भैंसों का तबेला

भैंसों का तबेला

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बात बीस साल पहले की है, सांवली-सलोनी, लंबी-छरहरी सूरजमुखी से एक विवाह समारोह में आँखे चार हुई थी। तभी आ गया जालिम वैलेंटाइन डे और मैंने सूरजमुखी को लाल गुलाब देने का मन बनाया। १४ फरवरी को कॉलेज से बंक मारा और एक गिफ्ट पैकेट में कपड़े का दिल, चॉकलेट और हाथ में ग्रीटिंग कार्ड और गुलाब लिए जा पहुँचा सूरजमुखी के कॉलेज। उन दिनों भगवा ब्रिगेड का ज्यादा जोर न था लेकिन लड़की के पिता-भाइयो के डंडो का जबरदस्त जोर था। तभी सूरजमुखी सखियों के साथ आती दिखाई दी और मैं चारों तरफ होशियारी से देखते हुए सूरजमुखी की और लपका, दिल धड़-धड़ कर रहा था, कहीं लड़की थप्पड़ न जड़ दे । खैर डरते-डरते उसके सामने पहुंचा और गिफ्ट, गुलाब, चॉकलेट, ग्रीटिंग कार्ड उसे जबरदस्ती थमा दिया।

तभी एक कर्कश आवाज गुंजी- "पकड़ो बदमाश को, लड़की छेड़ता है।"

मैंने घबरा कर देखा सड़क की दूसरी और से सूरजमुखी के चार पहलवान भाई हाथों में डंडे लिए मेरी और दौड़े चले आ रहे थे।

मैं भी कम न था दौड़ पड़ा संकरी गलियों में, वो मोटे पहलवान क्या मुकाबला करते मुझ धावक का। खिलाड़ियों का खानदान है अपना, दादा हाई जम्प में, पिता जी लॉन्ग जम्प में, दोनों बड़े भाई हर्डल रेस में। और ये सब स्पोर्ट्स कोटे से पुलिस में भर्ती हुए। दादा डिप्टी एस. पी. से रिटायर हुए, पिता और दोनों भाई अभी सब इंस्पेक्टर ही है और तीनों का सपना है मुझे भी स्पोर्ट्स कोटे से पुलिस में भर्ती कराने का। जिसके लिए मैं हंड्रेड मीटर रेस के लिए पिता जी और भाइयों से ट्रेनिंग ले रहा था। १२ वी पास की थी और ग्रेजुएशन के पहले साल में था।

खैर मैं वहां से तो भाग आया लेकिन शाम को सूरजमुखी का पिता, 'जालिम सिंह डेरी,' का मालिक अपने चारों लड़कों, बिरादरी के लोगों और मेरी वैलेंटाइन डे की गिफ्ट सामग्री के साथ मेरे घर आ धमका। मेरी तक़दीर उस दिन पिता जी और दोनों भाई छुट्टी पर घर आये हुए थे।

सूरजमुखी का पिता जालिम सिंह बुरी तरह कलप रहा था और कह रहा था- "दरोगा जी ये तुम्हारा खुला सांड क्या बिरादरी की लड़कियों की इज्जत से खिलवाड़ करने के लिए है? सूरजमुखी बता रही थी ये उससे अकेले में मिलने की जिद्द करता है। इसके चक्कर में मेरी लड़की बदनाम हो गयी है अब उससे कौन शादी करेगा ?"

पिताजी ने उसे समझाने की कोशिश की- "अजी बच्चा है शरारत कर बैठा, जाने दो।"

जालिम सिंह तो घमशान मचाने के मूड में था, तमक कर बोला- "अजी ऐसे कैसे जाने दे, शादी करो इसकी हमारी लड़की से नहीं तो लड़की के बयान कराकर जेल भिजवाता हूँ तुम्हारे आवारा लड़के को।"

उसके बाद अभूतपूर्व हंगामा हुआ तीन दिन की लगातार पंचायतों और बिरादरी के लोगों के दबाव में पिताजी को इस शादी के लिए मानना पड़ा। एक हफ़्ते बाद शादी होनी तय हुई। पिताजी और भाइयों का मुझे खिलाडी बनाने का सपना टूट चूका था, शादी से एक दिन पहले तीनों ने जमकर पिटाई की मेरी। एक हफ़्ते बाद सूरजमुखी ब्याह कर घर में आ गयी और एक महीने बाद पिता जी ने लात मार कर घर से बाहर कर दिया। कभी शहर से बाहर पिता जी ने मेरे नाम एक एकड़ का एक खेत खरीदा था और उसमें चार कमरे भी बनवाये थे जो बिना देख-रेख के खंडहर हो रहे थे। वो खंडहर ही ठिकाना बना मेरा और सूरजमुखी का।

आने वाले एक महीने में पास का पैसा ख़त्म हो चुका था और भूखों रहने की नौबत आ चुकी थी। कोमल कली सूरजमुखी अब बेलगाम शेरनी बन चुकी थी। एक दिन वो गुर्रा कर बोली- "नंदू निकम्मे, सारा दिन चारपाई तोड़ते शर्म नहीं आती तुझे? चल मेरे साथ चल, कुछ काम-काज के लायक बनाती हूँ तुझे।"

उसके बाद वो मुझे सहकारी बैंक ले गयी जहाँ उसका चाचा बैंक में बाबू था और दिला दिया डेरी का लोन जमीन के पेपर गिरवी रखकर। लोन से चार भैंस और दूसरा सामान खरीदा गया और उद्घाटन हो गया, 'नंदू डेरी,' का। सूरजमुखी पिता के घर से ही इन सब कामों में प्रवीण थी इसलिए डेरी चल निकली। चार भैसों से पचास भैंसे कैसे हो गयी पता भी नहीं चला। छोटी सी डेरी को भैसों का तबेला बनते देर न लगी।

समय गुजरा पिताजी और भाइयों के मन की कड़वाहट कम हुई और भैंसों के तबेले को उन्होंने मेरा भाग्य मान मुझे पुनः अपना लिया। दो बेटों का जन्म हुआ, बड़े हो गए है, अब तो कॉलेज की पढ़ाई के साथ डेरी का काम भी संभालते हैx। सूरजमुखी वजन में अपने तबेले की भैंसों को टककर दे रही है।

आज फिर १४ फरवरी है दोनों बेटों को कॉलेज जाने की तैयारी करते देख रहा हूँ, और मन में चिंता लिए बोल पड़ा- "बेटा चुन्नू-मुन्नू, अंग्रेज आज के दिन बहुत ही वाहियात त्यौहार मनाते है, आज थोड़ा होशियार रहना नहीं तो बाप की तरह किसी भैंसों के तबेले के चक्कर में फंस जाओगे।"

चुन्नू-मुन्नू हँसते हुए अपने कॉलेज चले गए और सूरजमुखी, जिसने मेरा प्रलाप सुन लिया था दहाड़ कर बोली- "नंदू निकम्मे, शुक्र मान उस वैलेंटाइन डे का जो मुझसे शादी हो गयी नहीं तो अब तक गलियों में लड़कियों की सैंडलों की मार खाते घूम रहा होता।"


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