भारत देश के त्योहार

भारत देश के त्योहार

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अपने भारत देश के बारे में चर्चा करते हुए इतने दिन बीत गए, लेकिन लगता है अभी कुछ ही जाना है।क्यों, क्योंकि हमारा देश इतनी विविधताएं संजोए हुए है कि उनका बखान करने में वर्षों बित सकते हैं।

"चाचाजी, आज की चाचा किया पहली पर होगी, हम सब बहुत उत्सुक हैं, कृपया प्रारंभ कीजिए।"

 बच्चों, मेरे एक विदेशी मित्र ने मुझसे पिछले दिनोंअनुरोध किया कि मैं भारत में मनाये जाने वाले दशहरा और दीपावली पर उन्हें विस्तृत जानकारी दूं।इस जानकारी को वे एक निबंध के रूप में अपने विद्यार्थियों के साथ बांटेगी।"

 "मुझे वैसे तो सभी त्योहार अच्छे लगते हैं मगर होली,  दशहरा व दीपावली सबसे अधिक प्रिय हैं।"प्रियांशु ने कहा।

बच्चों, भारत को अगर त्यौहारों का देश कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। यहां लगभग हर दिन एक पर्व होता है। मुख्य रूप से इन पर्वों को हम धार्मिक और राष्ट्रीय श्रेणी में बांट सकते हैं। इसके साथ ही फसल कटाई, नववर्ष आगमन, महापुरुषों की जयंती भी हमारे यहां उत्सव के दिन होते हैं।"

 "चाचाजी, हिन्दुओं के मुख्यतया तो चार त्योहार होते हैं।मुसलमान ईद और बकरीद को धूमधाम से मनाते हैं। ईसाई समाज क्रिसमस और बड़े दिन में जश्न मानते हैं, सिख गुरु पर्व भक्ति भाव से मनाते हैं।इसके अलावा जैन, बौद्ध, पारसी समाज धर्म प्रवर्तकों की जयंती, और नवरोज को सम्मान से मनाते हैं।फिर हमारे राष्ट्रीय पर्व भी तो हैं न?"स्वाति ने पूछा।

" बिल्कुल, हिंदुओं के चार मुख्य त्योहार हैं, रक्षाबंधन, होली, दशहरा और दीपावली हैं।

रक्षाबंधन भाई बहन के पवित्र प्रेम और रक्षा का पर्व है, तो वहीं होली परस्पर शत्रुता को भुलाकर भाईचारे का संदेश देने वाला पर्व है। दशहरा शक्ति पूजा , असत्य पर सत्य की विजय, अधर्म पर धर्म की विजय, और बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार है।"

चाचू, दीपावली तो त्योहारों का त्योहार है।मां कहती हैं,  दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के स्वागत और उनकी कृपा दृष्टि पाने के लिए आराधना की जाती है। श्री राम रावण को पराजित कर और अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा कर, इस दिन अयोध्या लौटे थे और उस खुशी में अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में अयोध्या नगरी को दीपों से प्रकाशमान कर दिया था, तब से हर वर्ष दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।"नन्हा चिन्मय बोला।

 "बच्चो, दीपावली से जुड़ी अनेक कथाएं हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रूप धरकर हिरण्यकश्यप का वध किया।उस अत्याचारी से मुक्ति की खुशी में प्रजा ने घी के दीए जलाकर दीपावली मनाई थी।

 एक अन्य कथा के अनुसार श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध चतुर्दशी को किया था, जिसके दूसरे दिन गोकुल वासियों ने घी के दीए जलाकर इस उत्सव को मनाया था।

एक पौराणिक कथा के अनुसार शक्ति महाकाली के रूप में राक्षसों का वध करते हुए अत्यंत क्रोधित हो गईं।उनका क्रोध शमन नहीं हो रहा था, भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए।भगवान के शरीर के स्पर्श मात्र से शक्ति शांत हो गईं। उनके उसे शांतरूप का ही लक्ष्मी पूजन के रूप में आरंभ हुआ।

