बगुला कहीं का

बगुला कहीं का

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  "आइये -आइये मैडम जी ,क्या चाहिए ?"

    "वो भाईसाहब सरसों का तेल क्या भाव दिया ?"

    "वो मैडम बंद बोतल तो है १२० रुपये की ,और खुला है १०० रुपये लीटर !"

     "१०० रुपये लीटर हूँ .पर वो पिछली गली में दुकान है ,वो तो खुला तेल ८० रुपये लीटर दे रहे है !"

     "अरे मैडम वो तो निरा केमिकल बेच रहे हैं ,हम तो प्योर की बात कर रहे है !"

      "ठीक है ,तो कर दीजिये एक लीटर !"

      "लो वो देखो ,नए कनस्तर आ रहे हैं ,एक मिनट थोड़ा रास्ता दे दीजिये इसे अंदर जाने का !"

       " अरे ये वही रेहड़ी वाला है ,जो पिछली गली वाली दुकान में तेल रखने आया था ,मैंने देखा है इसे वहां !"

       "अच्छाssssssssssssssss चलो छोड़िये मैडम ,आप ८० रूपये के भाव ही ले जाइये !"

       " औए छोटू,मैडम के लिए एक लीटर सरसों का तेल तोल दे !"

       शगुन देखरही थी कैसे दुकानदार अपने आप को आख़िरी गौरैया दिखाने का प्रयास कर रहा था और जब पकड़ा गया तो आ गया अपने असली रुप में बगुला कहीं का ........।


        


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