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Aditya Vardhan Gandhi

Inspirational

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Aditya Vardhan Gandhi

Inspirational

भाग 2 कोच घर

भाग 2 कोच घर

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जब वरदान अपने कोच के साथ उनके घर चला जाता है। तब भी कहीं और ही होता है। सोचता है। मां तो कब की चली गई दुनिया से अंकल जो है। कभी बात नहीं करते अब मैं क्या अनाथ की तरह जिंदगी बिताउगा अपने मन में ही कहता है। तभी जसविंदर उसका कोच उसे बुलाता है। उसे कहता है डरो मत यह मेरा घर है। मैं यहां अकेला ही रहता हूं। धीमी आवाज में वरदान हमसे पूछता है। सर मैडम कहां है। जसविंदर धीरे से बोलता है। बेटा वह एक कार एक्सीडेंट में मर चुके हैं। और मेरा बेटा भी मर चुका है। अब मैं दुनिया में अकेला हूं।मेरा कोई नहीं है। इतना बोल कर कोच जसविंदर चुप हो जाता है। और वरदान से कहता है। जाओ हाथ मुंह धो कर कपड़े बदल कर खाने के लिए आजाओ वरदान या सुनकर चुपचाप हाथ मुंह धोने चले जाता है। तो थोड़ी देर बाद वह मुंह हात धोकर आता है और अपने कोच के साथ खाना बैठ जात है। और खाना खाता है। कोच उसे बोलते हैं। क्या तुम मेरे साथ मेरे घर पर रुकोगे यह बात जब वह सुनता है। वो रोते-रोते कहता है। कोच मेरी क्या गलती है। मेरे पापा नशे में रहते थे। मुझ पर कभी ध्यान नहीं देते थे। और तो और उनकी दवाई के लिए मुझे क्या क्या काम करना पड़ता था। जसविंदर उसे कहता है। तुम्हारे पिता जीवन हमेशा से ही एक बढ़िया बैट्समैन और अच्छा इंसान था। तुम्हारी मां के गुजरने के बाद वह बिल्कुल ही अंदर से टूट चुका था। इतना टूट चुका था। कि वह भूल चुका उसका कोई बेटा भी है। नशे ने उसकी ऐसी हालत कर दी थी। उसे कुछ याद ही नहीं रहता कि वह कहां बैठा है ।क्या बोल रहा है जिस कारण से उस काम मिलना भी बंद हो चुका था। वरदान सारी बातें सुनता है। वह रोते-रोते कहता है। मैं मेरे पापा का  सपना पूरा करूंगा और एक बढ़िया क्रिकेटर बंकर दुनियां को बताऊंगा कोच बोलता है। मेरा भी बेटा था उसे भी क्रिकेटर बनना था। इंडिया का सबसे तेज गेंदबाज पर वो सपना मेरा अधूरा रह गया है।

