भारत की जल समस्या का समाधान

भारत की जल समस्या का समाधान

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"नमस्ते चाचाजी,लीजिए हम आ गए,और हां, आज आप बताएंगे व्यक्तिगत रूप से जल संचय कैसे करें।"अनिरुद्ध ने याद दिलाया।

"अरे वाह,बहुत खूब!मुझसे मेरा होम वर्क मांगा जराहा है ?यह भी खूब रही।"

"क्या हुआ चाचाजी,होमवर्क करना भूल गए? दोस्तों , जब हम होमवर्क भूल जाते हैं तो हमारे साथ क्या होता है?"

"रुको,रुको बच्चों, मैं तैयार हूं।आओ बताएं किस तरह बंगलुरु अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स प्रतिदिन 500 लीटर पानी बचाता है।" 

"और खर्च कितना कर लेता है?"

 "रिपोर्ट्स कहते हैं कि बेंगलुरु में लगभग 1लाख कारें हैं और यह माना जाता है कि प्रति सप्ताह इन कारों को धोने के लिए 10 करोड़ लीटर पानी की जरूरत होती है।यह उतना ही है जितना की बैलंदुर झील के पानी को 50 बार खाली किया जाए!"

"यह तो बहुत बड़ी समस्या है।इसका कोई स्थाई समाधान नहीं है ?"

"आज भारत के शहरों की सबसे बड़ी समस्या पानी के रूप में उभरकर सामने आई है। इस स्थिति से निपटने के बहुत कम प्रयत्न हुए हैं। नागरिकों और सरकार ने इस स्थिति को नियति मान लिया है।"

"हाथ पर हाथ रखकर बैठना हो तो लोग नियति पर दोष मढ़ देते हैं।"

"सही कहा।सबसे अधिक जल संकट है बेंगलुरु शहर में, यहां भारी मात्रा में निर्माण कार्य और लोगों का आना बना रहता है। 

 इस समस्या का समाधान गंभीरता से सोचा आदिनारायण राव वेलूपुला ने। उन्होनें स्थानीय नागरिकों को पानी को अधिक समझदारी से खर्च करने के उपाय बताए।"

वे लंदन से मां वृंदावन सोसायटी अपार्टमेंट कॉन्प्लेक्स व्हाइटफील्ड, बेंगलुरु शिफ्ट हुए। यहां उन्होंने पाया कि स्थानीय लोग पानी के लिए जितना पैसा खर्च करते हैं, उतना पानी उन्हें नहीं मिलता कारण, पानी की बढ़ी हुई मांग।"

पानी की मांग बढ़ने के पीछे जनसंख्या का बढ़ना भी एक कारण है,सही कहा न,चाचाजी ?"

"सही कहा,जितने अधिक लोग ,इतनी अधिक जरूरतें।इसके अतिरिक्त आर ओ का प्रयोग!

यहां 46 अपार्टमेंट में आरओ वाटर प्यूरीफायर लगा हुआ था, जो पानी की बर्बादी का मुख्य कारण था। इन्होंने उस पानी को कार वॉश और गार्डनिंग में इस्तेमाल के लिए व्यक्तिगत रूप से हर व्यक्ति को समझाया। उन्होंने कहा कि आर ओ निष्कासित जल को हर घर एकत्र करे। शुरू- शुरू में मुश्किल हुई,लोग एक और काम बढ़ाना नहीं चाहते थे, मगर नतीजा धीरे-धीरे सामने आया।इन्होंने खुद बाल्टियां खरीद कर बरामदे में लगवाईं। अब हाउस स्टाफ पानी को बड़े-बड़े ड्रम तक पहुंचाता था। जिससे फर्श की सफाई और कारों की धुलाई होती थी। अब तक औसतन हर रोज अपार्टमेंट 500 लीटर आर ओ का निष्कासित पानी व्यर्थ गंवा देता था।

 इन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जिससे प्रतिदिन यह सूचना देते हैं कि अमुक व्यक्ति कितना पानी बचा रहा है। अब यह सोशल मीडिया कैंपेन शुरू करने जा रहे हैं, जिससे कि और लोग भी ऐसा करने के लिए प्रेरित हों।"


"हर बूंद का महत्व है। मार्च 22 को वर्ल्ड वॉटर डे मना कर इसकी इतिश्री नहीं हो जाती। सबसे हम भी जल का अपव्यय नहीं करेंगे।"

"जल है तो जीवन है,बिन पानी सब सून।" ये हुआ आज का मूल मंत्र।"



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