बेटे की विदाई
बेटे की विदाई
दलसिंह सराय का सुपर स्टार राजेश कुमार शीर्षक के साथ बड़ी सी फोटो छपी थी पिछले महीने ,दिनेश बाबू ने फ्रेम करके रखवाया है ।आज रवानगी है आईआईटी मुंबई के लिए ।दुआरी पर बोलेरो खड़ा है ,सीएच स्कूल वाले हेडमास्टर साहेब भेजे हैं ।
सीएच स्कूल और कुमार सिनेमा के एरिया के सारा लुक्खा लुहेरा राजेशवा के दुआरी पर जमा है । राजेशवा साईकिल पर कैरियर में दूगो फूलपैईंट शर्ट आयरन करवा के लौटता है तो मधुरम स्वीट्स वाले मनोज भैया हैंडिल थाम लेते हैं और लात से स्टैंड गिरा देते हैं । कैरियर से कपड़ा निकालते हुए राजेशवा मुस्कुराने की कोशिश करता है " क्या हुआ मनोज भैया काहे मुरझाए हुए हैं लगता है एमकी फेर अगुआ समोसा खा के भाग गया। "
मनोज के चेहरे पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा " कल फाइनल है समस्तीपुर में बेगूसराय से ,बूझता है दिलिपवा मार के भूसा कर देगा । तोहरा बिना कैसे होगा ? रूक जाता तो परसों तत्काल में रिजर्वेशन करवा देते टीम के तरफ से । "
राजेशवा मुड़ी झुका लेता है "रूक जाते भैया , मगर सोमार से क्लास चालू हो जाएगा और रूम का भी व्यवस्था करना है । होस्टल मिलने में टाइम लगेगा बीस पच्चीस दिन । "
मनोज असमंजस में देह ऐंठते है " तू बूझता नहीं है किक्रेट से ज्यादा ई इजज्त का मैच है । याद है पिछला साल सेमीफाइनल में कैसे मजाक उड़ा रहा था बेगूसरैया सब । "
राजेशवा उनका कंधा थपथपा कर आगे बढ़ता है तो अनिकेतवा अपना गैंग के साथ हाथ में गिफ्ट पैकेट लिए खड़ा है । वो कपड़ा खटिया पर रख उनकी तरफ बढ़ता है " ओ हो टॉपर लोग भी आए हैं । हमरा तो भाग खुल गया । "
सब गले मिलकर गिफ्ट देते है । राजेशवा पैकेट का चमकउवा पन्नी नोचते हुए शुक्रिया कहता है तो पिंकीया चुगली करती है "शुक्रिया के हकदार इ ना इनकर हउ हैं । "
चश्मा उलटते पलटते लेबल पढ़ते हैं " ओहो रे बैन , लागता भौजी हमरो पटावे के फेर में हैंई । "
अनिकेतवा खिसियाता है " ना रे सारे कह रही थी, कहिएगा चश्मा लगाके घूमें अब चार साल कहीं किसी से नजर मिलाने की जरूरत ना है पढ़ाई पर ध्यान दें । "
अचानक विभूतिया का जोर का मुक्का राजेशवा के पिट्ठी पर पड़ता है " का रे आवारा तू कहिया पढ़ले जे आईआईटी निकाल लेले । "
गले मिलते हुए राजेशवा फुसफुसाया " जब तू और गगनमा हाइवे रेस्टोरेंट में केबिन खोजत रहे तब हम पढ़त रहीं । "
"उहाँ जाके भूलिहअ मत और आलिया भट्ट के घर खोज के रखिहअ । गगनमा भेंट करे जाई ओकरा से । "
"अरे हाँ ! गगनमा के कौनो रिजल्ट भईल की ना बहुत मेहनत कईले बा बेचारा । "
"स्कोर कार्ड देख के तिवारी सर तो कहे हैं एनआईटी त्रिची या वारंगल मिल जाएगा । "