पांडव 13 वर्ष का अज्ञातवास पूरा कर कार्तिक अमावस्या के दिन अपने राज्य वापस लौट आए थे और इसलिए राज्य भर में दिए जलाए गए थे।"

"यह कथाएं तो हमे किसी ने कभी सुनाई ही नहीं।"सरल ने भोलेपन से कहा।

"बच्चों इसके अतिरिक्त और भी कथाएं है, सुनो,  इसी दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी ने अवतार लिया इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन- अर्चन करते हैं।

भारत के कुछ हिस्सों में हिंदू दीपावली को यम और नचिकेता की कथा से भी जोड़ते हैं।

 जैनियों के अनुसार तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस दीपावली है।इतिहास में वर्णन है कि

 जहांगीर जिसने 52 राजाओं को ग्वालियर के किले में कैद किया था, बीमार रहने लगा। एक दिन सपने में उसे एक फकीर ने गुरु गोविंद सिंह को रिहा करने को कहा, यह वही दिन, अर्थात दीपावली थी। 

 स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास 1577 में दीपावली के दिन ही हुआ था, इसलिए सिख समुदाय भी दीपावली का त्यौहार मनाता है।

 यह भी माना जाता है कि मां लक्ष्मी, धनवंतरी व कुबेर इसी दिन उत्पन्न हुए थे इसलिए इस दिन को दीपोत्सव के रूप में मनाया जाता है।"

ओ मां, इतने सारे कारणों से दीवाली मनाई जाती है!"तेजस ने कहा।

"तभी तो यह खास त्योहार है!"अनु ने कहा

"बच्चों दीपावली का अर्थ तो आप जानते ही हैं, दीपावली अर्थात दीपों की पंक्ति अथवा दीपकों की श्रृंखला।दीपावली 5 दिनों का त्यौहार है।धनतेरस, नर्क चतुर्दशी, , दीपावली, गोवर्धन पूजा और यम दतिया।"

"पांचों दिन पटेक चलाना, मिठाईयां बांटना और खाना!"केसर बोली।

"बच्चो, धनतेरस के दिन धातु की खरीदारी को शुभ माना जाता है। नरक चतुर्दशी को घर की साफ सफाई की जाती है। दीपावली को रात्रि में लक्ष्मी पूजन के साथ दीप प्रज्वलित किए जाते हैं। दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट मनाया जाताा है, इस दिन 56 तरह के पदार्थ मिलाकर व्यंजन बनाए जाते हैं। पांचवें दिवस को भाई दूज अथवा यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता हैैै। इस दिन बहने भाईयों को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी आयुु की कामना करती हैं।  दीपावली का दिन घरों के साथ अपने अंदर के अंधकार को मिटाने का दिन है।त्योहार हमें सच्चाई, और नैतिकता की शिक्षा देते हैं, कि जीत हमेशा सत्य की होती है।"

"इसलिए हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए।"लक्ष्य ने कहा।

दशहरा दीपावली के 20 दिन पूर्व पड़ता है।

इसे आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाता है। इसी दिन भगवान राम ने असुर राज रावण का वध किया था।वध के पीछे की यह कथा है कि लंका नरेश रावण ने अपनी बहन सूर्पनखा के अपमान का प्रतिकार लेने के लिए श्री राम की पत्नी माता सीता का हरण कर लिया था। तब से जिस दिन श्री राम ने रावण का वध किया, उसी दिन से दशहरा का उत्सव मनाया जा रहा है। 

दशानन के दस सिर , दस पापों के प्रतीक थे-

 काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर , अहंकार , आलस्य , हिंसा और चोरी। दशहरा का शाब्दिक अर्थ है- दश ..हर अर्थात 10 बुराइयों से मुक्ति।

दशहरे को विजयदशमी भी कहा जाता है।यह शारदीय नवरात्रि में शक्ति के नौ रूपों की उपासना का पर्व है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर और चंड- मुंड राक्षसों का वध किया था। जिसके कारण विजयदशमी शक्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दोनों ही रूपों में यह विजय पर्व या शक्ति पूजा का पर्व है। क्षत्रियों के यहां इस दिन शस्त्र पूजा की जाती है।

 भारत के प्रमुख स्थानों में इस समय गुलाबी ठंड होती है। इस दिन नीलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता है। गांव के लोग जौ के अंकुर अपनी टोपियों और कानों में लगाना शुभ मानते हैं। विजयदशमी मन में नई सात्विक ऊर्जा का संचार करती है। इस दिन मेले लगते हैं, जगमगाती रोशन के बीच रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं।इसे भारत के हर हिस्से में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है।

 हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का दशहरा अनोखे ढंग से मनाया जाता है।आश्विन महीने की दसवीं तिथि को इसका प्रारंभ होता है।महीने के पहले 15 दिनों में राजा सभी देवताओं को धालपुर घाटी में रघुनाथ जी के सम्मान में यज्ञ का न्योता देते हैं।100 से अधिक देवी- देवताओं को रघुनाथ जी सीता जी और हिडिंबा जी को सजी पालकी में बैठाया जाता है और रथ यात्रा प्रारंभ होती है।इन रथों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है।छठे दिन सभी देवता इकट्ठे आकर मिलते हैं, जिसे मोहल्ला कहते हैं।इस दिन रात भर नाच- गान होता है।सातवें दिन रथ को व्यास नदी के किनारे ले जाया जाता है, जहां लंका दहन का आयोजन होता है। इसके पश्चात रथ पुनः रघुनाथ मंदिर में स्थापित किया जाता है।

 मैसूर का दशहरा 10 दिन चलता है। मैसूर के राज महल को 1 लाख बल्ब की रोशनी से सजाया जाता है। सोने- चांदी से सजे हाथियों को इक्कीस तोपों की सलामी के बाद राज महल से जुलूस के रूप में निकाला जाता है।अगुवाई कर रहे हाथी के ऊपर 750 किलोग्राम के शुद्ध सोने के सिंहासन पर मां चामुंडेश्वरी देवी की मूर्ति रखी होती है।पहले इस सिंहासन पर राजा बैठते थे।राजाशाही समाप्त होने के बाद माता की मूर्ति को विराजित किया जाता है।यह जुलूस 6 किलोमीटर दूर बन्नी मंडप में खत्म होता है ।

मिथिला और बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। स्त्रियां मां दुर्गा को सिंदूर चढ़ाती हैं और सिंदूर से खेलती हैं।

राजस्थान में इसे शक्ति पूजा के रूप में मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में विश्व का सबसे लंबी अवधि का दशहरा मनाया जाता है।यह एकमात्र जगह है जहां दशहरे पर रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता। यहां दशहरा 75 दिन तक मनाया जाता है। इसे 600 वर्षों से मनाया जा रहा है।यह मां दंतेश्वरी की आराधना से जुड़ा है।

 समस्त भारत में दशहरा में पारंपरिक रूप से 9 दिन का उपवास रखकर मां के नौ अलग-अलग अवतारों की पूजा और जागरण करते हैं।

 गुजरात में नवरात्रि में लोकनृत्य गरबा करते हैं।

 महाराष्ट्र में दशहरा विद्या आरंभ , विवाह , गृह प्रवेश और नए घर क्रय करने के लिए भी शुभ माना जाता है।

 तमिलनाडु में मां दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी पूजन किया जाता है तथा मित्रों और रिश्तेदारों को बधाइयां और उपहार दिए जाते हैं। यहां गोलू अर्थात पीढ़ी दर पीढ़ी से मिली गुड़ियों को सीढ़ियों में सजाया जाता है।

भारत ही नहीं मलेशिया, बांग्लादेश और नेपाल में भी दशहरा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।


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