बेटियां
बेटियां
शहर के एक उद्योगपति के यहां उनके छोटे बेटे का पहला जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा था।
उनकी पत्नी रीता भी अपनी सहेलियों के साथ बातों में मशगूल थी,की तभी उसने अपनी एक पुरानी सहेली की और देखते हुए गर्व में भरकर कहा, " मुझे एक पुजारी ने बताया था कि तुम्हे चाहे कितने ही बच्चे क्यो न हों,बेटे ही होंगे।अब लगता है उसकी भविष्यवाणी ठीक ही थी।"
इतना सुनते ही महफिल में हंसी का एक ठहाका गूंज उठा।यह देख उसकी वही पुरानी सहेली बोली,"हां पुजारी जी ने बिल्कुल ठीक ही कहा था।तुम्हें बेटी हो ही नहीं सकती,क्योंकि बेटियाँ तो हमेशा सौभाग्यशाली माता पिता के हिस्से ही आती हैं।"
उसकी बात सुन वहां सन्नाटा पसर गया,और वो अपनी नन्ही सी बेटी को अपने कलेजे से लगा वहां से तेज चाल में निकल गई।