" ठीके है इ सब कालेज कौनो आईआईटी से कम थोड़े ही है "
" तब भी आईआईटी के नाम का भैलू है । "
" फराजवा के हाय लाग गईल ओकर गर्लफ्रैण्ड ना पटावे के चाहित रहे ओकरा के । साथे उठना बैठना कर के दोस्त से गद्दारी ठीक बात ना है ।"
तभी बाबूजी ने हाँक लगाई "जल्दी खत्म किजिए ये मेल मिलाप राजेश बाबू । सवा दो में है पवन एक्सप्रेस एक बजे तक हर हाल में निकलना है । देखे हैं न , हाइवे का हालत । "
राजेश ट्राली बैग में कपड़ा रखते हुए अंगना ओसारा चारों तरफ निहारता है । तभी छोटकी आ जाती है "दादी बुलाई है । "
राजेश दादी की तरफ देखते हैं तो दादी अंचरा के खूंट में लगी गांठ खोलने लगती है ।राजेश के गोड़ छूते ही गर्दन में लटक जाती है और पचास का नोट शर्ट की जेब में रख देती है । "
छोटकी की आँखें फैल गई " अच्छा दादी हमको दस और पोता को पचास ये बेईमानी । अब मंगवाना बीड़ी हमसे तुम । "
दादी कसकर अंकवारी में भर लेती है छोटकी को मानों भावनाओं का तूफान उन्हें उड़ा ले जाने वाला हो ।
बाबूजी गमछा संभाले अगली सीट पर बैठकर मोहल्लेवालों की तरफ मूंछों पर हाथ फेरते हुए नजरे घुमाते हैं ।
रामवचन साव देख के घर में घुस गया , हँसी आ गई उसको देखकर । ड्राईवर को इशारा किया " देखे कैसे नुका रहा है ,कहता था ,बेटा को कोटा भेजिए हमरे तरह , न तो आवारा हो जाएगा ।"
ड्राईवर भी हँसी में शामिल हुआ " सुने हैं थर्ड डिवीजन पास हुआ है बेटा इनका । "
दिनेश बाबू राजेश की सफलता की कहानी सुनाते हुए कहते हैं " जानते हैं हमरा भी मन डोल गया था कहे थे राजेश को कोटा चले जाओ । जलालपुर वाला प्लॉट बेच देगें हो जाएगा सब इंतजाम । "
तब राजेश समझाए हमको " देखिए बाबूजी हम लोग जेनरल वाले है इ देश में कौनो कोटा फोटा नहीं है हमारे लिए , सब अपने बूते ही पाना है। आपही तो कहे थे जब हम सेंट जेवियर के लिए कहे थे तब ,कि स्कूल थोड़े पढ़ता है पढ़ना तो विद्यार्थी को ही पड़ता है । जलालपुर वाला जमीन तो तब भी था । "
ड्राईवर ने कहानी जोड़ी " अरे राजेशबाबू तो हरफनमौला हैंई , हम देखे हैं कुमार सिनेमा नजदीक उनको साइकिल का चैन घुमाते । दस बारह लड़का सब घेर लिया था जवान को । हमलोग तो समझे गया हीरो अब ,लेकिन कोईयो अपना पैर से नहीं गया और ई जवान कपड़ा झाड़ के ऐसे चल दिया कि कुछ हुआ ही नहीं । "
दिनेश बाबू को माहौल में कहानी रूचि नहीं दूसरी तरफ नजर घुमाके बोले " मनोज थोड़ा देखिए क्या देरी है ।"
वहीं से गर्दन उचका के घोषणा कर दिए मनोज " गोसाईं को गोड़ लगने गया है । "
राजेश जब ओसारा के गेट पर पहुंचे तो माई ने पांच सौ एक बीड़ी वाला बड़ा सा थैला थमा दिया " हैई लीजिए ठीक से खाना पीना किजिएगा और छठ में आ जाइएगा नहाय खाय से पहले।"
