बेजुबान
बेजुबान
आसमान पर काले काले बादलों का जमघट था। लग रहा था जैसे आज इन्द्र देवता अपना प्रचंड रुप धारण करेगें। मिताली अपनी खिड़की में खड़ी होकर राज का इन्तजार कर रही थी। राज बस दो घन्टे की कह कर घर से निकला पर पूरा दिन हो गया। फोन भी नहीं मिल रहा था। मूसलाधार बारिश शुरू हो गयी। जैसे जैसे समय बीत रहा था मिताली की चिन्ता बढ़ती जा रही थी।
बहुत सी घटनाऐं उसके जेहन में आने लगी। राज के माता पिता एक दुर्घटना में खत्म हो गये थे। अच्छा खासा व्यापार था। राज भी पापा के साथ ही व्यापार देखता था। उसकी एक प्यारी सी छोटी बहन थी। जिसका नाम रुचिका था। मिताली जब इस घर में आई तो जैसे रुचिका को तो अपनी खोई मां ही मिल गयी क्योंकि अब रुचिका उस उम्र में कदम रख चुकी थी जिसमें मां भी चाहिए और सहेली भी। मिताली ने दोनों कमी पूरी कर दी। एक शाम रुचिका अपनी सहेली के साथ गयी हुई थी रास्ते में ही मौसम का रूप बिगड़ गया।आंधी तूफान और बारिश रुचिका रास्ते में घिर गयी। उसी समय एक गाड़ी की रोशनी दिखाई दी। गाड़ी रुकी और रूचिका को अन्दर खींच लिया और शुरू होगया हैवानियत का नंगा नाच। उसके बाद रुचिका को मरणासन्न स्थिती में बाहर डाल कर वह शैतान चले गये।राज रात भर इस भयानक मौसम में उसे पुलिस के साथ ढूंढता रहा। सुबह जब बारिश रुकी रुचिका सड़क के किनारे नाजुक हालत में मिली। पुलिस ने तुरंत अस्पताल भेजा जब उसको हल्का होश आया तब उसने धीरे धीरे सब बातें बताई और प्राण पखेरू उड़ गये। राज को बहुत मुश्किल से मिताली ने संभाला।
आज मौसम उसी तरह का था। रात के दो बजे बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आई। मिताली बाहर भागी देखा राज एक 16-17 साल की बच्ची को पकड़ कर ला रहा है। मिताली ने उसकी तरफ देखा राज ने कहा मिताली मै अपनी रुचिका को तो नहीं बचा पाया पर ऐसे ही दरिन्दों से अपनी इस बहन को बचा कर और उन्हें पुलिस को सौंप कर आया हूँ ये बेचारी गूंगी है। इस बेजुबान को तुम सहारा दो। बाहर बहुत तेज बादलों की गड़गड़ाहट हो रही थी।
