खुद को भूल जाऊं पर तुम्हें मैं इस जन्म में तो क्या सातों जन्म में भूल नही सकता। 

इधर, तुषार-तुम दूसरी लड़की से शादी कर लो। अभी शादी थोड़े हुआ है। कुसुम अब तुम्हारे लिए सही नही रहेगी। (तुषार के पिता) तुषार की मां भी उसपर शादी न करने के लिए दबाव डालना शुरू कर दी। वे दोनों तुषार की शादी कुसुम से हो इसके लिए बिल्कुल भी राजी नही थे। वो इस शादी के बिल्कुल ख़िलाफ थे। अब तुषार एक बहुत ही बड़ी संकट में फंस गया था। एक तरफ कुसुम तो एक तरफ उसका परिवार।

तब जाकर उसनें एक कठोर निर्णय लिया और फिर.....

वो निर्णय आख़िर क्या था ?

क्या ये शादी हो पाई या नही ?

क्या तुषार पिताजी की बात मानी ?


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