तभी वरदान कहता है। मैं वह सपना पूरा करूंगा मैं बनूंगा द फास्ट बॉलर ऑफ इंडिया जब यह सुनते हैं। बहुत ही खुश होते हैं और कहते हैं मैं तुम्हारी मदद करूंगा तुम्हें ट्रेनिंग दूंगा बेस्ट से बेस्ट टेक्निक सिखाऊंगा बोलिंग की दोनों के बीच काफी बातचीत चलती है। खाना खाने के बाद दोनों एक ही कमरे में जाकर सो जाते हैं। अगली सुबह जब वरदान उठता है। जसविंदर उसके कोच कहीं जाने की तैयारी कर रहे थे। क्योंकि उनको काम आ गया था। तो वह वरदान से कहते हैं। मैं जा रहा हूं मुंबई अपने दोस्त के पास तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हारा एडमिशन स्पोर्ट्स कोटे के जरिए मुंबई के किसी की स्कूल में करा दूंगा और वहीं पर मेरा दोस्त तुम्हें कोचिंग देगा बॉलर बनने की तो वरदान कहता है। फिर आपका क्या तो वह कहते हैं मैं आता रहूंगा बीच-बीच में तुमसे मिलने मेरा एक ही लक्ष्य है तुम्हें इंडियन क्रिकेट टीम में देखना इतना बोल कर जसविंदर चुप हो जाते हैं। वरदान बोलता है। मैं नहा धोकर आता हूं। 10 मिनट के बाद वरदान आता है। अपना बैग लेकर कोच के साथ चल देता है। 1 दिन का सफर करने के बाद कोच मुंबई पहुंच जाते हैं। और सीधा अपने दोस्त को फोन लगा कर कहते हैं। मै मुंबई आ चुका हूं तुम मुझे लेने कब आ रहा है। सामने से दिग्विजय पाटील उन्हें कहते हैं 10 मिनट के अंदर पहुंच रहा हूं मैं इंतजार करना थोड़ी देर के अंदर दिग्विजय पाटील वहां पहुंच जाते हैं। उन दोनों को अपने साथ अपने घर ले जाते हैं। जब घर पहुंचते हैं। तब वहां पर पहले से ही एक लड़का बोलिंग की प्रैक्टिस कर रहा था उसका नाम जयवर्धन सीएम होता है। जो राजस्थान से यहां पर आया था। खास करके तेज गेंदबाज बनने के लिए अपने घर से इतनी दूर वह आया था। तभी दिग्विजय पाटिल उसको बुलाते हैं। और कहते हैं यह वरदान है। तुम्हारा नया रूममेट जयवर्धन उससे हाथ मिलाता है। और कहता है मेरा नाम जय है मैं जयपुर शहर से यहां पर तेज गेंदबाज बनने आया हूं।

वरदान उसे अपनी गेंदबाज़ी के बारे में बताता है। जैसे ही जय उसके पिता के बारे में पूछता है। वो बिलकुल चुप हो जाता है। और एक कोने की ओर चल देता है। जय उसे जाता देख अपने कोच के पास जाता है। दोनों पुराने दोस्त एक साथ बैठे थे। तभी जय उनके बीच आकर बोलता है। वरदान मुझसे नाराज हो गया है। तभी दिग्विजय पाटिल चिल्लाकर पूछते हैं। क्या शरात कि तुमने उसके साथ तो वह कहता है। बस मेरे उसके पिता के बारे में पूछा तो रोते-रोते वह तो चला गया तभी जसविंदर बोला उसके पिता के बारे में मत पूछना बड़ी दुख भरी कहानी है। उसकी तब जाकर जय को समझ में आया कि क्यों वह अपने पिता के बारे में कुछ बोल नहीं रहा था और चुपचाप चला गया रोते-रोते दिग्विजय और जसविंदर की बीच सारी बातचीत होती है। कि कैसे यह लड़का अच्छा क्रिकेटर बन सकता है।इंडिया को रिप्रेजेंट कर सकता है ऐसे फास्ट बॉलर तभी एक औरत की आवाज आती है। जो कि दिग्विजय पाटिल की बीवी होती है। शिवानी वह सारी बातें सुन चुकी होती है और कहती है ।आप चिंता मत कीजिए हमेशा अपने बेटे की तरह रखेंगे ध्यान देंगे कभी से दुख ना पहुंचे इतना बोल कर शिवानी वहां से चली जाती है। उसके जाने के बाद जसविंदर कहता है। थोड़े टाइम के बाद मैं भी मुंबई शिफ्ट हो जाऊंगा उसके बाद मैं और तुम मिलकर इसे कोचिंग देंगे वहां दूर कोने में बैठा वरदान एक बार फिर उस हादसे को याद करके रोने लगता है। जिस कारण उसके पिता की मौत हुई और कैसे वो दुनिया में अनाथ हो गया जिस के बाद वो अब अकेला पड़ गया है। तभी कोच उसे बुलाते हैं। तब वो अपने ख्यालों से बाहर आता है। और तुरत कोच के पास जाता है। कोच उसे बोलते हैं में कुछ दिन बाद लोट कर आऊंगा मुझे दिल्ली में कुछ काम को पूरा करके वापस आना है। सारी बातों को सुनने के बाद वरदान बस इतना ही बोलता है। मुझे आपकी जरुरत है जल्दी आना सर जब दोनो की बात पुरी होती है। उसके बाद कोच जसविंदर सिंह मुंबई से दिल्ली जानें के लिए निकल जाता है।


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