बेरोजगारी का दर्द

बेरोजगारी का दर्द

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भैया प्याज कैसे दी?"

"मैडम ₹80 किलो।"

" 2 किलो लेने हैं। कुछ तो सही लगाओ !"

"नहीं मैडम आपको तो पता है ना इस समय ₹100 रेट चल रहा है। मैं तो फिर भी अस्सी ही दे रहा हूं।"

" उठाओ भाई तुम भी फायदा उठाओ।।" कह रजनी प्याज छांटने लगी।

इतनी देर में एक 22-23 साल का लड़का सब्जी वाले के पास आकर उससे इंग्लिश में हाय हेलो करने लगा ।

रजनी को यह देख अच्छा लगो कि चलो आजकल के बच्चों में इतनी तहजीब है कि सब्जी वालों से भी दुआ सलाम कर लेते हैं लेकिन यह क्या उसके बाद तो दोनों आपस में अंग्रेजी में ही गिट पिट करने लगे। उनकी बातों से रजनी को यह तो समझ आ गया था कि दोनों दोस्त हैं और नौकरी की तैयारी में लगे हुए हैं। उस लड़के ने सब्जी वाले को दो-तीन किताबें दी और शाम को समय से कमरे पर आने की कह कर चला गया।

उनकी बातें सुन रजनी से रहा नहीं गया उसने सब्जीवाले से पूछा "तुम तो अच्छे पढ़े लिखे लग रहे हो। कहां तक पढ़े हो?'

तो लड़का बोला "एमएससी की है।"

"इतना पढ़कर भी सब्जी क्यों बेच रहे हो। ढंग की नौकरी क्यों नहीं करते!"

" मजबूरी है मैडम। ढंग की प्राइवेट नौकरी मिलती नहीं और सरकारी नौकरी में नंबर आया नहीं। दो-तीन सालों से कंपटीशन एग्जाम की तैयारी कर रहा हूं। घरवालों पर कब तक बोझ बना रहूंगा तो सुबह शाम यह कर लेता हूं। जिससे अपने हाथ में थोड़े बहुत पैसे आ जाते हैं दिन में ट्यूशन देता हूं और रात में कोचिंग क्लास जाता हूं।"

"तुम्हें या तुम्हारे घर वालों को बुरा नहीं लगता कि इतना पढ़ लिख कर भी तुम हैं काम कर रहे हो!"

"घरवालों को तो पता भी नहीं कि मैं यहां इस शहर में सब्जी बेच रहा हूं। उनको तो मैंने बताया है कि मैंने छोटी सी नौकरी पकड़ ली है और मैडम बेरोजगार के दर्द व ठप्पे से बेहतर यह काम भला।"



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