बेचारी

बेचारी

4 mins
469


"अरे ,नेहा मिली मैचिंग की चूड़ियां की नहीं ?

"कहाँ मिली मम्मी,लग रहा है मार्किट ही जाना पड़ेगा। आज तक ऐसा नहीं हुआ कि मेरे पास हर ड्रेस की मैचिंग चूड़ियां ना हो पर इस बार पता नहीं क्या चक्कर हुआ।"

"तो अभी निकल मार्किट, शाम को तो पाहुने लेने ही आ जाएंगे। मुश्किलों से तो ये घड़ी आई है। वरना शराब ने तेरा घर बर्बाद करने में कोई कसर ना छोड़ी थी। अब बनेगी तेरी खुशहाल फैमिली। दो प्यारे प्यारे बच्चे बस और क्या चाहिए। "

"सच कह रही हो माँ, मैं तो उम्मीद ही छोड़ बैठी थी सब ठीक होने की। बड़ा बेटा भी 2 साल का हो गया, छोटा भी 6 महीने का हो गया। इतना प्यार करते है पर उनका रोज शराब पीकर घर मे आना बंद नहींं हुआ।"

"इस चक्कर मे अच्छी खासी दूकान बन्द होने की कगार पर आ गई,वो तो ससुर जी की पेंशन आती है वरना गुजारा करना भारी हो जाता।"

तभी संदीप दौड़ते हुए आया और हांफते हुए बोला"मम्मईईईई ! जीजा जी को गोली मार दी। गोली मार दी कमीनो ने। गाड़ी छीनने के लिए मार दी मम्मईईई। "

माँ गश खाकर गिरते गिरते बची लेकिन नेहा ?

"देख संदीप आज के बाद ऐसा बेहूदा मज़ाक किया तो जिंदगी भर तेरी शक्ल नहींं देखूंगी समझ ले,चल बाइक निकाल मुझे चूड़ियां लानी है। उनकी पसन्द की साड़ी पहनूँगी आज। "दीदी चलो जल्दी,डॉक्टर ने कहा है बहुत कम वक्त है। "

उसके बाद वो कब उस मशीनों से घिरे कमरे में अपने पति से मिली,कब पति ने प्राण त्यागे। फिर क्या क्या हुआ उसे कुछ याद नहींं। होश आया जब 6 महीने के बेटे को लिए माँ आई।

"मेरी बच्ची, ये नन्ही सी जान हलकान हुई जा रही है जैसे तैसे कल से ऊपर के दूध से बहला रही हूं। पर माँ की गोद तो चाहिए ही"

इतने में 2 साल का स्पर्श भी माँ के कंधे पर सर टिका खड़ा हो गया।

दोनो बच्चो को अंक में भर वो हिड़की दे दे रोई। घर मे जुटे लोग तीनो के भविष्य की चिंता कर रहे थे।

पहला"अब क्या करेगी बेचारी "?

दूसरा"बेचारी ज्यादा पढ़ी लिखी भी नहींं"

तीसरा"दूकान तो उसकी शराब ने खाली कर दी ,जाते जाते कोई सहारा भी ना छोड़ गया। "

चौथा"दूसरा बाप भी जाने कैसा निकले,कहीं बिठा भी दे तो लड़की को"

वो दोनो बच्चो को गोद मे उठा ज़ोर लगा कर बोली

"प्लीज चुप हो जाइए,मैं कोई बेचारी नहींं हूं एक माँ कभी बेचारी नहींं होती। किसने कहा सहारा नहींं छोड़ गए। ये है मेरे दोनो बच्चे, मेरे जीने का संबल। आप लोग यहाँ मुझे सांत्वना देने आए है या मुझ पर तरस खाने ?

"और दूसरे बाप की बात कहां से आई ?इन बच्चो का एक बाप था जो अब इस दुनिया मे नहीं है बसस्स।"

तभी ससुर जी सर पर हाथ रख कर बोले "तू चिंता मत कर बेटा जब तक मैं जिंदा हूं । तुझे इस लायक कर दूंगा की किसी के आगे हाथ नहीं फैलाएगी कभी"

उसके बाद नेहा ने जी जान से पढ़ाई की और MA,B.ed किया। स्कूल में टीचिंग के साथ साथ आगे की पढ़ाई जारी रखी। दुकान को बेच उस पैसों से एक छोटा सा प्ले स्कूल खोला। धीरे धीरे वो स्कूल इंटरमीडिएट तक हो गया। आज वह उस स्कूल कीप्रिंसिपल हैं। ससुर जी आज इस दुनिया मे ंनहीं है पर उनका आशीर्वाद आज भी नेहा के साथ है।

वो ना होते तो शायद ये सब सम्भव ना हो पाता। दोनो बेटे अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं, अपनी माँ को अपनी ताकत मानते है।

अगर उस दिन नेहा अपने हौंसले को टूट जाने देती,केवल एक अबला नारी बन स्वयं को नियति के हवाले कर देती तो आज उसकी और बच्चो की स्थिति कुछ अलग होती।

आज वो एक दृढ़ ,स्वावलंबी स्त्री है जो विधवा,परित्यक्ता,और अनाथ बच्चो के लिए सेन्टर चलाती है। उनकी बढ़ती ताकत और आत्मविश्वास नेहा का आत्मविश्वास और बढ़ा देती। आज वो खुद के साथ समाज के लिए भी जीती है।

कौन मानेगा ये महिला शादी के समय केवल प्राइवेट  B A कर ससुराल आई थी, दरवाजे से बाहर निकल कुछ सामान लाना भी जिसके लिए बड़ा टास्क था आज दुसरो को टास्क देती है।

बहुत मुश्किल था, पति की मौत के तुरंत बाद पढ़ाई करना, एग्जाम देना, घर और बच्चो को सम्भालना लेकिन नेहा ने अपने हौसले से जीत हासिल की औऱ आज खुद दूसरों के लिए प्रेरणा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational