भारत के लाल
भारत के लाल
"आज हम मज़बूत इरादों के एक महानुभाव की चर्चा करेंगे, जिन्हें हम आई एफ एस ऑफिसर सुधा रमन के नाम से जानते हैं।वे वंडालूर चिड़ियाघर के डेप्युटी डायरेक्टर हैं।
चेन्नई के वंडालूर चिड़ियाघर में कुछ वर्षों पूर्व तक औटेरी झील में हज़ारों प्रवासी पक्षी हर सर्दियों में आया करते थे। आर्कटिक सर्कल से आए हुए ये मेहमान देखने वालों के लिए एक समा बांध देते थे। किंतु चक्रवात की वज़ह से यह झील धीरे-धीरे अंतिम सांसे गिनने लगी, 2018 के सूखे से तो यह पूरी तरह सूख गई।"
"चाचू,इससे तो पक्षियों पर भी असर पड़ा होगा?"
"हां,सरल, चेन्नई के भयानक सूखे में अन्ना चिड़ियाघर बहुत प्रभावित हुआ।ओटेरी झील मृत हो गई और कोई पक्षी नहीं रहे।"
"कितनी बड़ी है यह झील,चाचाजी?"
"शैलजा,यह झील लगभग 18 एकड़ में फैली हुई थी जो उस समय पूरी तरह सूख चुकी थी।"
"फिर क्या हुआ?"
"फिर, जहां चाह वहां राह" ऐसा मानना था सुधा रमन जी का। उन्होंने डायरेक्टर योगेश सिंह के निर्देशन में एक टीम के साथ इस झील को पुनर्जीवन देने का निर्णय लिया,और जुट गए। 8 महीनों के अथक प्रयास के बाद झील पानी से लबालब भर गई।"
"क्या बात है, वह कार्य पूरा किया गया जो असंभव दिख रहा था!
"हां एलेन,इन कामों में खरपतवार की साफ - सफाई,गाद निकालना ,किनारों की सफाई करना,और वृक्षारोपण जैसे मुश्किल काम थे। यह सभी कार्य युद्ध स्तर पर किए गए।"
"इस सब के बाद तो पक्षी लौट आयेंगे।"
"हां,सुगंध,अब पानी और पक्षी दोनों आ चुके हैं और आ चुकी है चेहरों पर मुस्कान। दिसंबर आया और लगभग 300 प्रवासी पक्षी अभी से आ चुके हैं ,उम्मीद है शीघ्र ही और भी आएंगे।"
"चाचाजी,चिड़ियों के लिए बर्ड हाउस बना दिए जाएं तो उनका बचाव भी हो सकता है।"
"चारु, आसपास पेड़ों पर चिड़ियों के लिए बर्डहाउस लगा दिए गए हैं ,जिनमें चिड़ियों की चहचहाहट सुनी जा सकती है। इनका कलरव और तितलियों को भी देखा जा सकता है।"
"चाचाजी, ओटेरी जैसी बड़ी झील को साफ करना और पुनर्जीवित करना बहुत मुश्किल काम रहा होगा।"
"ओम, इस काम को अंज़ाम देना ,इस बात का सुबूत है कि इरादे मज़बूत हों तो कुछ भी नामुमकिन नहीं।इसीलिए मेरा मानना है कि हममें दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति होनी चाहिए।"
"आपकी इतनी अच्छी- अच्छी बातें सुनकर हम निश्चय ही बदलेंगे,क्यों दोस्तो ?"हार्दिक ने सबकी और देखते हुए पूछा।
"हां,अवश्य!"सबका एकस्वर में उत्तर था।