बे मौसम बारिश
बे मौसम बारिश
तपतपाती हुई धूप में आज ना जाने क्यों आसमान में काले बादल घिर आए थे। मैं बस स्टेंड पे बस का इन्तजार कर रही थी। पता नहीं आज इन्द्र देव इतना प्रसन्न क्यों हो रहे थे। वह जो भी हो इस धूप की वजह से मेरा दिमाग का पारा जो 50 पर था उस पर यह हल्की बारिश की बूंँदे पड़ते ही मेरा गरम दिमाग़ शान्त पड़ गया था। लेकिन यह कमबख्त बस क्यों नहीं आ रहा, वैसे भी आज इतनी देर हो चुकी है और ऊपर से इस बस की वजह से आज मुझे पक्का घर पे डांँट पड़ने वाली है। मैं बार बार मेरी घड़ी को देख ही रही थी, तभी मैंने देखा कोई दूर से भागा भागा बस स्टेंड की तरफ दौड़ा आ रहा है। बारिश की वजह से उसका चेहरा ठीक से दिख नहीं रहा था और उसने एक फाइल को अपने सर के ऊपर ढक कर दौड़ा आ रहा था। वह आ कर मेरे बगल में खड़ा हो गया। बारिश की वजह से वह आधा अधूरा भीग चुका था।वह झट से अपने पॉकेट से रुमाल निकाला चेहरा पोंछने के लिए पर रुमाल पूरा भीग चुका था। इतने में मैंने अपना रुमाल निकाल कर उसे दिया लेकिन अक्कड़ तो देखो लड़के की रुमाल लेने से साफ साफ मना कर दिया । मुझे तो इतना गुस्सा आ रहा था कि पूछो ही मत। मैं जैसे मरे जा रही थी उसे देखने को, बड़ा आया। और मैंने भी रुमाल को baबैग g में डाल दिया। हैरानी की बात अब तक बस नहीं आ रहा था और यह बारिश तो रुकने का नाम नहीं ले रहा था जैसे आज भगवान कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो। इतने में वह लड़का बोला एक्सक्यूज़ मी क्या आप मुझे अपना रुमाल दे सकते हैं ? मैंने मन ही मन बोला अब आ गया ना रास्ते पर पहले बड़ा अक्कड़ दिखा रहा था। फिर मैंने अपना रुमाल उसके तरफ बढ़ा दिया। उसने रुमाल लौटाते वक्त धीरे सेथैंक यू बोला। मैंने जब अपना हाथ आगे किया रुमाल के लिए मेरी नजर उसके चेहरे की तरफ गई बारिश में भीगने के कारण उसका गोरा चेहरा गुलाबी हो गया था। उसका वह गुलाबी चेहरा और उसके ऊपर वह काला चश्मा बड़ा जच रहा था। मैं बस उसको देखे जा रही थी उसका वह गुलाबी चेहरा और यह गुलाबी मौसम परफेक्ट लग रहा था। बारिश रुक ही नहीं रही थी तो मैंने उसके तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए बोला Hi मेरा नाम सुनैना और आपका ? उसने मेरी तरफ उसका हाथ आगे करते हुए बोला मैं समीर । उसके बाद हम दोनों ने थोड़ी बहुत बातें की। पहले मुझे वह अकडू लगा था पर बात करने के बाद मेरे दिल में उसको लेकर जो विचार था वह बदल रहा था।सच कहूंँ तो मुझे उस से एक नजर में ही प्यार हो गया था वह कहते हैं ना "पहली नज़र का प्यार "
थोड़ी देर पहले मुझे जो शिकायत थी बारिश से और यह बस की देरी से अब मुझे अच्छा लगने लगा था। मैं चाहती थी यह बारिश ना रुके और बस भी अभी ना आए ताकि मैं थोड़ी देर और उस से बात कर सकूंँ और उसे थोड़ी और जान सकूंँ। लेकिन आज भगवान चाहते ही नहीं थे कि समीर से मेरा जान पहचान बढ़े इसलिए तो उसी टाइम पर मेरा बस आ गया। मुझे गुस्सा आ रहजै था जब बस चाहो तब आती नहीं और अब जब मुझे जाना नहीं है बस आ कर खड़ी हो गई। मैंने भी ठान लिया था चाहे कुछ भी हो जाए जब तक यह बारिश नहीं रुकेगी मैं वहांँ से नहीं जाने वाली। मैंने बस की तरफ ध्यान नहीं दिया और बस चली गई। इतने में समीर ने मुझे पूछा तुम बस पे चढ़ी क्यों नहीं? अब मैं क्या बोलती उसे मुझे उसके साथ थोड़ी देर और बात करनी थी मैंने बोल दिया मैं जिस बस जाती हूंँ यह वह बस नहीं है । इसके बाद हमारी बात आगे बढ़ी बातों बातों में मैं इतनी खो गई थी कि मैंने तो समीर और मेरी शादी के सपने भी देख ली थी। मन ही मन मैंने सोच लिया था हमारी शादी कैसी होगी, मैं कौनसे रंग की साड़ी पहनूंँगी, और शादी के कार्ड पर कैसा लिखा होगा सुनैना वेड्स समीर । बड़ा