भारत के गौरव

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" बच्चों, आज हम बात करेंगे वर्ष 1967 से देश के बड़े अखबारों में तीन श्रेणियों में संपादक के नाम पत्र लिखने वाले सुभाष चंद्र अग्रवाल की जिनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।"

"संपादक के नाम पत्र लिखना हमारे पाठ्यक्रम में भी है। हमने तो पुस्तकीय अभ्यास ही किया है।" सुमेर ने कहा।

" इनका नाम 31 जनवरी 2002 को 1226 संपादक के नाम पत्र लिखने पर गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज हुआ। अब तक 3599 से ज्यादा संपादक के नाम पत्र लिख चुके हैं।"

"वाह , भला कौन - कौन सी समस्या रही होंगी जिन्हें उठाकर इन्होंने संपादक को पत्र लिखे होंगे ?" हर्ष ने पूछा।

"सुभाष चंद्र अग्रवाल ने अखबार को पहला पत्र दिल्ली परिवहन निगम के बस कंडक्टर के बारे में लिखा था इसमें उन्होंने इस बात का रहस्य उद्घाटन किया था कि बस कंडक्टर टिकट के बिना यात्रियों से पैसे वसूल कर रहा है सुभाष ने रेल मंत्रालय के सामने ताज एक्सप्रेस ट्रेन के और नियमित समय के बारे में आवाज़ उठाई राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाने में भी अहम भूमिका थी।

सुभाष चंद्र के नाम पर सबसे अधिक संख्या में संपादक के नाम पत्र प्रकाशित होने का गिनीज रिकॉर्ड भी है!"

"बहुत गर्व का विषय है, एक नहीं दो - दो वर्ल्ड रिकॉर्ड!" बसंत ने आश्चर्य किया।

"22 जनवरी 2015 को सुभाष चंद्र अग्रवाल को पुरस्कार 2015 से सम्मानित किया गया अग्रवाल को यह पुरस्कार चुनौतियों का सामना करते हुए सार्वजनिक भलाई के लिए सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 का प्रयोग करने के लिए प्रदान किया गया था। जरा फिरोज प्रोजेक्ट एक गैर लाभकारी संस्था है जो जोखिम उठाने वालों अनजान लोगों जिनमें दुनिया के आम लोगों के लिए जोखिम उठाने का साहस है उन्हें सम्मानित करता है।"

"चाचू ,उन्हें इस काम में घरवालों का भी प्रोत्साहन मिलता होगा!"

"बिल्कुल मिलता है,आपको जानकर आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता होगी कि एक श्रेणी में संपादक के नाम पत्र लिखने पर उनकी पत्नी मधु अग्रवाल का नाम भी वर्ष 2004 में गिनीज बुक में शामिल हुआ है।"

"कमाल है!पति पत्नी की समान रुचि !"कल्पना ने कहा।

"हां, जहां समान रुचियाँ हों वहां समरसता प्रगति की ओर अग्रसर करती है। इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए कि यदि हमारी रुचियाँ असमान भी हों तो किसी को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए।

आज के लिए यहीं विराम।"

"धन्यवाद, चाचाजी।"



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