बेवज़ह
बेवज़ह


रमेश, तुम्हें पता नहीं है क्या लॉकडाउन चल रहा है ! तुम मोटरसाइकिल लेकर कहाँ जा रहे हो ?
ऐसे ही घूम कर आता हूँ, देख कर आता हूँ कि क्या चल रहा है ! मैंने कहा - बेवज़ह क्यूँ ? तुम्हें पता है कितना रिस्क है ?
कोई रिस्क नहीं है, मैं मास्क लगा कर जा रहा हूँ !
अरे भाई ! सिर्फ़ मज़े के लिए ऐसे काम मत करो कि अपने आप के लिये और दूसरों के लिये मुसीबत बन जाओ !
मुज़्ज़फ़्फ़रनगर के डी एस पी साहब ने ऐलान किया कि हम लोग जब आते हैं तब आप लोग घरों में घुस जाते हो और हम लोग जब चले जाते हैं तो तुम लोग सड़कों पे आ जाते हो ! ऐसे तो चौबीस घंटे हम तुम्हारा ध्यान नहीं रख सकते ना ! अब हम तुम्हारी वीडियो बनायेंगे और चालान करेंगे !
अगर तुम नहीं लोगे तो तुम्हारें घरों पर चिपका देंगे ! अगर तुम फाड़ दोगे तो दोगुना चालान करके तुम्हारें घरों पे चिपका देंगे ! बिलकुल सही निर्णय है यह !
तुम्हें पता है रमेश, हम लोगों को बचाने के लिये पुलिस, डॉक्टर, वालंटियर जी - जान से लगे हुए हैं ! अपनी जान की पर्वाह करें बगैर वो हम सब की जान बचाने में लगे हुए हैं ! क्या हमारा कुछ कर्त्तव्य नहीं है कि हम इतने संवेदनहीन हो गये हैं कि महज़ मनोरंजन के लिये सारे नियम तोड़ रहे हैं ?
वह नहीं माना और फिर भी बाइक लेकर निकल गया ! चौराहें पर पहुँचते ही, उसे पुलिस वालों ने देखा तो वो अपनी बाइक छोड़कर भाग गया !
पुलिस वालों ने कहा कि अब जब तक बंद है, तब तक तुम अगर अपनी बाइक लेने आये तो हम तुम्हें नीला कर देंगे ! करें भी क्यों ना, वो अपनी जान पर खेलकर हमारी जान की हिफाज़त कर रहें हैं और हम महज़ मनोरंजन के साधन ढूंढ रहे हैं ! मैं लोगों से कहना चाहूँगी कि बेवज़ह सड़को पर ना निकले और अपने साथ-साथ दूसरों की जान जोख़िम में ना डालें।