अजीब लग रहा है ना मैं थोड़ी देर उस अनजान लड़के से बात क्या की खुद अपने शादी की सपनों में खो गई। मैं समीर से कुछ पूछ पाती उस से पहले एक सफेद रंग की कार आ कर हमारे सामने खड़ी हो गई। जैसे ही गाड़ी का शीशा नीचे हुआ अन्दर से एक लड़की ने कुछ इशारा किया और इधर समीर ने भी उसे बाहर आने को इशारा किया। मैं बस उन दोबड़ा अजीब लग रहा है ना मैं थोड़ी देर उस अनजान लड़के से बात क्या की खुद अपने शादी की सपनों में खो गई। मैं समीर से कुछ पूछ पाती उस से पहले एक सफेद रंग की कार आ कर हमारे सामने खड़ीनों को देख रही थी। बारिश हो रही थी, लड़की जैसे कार से उतरने की कोशिश की समीर जाकर उसके सर को अपने हाथों से ओंढ कर बड़े प्यार से उसे उतारने लग गया। यह देख कर मुझे जलन होने लगी थी, मन ही मन सोच रही थी यह लड़की है कौन जिसके लिए इतना प्यार उमड़ रहा है, मैं गुस्से से लाल हुए जा रही थी। समीर ने उसको मुझसे मिलाया और बोला यह है पूनम मेरीमंगेतर मुझे यह सुन के जोरदार झटका लगा। मैंने सोचा पहली नजर में प्यार हुआ और हुआ भी तो किस से जो पहले से ही किसी और का है। फिर हम दोनों एक दूसरे से बात किए और इसके बाद दोनों गाड़ी में बैठ कर चले गए। मैं इधर अकेली खड़ी रही, मैं सपना देख रही थी शादी के कार्ड में सुनैना वेड्स समीर लिखा होगा लेकिन यहांँ तो पहले से ही पूनम का नाम लिखा हुआ था। अभी जो यह बारिश मुझे गुलाबी लग रही थी अगले ही पल मुझे यह बारिश कीचड़ जैसा लग रहा था। और समीर के चक्कर में मैंने अपना बस भी मिस कर दिया था। बारिश रुक चुकी थी, इसलिए मैं पैदल ही घर जाने के लिए निकल गई। मेरी तो lलव स्टोरी शुरू होने से पहले ख़त्म हो गई । अब घर देर से जाने के वजह से डांँट जो खाने थे उसके लिए तैयार रहना पड़ेगा। यह प्यार भी उस बिन मौसम के बारिश के जैसा था। जैसे तपतपाती हुई धूप में थोड़ी देर की बारिश मौसम को शीतल कर दिया था, वैसे ही समीर से वह पहले नजर में प्यार होना, और उस से दो पल की बातें मुझे एक खूबसूरत एहसास दे गया। थोड़ी देर के लिए सही वह बारिश धूप से राहत दे गया था और पहली बार मुझे प्यार का खूबसूरत एहसास हो गया था। नों को देख रही थी। बारिश हो रही थी, लड़की जैसे कार से उतरने की कोशिश की समीर जाकर उसके सर को अपने हाथों से ओंढ कर बड़े प्यार से उसे उतारने लग गया। यह देख कर मुझे जलन होने लगी थी, मन ही मन सोच रही थी यह लड़की है कौन जिसके लिए इतना प्यार उमड़ रहा है, मैं गुस्से से लाल हुए जा रही थी। समीर ने उसको मुझसे मिलाया और बोला यह है पूनम मेरी मंगेतर , मुझे यह सुन के जोरदार झटका लगा। मैंने सोचा पहली नजर में प्यार हुआ और हुआ भी तो किस से जो पहले से ही किसी और का है। फिर हम दोनों एक दूसरे से बात किए और इसके बाद दोनों गाड़ी में बैठ कर चले गए। मैं इधर अकेली खड़ी रही, मैं सपना देख रही थी शादी के कार्ड में सुनैना वेड्स समीर लिखा होगा लेकिन यहांँ तो पहले से ही पूनम का नाम लिखा हुआ था। अभी जो यह बारिश मुझे गुलाबी लग रही थी अगले ही पल मुझे यह बारिश कीचड़ जैसा लग रहा था। और समीर के चक्कर में मैंने अपना बस भी मिस कर दिया था। बारिश रुक चुकी थी, इसलिए मैं पैदल ही घर जाने के लिए निकल गई। मेरी तो लव स्टोरी शुरू होने से पहले ख़त्म हो गई । अब घर देर से जाने के वजह से डांँट जो खाने थे उसके लिए तैयार रहना पड़ेगा। यह प्यार भी उस बिन मौसम के बारिश के जैसा था। जैसे तपतपाती हुई धूप में थोड़ी देर की बारिश मौसम को शीतल कर दिया था, वैसे ही समीर से वह पहले नजर में प्यार होना, और उस से दो पल की बातें मुझे एक खूबसूरत एहसास दे गया। थोड़ी देर के लिए सही वह बारिश धूप से राहत दे गया था और पहली बार मुझे प्यार का खूबसूरत एहसास हो गया था।

