Kameshwari Karri

Tragedy

4.4  

Kameshwari Karri

Tragedy

भाभी हैं न देख लेंगी

भाभी हैं न देख लेंगी

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नर्मदा की शादी राजेंद्र के साथ तब हुई जब उसकी उम्र अठारह वर्ष की थी । पिताजी घुमक्कड़ प्रवृत्ति के थे इसलिए दादा दादी और चाचा लोगों ने मिलकर उनकी शादी जैसे तैसे कर दी कहने के बदले हम कह सकते हैं कि निपटा दी । ससुराल में तीन देवर चार ननदों के बीच उसके नए शादीशुदा जीवन का सफर शुरू हुआ । सास ससुर बहुत ही अच्छे थे । उसे वैसे भी घर में काम करने की आदत थी तो उसने आते ही सास से सारा काम समझ लिया और करने लगी । शादी को हुए एक साल भी नहीं हुआ दसवें महीने में ही उसने एक बेटी को जन्म दिया । उस समय ससुर बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती थे । राजेंद्र ने डरते हुए पिता को बताया कि लड़की हुई है तो उन्होंने कहा कि बेटा जश्न मनाना है क्योंकि हमारे घर लक्ष्मी आई है । तुम्हारी चार बहनें हैं पर कभी भी मैंने नहीं सोचा था कि मेरी चार लड़कियाँ हैं शादी कैसे करूँगा । बेटा वे अपनी क़िस्मत खुद लिखाकर लाती हैं । मुझे यक़ीन है कि हमारे घर की बेटियों की क़िस्मत बहुत अच्छी है । उनकी सोच सोलह आने सच निकली क्योंकि तीसरे जनरेशन में भी उस घर की लड़कियों को माँग कर बिना दहेज के लोगों ने अपने बेटे से शादी करवाई है । यह उनके पूर्वजों के आशीर्वाद और लड़कियों की अपनी तक़दीर से संभव हो सका है । 


नर्मदा की बेटी ससुराल में नाज़ों में पल रही थी । इस बीच उसकी दो नन्दों की शादी हो गई भरा पूरा परिवार था । साल बीतते बीतते उसके चार बच्चे हो गए थे । पहली लड़की उसके बाद तीन लड़के । चौथे लड़के के होने पर सास नाखुश थी कि अब तो एक लड़की हो जाती थी तो दोनों बहनें प्यार से रह सकती थी । कोई क्या सोचे इसके बारे में सोचने की भी फ़ुरसत नर्मदा को नहीं था । अब तो देवरानियाँ भी आ गई थी । एक से बढ़कर एक जो नर्मदा को और उनके मायके को नीचा दिखाना चाहती थी । परंतु सास ससुर ने ऐसा होने नहीं दिया था क्योंकि नर्मदा का परिवार ग़रीबी में है तो क्या नर्मदा तो गुणों की खान थी । इतने लोगों की सेवा करते हुए भी वह उफ तक नहीं करती थी । एक नन्द जाती तो दूसरी आती थी । सूरज उगने से पहले उठती थी तो देर रात को सोने जाती थी । रात को भी किसी के बच्चे रोते थे तो ख़ुद भी चुप कराने के लिए उनके साथ उठ जाती थी । अपने बारे में उसने कभी नहीं सोचा था । समय पर खाना न खाना और नित काम करने के कारण चालीस साल की उम्र में ही उसे शक्कर की बीमारी हो गई थी । 

अपने बच्चों और परिवार के बीच वह खुद को ऐसे भूल गई थी कि उसका शरीर बीमारियों का घर बन गया था । फिर भी किसी को भी ज़रूरत है तो बड़ी भाभी उनकी सहायता करने के लिए पहुँच जाती थी । इसी तरह काम में व्यस्त हो कर भी अपनी बेटी और दो बेटों का ब्याह रचाया था और बहुओं को भी बिठाकर खिलाती थी । अंत में एक दिन पूरा काम ख़त्म करके सोने गई थी और फिर ऐसी गहरी नींद में सो गई थी कि फिर उठी ही नहीं थी । डॉक्टर ने बताया था कि सिवियर हार्टएटाक के कारण उनकी मृत्यु हो गई है । वह भी सिर्फ़ बासठ साल में ही । अभी तो उम्र है अपने लिए जीने की जो उन्होंने खो दिया था । 


दोस्तों हमें अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर काम करने की आदत करनी चाहिए । आप खुद भी करिए काम और दूसरों से भी कराइए । सबसे अहम बात यह है कि अपनी सेहत का ख़्याल रखना बहुत ज़रूरी है । अपने बारे में भी हमें सोचना चाहिए । 


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