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Chandresh Kumar Chhatlani

Drama

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Chandresh Kumar Chhatlani

Drama

बेखबर फासले

बेखबर फासले

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दो वृद्ध सवेरे की सैर करने के बाद बाग़ की एक बेंच में साथ बैठे थे। उसी बेंच पर दो लड़के भी बैठे थे, जो अपने-अपने स्मार्टफ़ोन में व्यस्त थे।


बेंच के एक कोने में बैठे वृद्ध ने बैठे-बैठे ही कमर झुका कर दूसरे वृद्ध की तरफ बैठे हुए लड़के को देखा और जिज्ञासा भरे स्वर में उससे पूछा, "आप ये फ़ोन में क्या करते हो?"


उस लड़के ने थकी आँखों से उसकी तरफ देखकर उत्तर दिया, "अंकल, बात कर रहा हूँ। आजकल पूरी दुनिया मोबाइल में पास आ जाती है" 


"और वो, क्या तुम्हारा दोस्त है?" वृद्ध व्यक्ति ने दूसरे लड़के की तरफ इशारा करते हुए कहा।


"दोस्त ही नहीं, बल्कि भाई से बढ़कर है" लड़का मुस्कुरा कर फिर से मोबाइल में तल्लीन हो गया।


अब वह वृद्ध व्यक्ति एक पैर बेंच पर रखकर अपना मुंह दूसरे वृद्ध के कान के पास लेकर गया और आँखें छोटी कर फुसफुसाते हुए उससे पूछा,


"सारी दुनिया पास में है लेकिन दोनों दोस्त एक दूसरे से इतना दूर क्यों बैठे है?"


दूसरा वृद्ध चुपचाप रहा, उसने खुली हवा में गहरी सांस लेकर चलने का इशारा किया और दोनों वृद्ध एक दूसरे के हाथ के सहारे से बेंच से उतरने लगे।


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