राजेश माई के गोड़ छू के खड़ा हुए तो आशीष के लिए सर पर हाथ रखते माई ने पूछा " हम भी चलें क्या स्टेशन तक । "
राजेशवा झुंझलाया " ना जरूरत है । लगिएगा वहाँ बुक्का फाड़ने । याद है राखी में दीदी जा रही थी तो कैसे तमाशा किए थे आप प्लेटफार्म पर । "
राजेश गाड़ी में बैठकर गेट बंद किए तो बाबूजी पीछे घूमकर माई से बोले " आप नहीं चल रहे हैं क्या ? "
माई राजेश की तरफ देखके बात टालने की कोशिश करने लगी "अरे साड़ी उड़ी बदलना पड़ेगा लेट हो जाएगा । "
"अपना गाड़ी में जाना है तो क्या दिक्कत है । वैसे भी इ बुढ़ौती में कौन आपको देखने बैठा है । "
"रहने दीजिए गाड़ी लगता है , हमको उल्टी हो जाता है ", माई ने नया अस्त्र निकाला ।
बाबूजी आदेशात्मक मुद्रा में आ गये " बैठिए चुपचाप कुच्छो नहीं होगा । "
राजेश दरवाजा खोलकर साइड में खिसक लिए ।
गाड़ी आगे बढ़ी तो दुआरी पर खड़ी लफंगों की पलटन ने मोटरसाइकिलों पर तीन तीन चार चार बैठकर रैली जैसा माहौल बना दिया।
सोगारथ बाबा खटिया पर से ही दोनों हाथ उठा के आशीर्वाद दे रहे हैं , माई के खोटनें पर राजेश गाड़ी में से ही हाथ जोड़ लिए उनको ।
"छठ में आइएगा तो बाबा के लिए एगो बण्डी लेते आइएगा " माई ने समझाया ।
उसने माई से चुहल की " बाबा जीएंगे तब तक । "
बाबूजी भी हँस पड़े इस बात पर ।
ट्रकवाला ओवरटेक करने लगा तो ड्राईवर ने गाड़ी का एक चक्का साइड में उतार दिया । बगल से गुजरती लड़कियां साइकिल रोककर खड़ी हो गई । गाड़ी पास आते ही सब ने एक साथ हाथ हिलाया "बाय बाय "
एक गर्व भरी मुस्कान मूंछों के नीचे छुपाते हुए बाबूजी बोले "वहाँ लफंगई थोड़ा कम करिएगा । "
फिर मिरर में पीछे का हाल देखते हुए पत्नी को संबोधित हुए " देख रहे हैं पूरा शहर भर के आवारा सब से दोस्ती है इनका ,लग रहा है विधानसभा का नामिनेशन करने जा रहे हैं । कल से एक्को दिखाई नहीं देगा आपको , सब सून एकदम सन्नाटा । "
इतना बोलकर गमछा से झूठमूठ चेहरा का पसीना पोंछने का असफल अभिनय करते हैं दिनेश बाबू।
माई राजेश को च्यूंटी काटते हुए इशारा करती है " देख लो हमको कह रहे थे कि तमाशा करते हैं इनका तो यहीं से चालू हो गया । "
गाड़ी के सामने गोकुल स्वीट्स वाले गोविंद चाचा बुलेट अड़ा दिए ।
राजेशवा मुड़ी झुका लेता है ,अरे बाप रे इनका तो सात सौ रूपया उधार है । शीशा खुलवा के गोविंद डिब्बा देते हैं रसकदम का ,और साथ में बोरा भर आशीर्वाद ।
गाड़ी हाइवे चढ़ी तो फुलटुनमा के सतुआ दुकान देखते ही अचानक से राजेश रो पड़े और फिर उनकी माई का भी सुबकना चालू ।
ड्राईवर हँसते हुए बाबूजी की तरफ देखने लगता है " लगता है कौनो बेटी के विदाई हो रहल है। "